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मैलवेयर क्या है? मैलवेयर के प्रकार और अटैक से कैसे बचे

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इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की Malware Kya Hai , मैलवेयर के प्रकार ,मैलवेयर कैसे कार्य करता है और मैलवेयर से कंप्यूटर , डाटा , नेटवर्क आदि को कैसे बचाया जाये।

मैलवेयर  क्या है ? malware kya hai

 मैलवेयर जिसका फुलफॉर्म malicious software होता है। यह एक प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है जो  यूजर की परमिशन और इन्फॉर्म किये बिना कंप्यूटर , सर्वर , नेटवर्क , database आदि में एंटर करके कंप्यूटर  सॉफ्टवेयर , नेटवर्क , डाटा आदि को नष्ट करने , उसके मूल से कार्यो में परिवर्तन करने , रूप या डिजाइन में  बदलाव करने का कार्य करता  है

malware की परिभाषा | Definition Of Malware

मैलवेयर एक प्रकार का साइबर अटैक होता है जो यूजर की परमिशन के बिना सिस्टम में एंटर करके विभिन्न प्रकार के malicious सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल कर ता है जिससे यूजर का डाटा , सर्वर, सॉफ्टवेयर , नेटवर्क आदि बुरी तरह से प्रभावित हो सके । मैलवेयर का मुख्य उदेश्य कंप्यूटर में अटैक करना , सर्वर या कंप्यूटर नेटवर्क को नुकसान पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया जाता है और साइबर अपराधियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है।

मैलवेयर के प्रकार ? | Type Of Malware

malware kya Hai जानने के बाद आपको इसके प्रकार जो समझना चाहिए। मैलवेयर कई तरह के होते  है, प्रत्येक मैलवेयर की अपनी एक विशेषता और कार्य करने का एक विशेष उदेश्य होता है। नीचे मैलवेयर के कुछ प्रमुख प्रकार और उनके कार्य को देख सकते है।

Source Image : Avast.com
  • Viruses:  वायरस एक प्रकार का प्रोग्राम होता है जो स्वयं अन्य फाइल्स से कनेक्ट करता है और आटोमेटिक तरीक़े से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में फ़ैल जाता हैं। Virus कंप्यूटर डाटा को नष्ट कर सकता , डाटा हैक सकता है , सिस्टम की परफॉरमेंस को डाउन कर सकता है।
  • Worms : वर्म वायरस के सामान एक मैलवेयर  प्रोग्राम  होता है जो सेल्फ रेप्लिकेट होकर सिस्टम के डाटा , सर्वर को नष्ट कर सकता है। वार्म  कंप्यूटर और नेटवर्क पर फ़ास्ट तरीके से कम्यूनिकेट  करने के लिए नेटवर्क प्रोटोकॉल या सॉफ़्टवेयर की  कमजोरियों का फायदा उठाता  हैं।
  • Trojans: ट्रोजन एक प्रकार का मैलवेयर सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर मे छुप कर यूजर की प्रत्येक एक्टिविटी को ट्रैक करता है और मौका मिलने पर यूजर की महत्वपूर्ण जानकारी को चुराने का कार्य  करता है। 
  • Ransomware: रैनसमवेयर एक प्रकार मैलिसियस सॉफ़्टवेयर है जो सिस्टम में बिना परमिशन के एंटर कर जाता है और सिस्टम की सभी सेंसिटिव इनफार्मेशन एक्सेस कर लेता   है। रैनसमवेयर एक्सेस इनफार्मेशन को  एन्क्रिप्ट करता है ताकि यूज़र्स  उसे पहचान और समझ न सके।  सिस्टम डाटा को पूरी तरह से एक्सेस करने के बाद डाटा को सही तरीके से उपलब्ध कराने के लिए या पूर्व स्थित में लाने के लिए अपनी डिमांड  करता है। रैनसमवेयर आमतौर पर फ़िशिंग स्कैम  का हिस्सा  होता है जो यूजर की गलती से सिस्टम में इनस्टॉल हो जाता है। डाटा को पूरी तरह से अपने कण्ट्रोल में करने के बाद डिमांड करता है और डिमांड पूरी होने के बाद डाटा अनलॉक कर देता है।
  • Spyware:  स्पाइवेयर सीक्रेट  रूप से यूज़र्स  की एक्टिविटी को मॉनिटर  करता  है और यूजर की परमिशन के बिना सिस्टम की  सभी जानकारी  रिकॉर्ड करता है । यह यूजर द्वारा keystroke ,स्क्रीनशॉट कैप्चर करना  , लॉगिन क्रेडेंशियल ,पर्सनल इनफार्मेशन और सेंसिटिव डाटा चुराने का कार्य करता है।
  • Adware: एडवेयर यूज़र्स  के कंप्यूटर पर अक्सर पॉप-अप या बैनर के रूप में अनचाहा  विज्ञापन डिस्प्ले करने का कार्य  करता है। हालांकि यह स्वाभाविक रूप से सिस्टम को नुकसान नहीं पहुंचाता   है,लेकिन सिस्टम की परफॉरमेंस पर ग़लत इम्पैक्ट डालता है।
  • Keyloggers: कीलॉगर्स कंप्यूटर या Mobile पर कीस्ट्रोक्स रिकॉर्ड करने का कार्य करता  हैं। वे पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर और अन्य सेंसिटिव  डाटा इनफार्मेशन को स्टोर  करता है जिसे बाद में हैकर को उपलब्ध करा सकता है।
  • Logic Bombs: लॉजिक बम विशेष प्रकार के प्रोग्राम या स्निपेट कोड  होते है जो किसी विशेष समय ,एक्टिविटी के कम्पलीट होने पर सिस्टम में एक्सेक्यूट होकर सिस्टम में अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देते है।
  • Fileless Malware : फाइल लेस मैलवेयर एक प्रकार का मैलवेयर होता है जो कंप्यूटर के System Memory में कार्य  करता है और सिस्टम के Hard Disk में किसी तरह निशान नहीं छोड़ता है जिससे इसे ट्रैक करना बहुत कठिन कार्य होता है।
  • Firmware Malware: फ़र्मवेयर-लेवल मैलवेयर कंप्यूटर या डिवाइस फ़र्मवेयर को इन्फेक्ट  करता है, जो low level hardware ऑपरेशन  के लिए रेस्पोंसिबल होता  है। इस प्रकार के मैलवेयर को सिस्टम में ट्रैक करना और रिमूव करना हटाना चुनौतीपूर्ण  कार्य होता है।  इसे सिस्टम के Operating System के फॉर्मेट  करने के बाद भी बना रह सकता है।

कैसे पता करे की सिस्टम मैलवेयर से इन्फेक्टेड है

malware kya Hai में आपको इसके प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय करना चाहिए जिससे आप सॉफ्टवेयर , डाटा और नेटवर्क के परफॉरमेंस को डाउन होने से बचा सके।

  • कंप्यूटर की परफॉरमेंस पहले की तुलना में अचानक डाउन हो जाये।
  •  सिस्टम में इनस्टॉल वेब ब्राउज़र रेडिरेक्ट हो मतलब की आप जिस वेबसाइट पर जाना चाहते है ब्राउज़र उस पर न जाये।
  • सिस्टम द्वारा कुछ अलर्ट मैसेज दिखाया जाये , सॉफ्टवेयर आटोमेटिक क्रैश या शटडाउन हो जाये।
  • सिस्टम में बार-बार पॉप-अप विज्ञापन दिखाए जाए।

मैलवेयर से बचाव के तरीके

अभी तक के आपने जाना की Malware Kya Hai , यह कितने प्रकार के होते है और इससे कंप्यूटर और नेटवर्क को किस तरह के नुकसान हो सकते है। सिस्टम को मैलवेयर से प्रोटेक्ट करने के लिए कुछ आवश्यक कार्य किये जा सकते है  यदि आप सिस्टम को मैलवेयर से प्रोटेक्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको नीचे बताये गए स्टेप्स को फॉलो करना चाहिए।

  • अच्छा एंटीवायरस और एंटी मैलवेयर सॉफ्टवेयर इनस्टॉल करे:  सिस्टम को मैलवेयर से प्रोटेक्ट करने के लिए एक अच्छा एंटीवायरस और एंटी मैलवेयर सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल करना चाहिए।
  • ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर को अपडेट करे :  सिस्टम में इनस्टॉल ऑपरेटिंग सिस्टम , सॉफ्टवेयर , Application Software , प्रोडक्टिविटी सॉफ्टवेयर आदि को समय समय पर अपडेट करना चाहिए।  सॉफ्टवेयर को अपडेट करने से सिस्टम को सिक्योरिटी के नए Patches मिलते है जो सिस्टम को अधिक सिक्योर करने में मदद करते है।
  • फ़ायरवॉल को इनेबल और कॉन्फ़िगर करे : सिस्टम को मैलवेयर से प्रोटेक्ट करने के लिए Firewall को कॉन्फ़िगर करें जिससे सिस्टम में Incoming और outgoing ट्रैफिक को सही से Monitor किया जा सके। अधिकांश ऑपरेटिंग सिस्टम में Firewall Feature इनबिल्ड होता है । एक्स्ट्रा प्रोटेक्शन के लिए आप थर्ड पार्टी फ़ायरवॉल का इस्तेमाल कर  सकते है।
  • ईमेल एक्सेस और फाइल डाउनलोड में सावधानी रखे :  ईमेल अटैचमेंट ओपन करते समय या किसी अनजान लिंक पर क्लिक करते समय सावधानी  रखे , खासकर यदि ईमेल किसी अनजान या  अनट्रस्टेड सोर्स से आया हो  । अनट्रस्टेड वेबसाइटों, Torrent या Peer-To-Peer network से फ़ाइलें डाउनलोड करने से बचें।
  • स्ट्रांग और यूनिक पासवर्ड रखे : अपने अकाउंट के लिए स्ट्रांग , काम्प्लेक्स और यूनिक पासवर्ड बनाये और कोशिश करे की प्रत्येक अकॉउंट के लिए अलग पासवर्ड रहे। अपने पासवर्ड को सुरक्षित तरीके से स्टोर  और मैनेज  करने के लिए पासवर्ड मैनेजर का उपयोग करना चाहिए ।
  • Enable Two-Factor Authentication (2FA): यदि संभव हो तो ऑनलाइन लॉगिन के लिए 2FA  या Two Factor Authentication का उपयोग करना चाहिए। लॉगिन के लिए 2FA का इस्तेमाल करने में सिक्योरिटी की एक एक्स्ट्रा लेयर लग जाती है जो लॉगिन करने के लिए आपके रजिस्टर मोबाइल में सिक्योरिटी कोड सेंड करती है।
  • नियमित रूप से बैकअप ले : किसी एक्सटर्नल  डिवाइस या क्लाउड स्टोरेज में अपने महत्वपूर्ण डाटा  और फ़ाइलों का रेगुलर बैकअप लेना चाहिए । मैलवेयर इन्फेक्शन या Data लॉस होने पर आप बैकअप से डाटा रिस्टोर कर सकते है।
  • अपने नेटवर्क सिक्योर करें: अपने Wi-Fi Network को एक स्ट्रांग  पासवर्ड से सिक्योर  करें, नेटवर्क एन्क्रिप्शन को इनेबल  करें।  यदि आवश्यक हो तो नेटवर्क फ़ायरवॉल या अन्य सिक्योरिटी प्रोटेक्शन डिवाइस का उपयोग किया जा सकता है।
  • फ़ायरवॉल या VPN का इस्तेमाल करे : सिस्टम को  पब्लिक नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिए फ़ायरवॉल , VPN आदि का इस्तेमाल करना चाहिए और इंटरनेट एक्सेस के लिए सही  इनकमिंग और आउटगोइंग रूस बनाना चाहिए।   

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siya

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