programming languages in hindi: कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी के ज़माने के हर क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। फिर चाहे आप मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करें , कंप्यूटर, वेबसाइट, या स्मार्ट डिवाइस का इस्तेमाल करे सभी जगह प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग किया जाता है। कंप्यूटर लैंग्वेज वह माध्यम है जिससे इंसान कंप्यूटर को कार्य करने का इंस्ट्रक्शन , या कमांड दे सकता है।
इसे आप ऐसे समझ सकते है की बिना Programming Languages के कंप्यूटर काम नहीं कर सकता क्योंकि कंप्यूटर केवल 0 और 1 की लैंग्वेज (machine language) को ही समझता है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज मनुष्य को समझने वाली लैंग्वेज होती है जिसे कंप्यूटर को समझने और कार्य करने योग्य बनाया जाता है । इस आर्टिकल में हम प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (programming languages in hindi) के बारे में विस्तार से जानेंगे, उनकी जरूरत, प्रकार और कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और इससे जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या है? (What Is Programming Languages In Hindi)
Computer Programming Languages एक विशेष प्रकार की लैंग्वेज होती है जिसका उपयोग कंप्यूटर को इंस्ट्रक्शन देने के लिए उपयोग किया जाता है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कंप्यूटर और मनुष्य के बीच एक तरह से कम्युनिकेशन ब्रिज की तरह कार्य करता है। कंप्यूटर लैंग्वेज के माध्यम से ही हम कंप्यूटर को इंस्ट्रक्शन या कमांड देते है कि कंप्यूटर को क्या करना है और किसी टास्क को किस क्रम में करना है।
कंप्यूटर स्वयं कुछ नहीं समझता उसे किसी कार्य को करवाने के लिए हमें स्पष्ट और क्रमबद्ध इंस्ट्रक्शन देने आवश्यकता होती हैं, जो कि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के माध्यम से किया जा सकता है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग सॉफ्टवेयर, एप्लिकेशन, वेबसाइट, गेम और अन्य डिजिटल सिस्टम को डेवलप करने में किया जाता है। हर Programming Languages का अपना एक नियमावली होती है, जिसे “Syntax” कहा जाता है।
यह नियम बताते हैं कि किसी प्रोग्राम के लिए कोड किस तरीके से लिखा जाना चाहिए। मुख्य रूप से प्रोग्रामिंग लैंग्वेज दो प्रकार की हो सकती हैं, High-level और Low-level। हाई लेवल लैंग्वेज मनुष्यों को समझने में आसान होती है , जबकि लो लेवल लैंग्वेज मशीनो को समझने के लिए उपयोग की जाती है। आज के समय में कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे कि Python, Java, C++, JavaScript आदि को शामिल किया गया है।

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इतिहास (History Of Programming languages In hindi)
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी शुरुआत 19वीं सदी से माना जाता है। जब दुनिया की पहली प्रोग्रामर एडा लवलेस (Ada Lovelace) ने चार्ल्स बैबेज(Charles Babbage) की एनालिटिकल मशीन के लिए पहला अल्गोरिथम लिखा था । इसे कंप्यूटर लैंग्वेज के लिए सबसे शुरुआती आईडिया माना जा सकता था जिसमे कंप्यूटर को कुछ इंस्ट्रक्शन दिए जा सकते हैं।
1940 और 1950 के दशक में पहली इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर मशीनें बनायीं गयी और साथ ही पहली प्रोग्रामिंग भाषाएं भी डेवलप की गयी जैसे मशीन लैंग्वेज और असेंबली लैंग्वेज। ये कंप्यूटर लैंग्वेज हार्ड वेयर डिवाइस से डिरेक्टली कम्यूनिकेट करती थी लेकिन इन्हे समझना थोड़ा कठिन होता था।
1957 में Fortran नामक हाई लेवल लैंग्वेज को डेवलप किया गया, इसका उपयोग साइंटिस्ट और मैथमैटिक्स कैलकुलेशन के लिए किया जाता था । इसके बाद COBOL (1959) बिज़नेस प्रोग्रामिंग को डेवलप किया गया। 1960 और 70 के दशक में BASIC, C, और Pascal जैसी लैंग्वेज को डेवलप किया गया, जिन्हें सीखना और इस्तेमाल करना आसान था। 1980 और 90 के दशकों में C++, Java जैसी मॉर्डन लैंग्वेज को डेवलप किया गया जिन्हे सीखना और उपयोग करना पहले के मुक़ाबले आसान था।
आज के समय में Python, JavaScript, और Ruby जैसी मॉर्डन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज अधिक पॉपुलर है जो उपयोग में आसान और पहले के मुकाबले पॉवरफुल है। आज हजारों प्रोग्रामिंग भाषाएं मौजूद हैं जिनका उपयोग अलग अलग जरूरतों के लिए किया जाता है।
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प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की पीढ़ियाँ (Generations of Programming languages In Hindi)
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का डेवलपमेंट समय के साथ अलग-अलग चरणों (Generations) में हुआ है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को मुख्य रूप से 5 प्रमुख जनरेशन में बांटा गया है हर जनरेशन में प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को पहले के मुकाबले अधिक एडवांस, उपयोगी और फ़ास्ट बनाया गया।

- पहली पीढ़ी – (Machine Language): इस जनरेशन की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में सिर्फ 0 और 1 (बाइनरी कोड) का इस्तेमाल किया जाता था। कंप्यूटर इसी भाषा को समझता था जिसे मनुष्यो के लिए लिखना और पढ़ना मुश्किल था।
- दूसरी पीढ़ी – (Assembly Language): इस जनरेशन की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में संक्षिप्त शब्द (कोड) होते हैं जैसे ADD, SUB। यह प्रोग्रामिंग लैंग्वेज पहले के मुकाबले सरल थी लेकिन इसे समझने में भी टेक्निकल नॉलेज की जरुरत पड़ती थी।
- तीसरी पीढ़ी – (High-Level Language): थर्ड जनरेशन की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज हाई लेवल लैंग्वेज होती है जैसे C,C++, BASIC, FORTRAN। ये अंग्रेज़ी जैसी होती हैं, जिन्हें पढ़ना-समझना आसान होता है और कोडिंग फ़ास्ट होती है।
- चौथी पीढ़ी – (Very High-Level Language) इस जनरेशन की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में यूज़र्स के उपयोग के लिए बनायीं गयी लैंग्वेज शामिल थी जैसे SQL, MATLAB। इनका उद्देश्य कम कोड में अधिक काम करना होता है, और ये तेज़ी से परिणाम देती हैं।
- पांचवीं पीढ़ी – (AI Language): जनरेशन की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में प्रो-लॉजिक (Prolog), LISP जैसी लैंग्वेज को शामिल किया गया था । ये कंप्यूटर को सोचने और निर्णय लेने के लिए डिज़ाइन की गई लगॉगे होती हैं, उदाहरण के लिए AI और मशीन लर्निंग आदि ।
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प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के प्रकार (Types of Programming Languages In Hindi)
Computer Language कई प्रकार की होती हैं जिनका उपयोग कंप्यूटर के साथ कम्युनिकेशन करने , अनेको प्रकार के एप्लीकेशन , सॉफ्टवेयर बनाने, समस्याओं का समाधान करने के लिए आदि के लिए किया जाता है।

Low Level Language
मशीन लैंग्वेज कंप्यूटर द्वारा समझी जाने वाली सबसे पहली और सबसे बेसिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज होती है। इसे Low Level Language भी कहा जाता है क्योंकि यह सीधे कंप्यूटर के हार्डवेयर से कम्यूनिकेट करती है। मशीन लैंग्वेज केवल 0 (शून्य) और 1 (एक) के रूप में लिखी जाती है, जिसे Binary Code कहा जाता है।
इस लैंग्वेज में लिखे गए इंस्ट्रक्शन या कमांड कंप्यूटर डिरेक्टली रीड कर सकता है, इसलिए यह बहुत फ़ास्ट और एक्यूरेट कंप्यूटर लैंग्वेज होती है। लेकिन इंसानों के लिए इसे समझना और लिखना बहुत कठिन होता है क्योकि इसके इंस्ट्रक्शन बाइनरी में लिखे होते थे । इसी कारण इस लैंग्वेज को सरल,आसान और समझने योग्य बनाने के लिए असेंबली और हाई-लेवल लैंग्वेज को डेवलप किया गया।

High Level Language
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में उपयोग होने वाली हाई-लेवल लैंग्वेज को इंसान आसानी से समझ सकता है। यह लैंग्वेज मशीन लैंग्वेज और असेंबली लैंग्वेज की तुलना में सरल और यूजर फ्रैंडली होती थी। इस लैंग्वेज में प्रोग्रामिंग करने के लिए इंग्लिश के वर्ड्स और वाक्यों का उपयोग किया जाता है, जिससे प्रोग्राम लिखना आसान हो जाता है। C, C++, Java, Python, और BASIC आदि हाई-लेवल लैंग्वेज के कुछ मुख्य उदाहरण हैं।
इस Language में लिखे गए प्रोग्राम को कंप्यूटर सीधे तरीके से समझ नहीं सकता है, इसलिए उसे पहले कंपाइलर या इंटरप्रेटर की मदद से मशीन लैंग्वेज में ट्रांसलेट करना पड़ता है। हाई-लेवल लैंग्वेज प्रोग्रामिंग को फ़ास्ट, आसान और सरल बनाता है। इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के माध्यम से नए प्रोग्रामर और स्टूडेंट आसानी से सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन डेवलप कर सकते है। हाई-लेवल लैंग्वेज ने प्रोग्रामिंग को सरल और सामान्य लोगो के लिए आसान बना दिया।

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Assembly Language
असेंबली लैंग्वेज एक प्रकार की लो-लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज होती है जो मशीन लैंग्वेज से थोड़ी आसान होती है। इसमें बाइनरी कोड (0 और 1) की जगह छोटे-छोटे सिम्बल्स या कोड वर्ड्स (जैसे MOV, ADD, SUB) का उपयोग किया जाता है, जिन्हें मनीमोनिक (Mnemonic) कहा जाता है। यह लैंग्वेज इंसानों के लिए मशीन लैंग्वेज से अधिक समझने योग्य होती है लेकिन फिर भी इसे सीखना और उपयोग करना कठिन होता है।
असेंबली लैंग्वेज में लिखे गए प्रोग्राम को कंप्यूटर समझ सके, इसके लिए एक विशेष प्रोग्राम का उपयोग किया जाता है जिसे असेंबलर (Assembler) कहा जाता है। असेंबली लैंग्वेज का उपयोग तब किया जाता है जब हमें हार्डवेयर के साथ डायरेक्ट कम्यूनिकेट करना होता है जिसके लिए हाई स्पीड या कंट्रोल की ज़रूरत होती है । असेंबली लैंग्वेज का उपयोग मुख्य रूप से सिस्टम प्रोग्रामिंग और एम्बेडेड सिस्टम्स में किया जाता है।

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कैसे काम करती है (Working Of Programming Languages In Hindi)
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज एक ऐसी लैंग्वेज होती है जिससे इंसान कंप्यूटर को काम करने के लिए इंस्ट्रक्शन या कमांड देने के लिए उपयोग करता है। हम जब किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे Python, Java, या C में कोड लिखते हैं, तो वह कोड इंसानों को समझना आसान जाता है
लेकिन इस तरह की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को कंप्यूटर आसानी से समझ नहीं पाता इसलिए उस कोड को पहले कंपाइलर या इंटरप्रेटर नाम के प्रोग्राम की मदद से मशीन लैंग्वेज (0 और 1) में बदला जाता है। इस तरह कोड ट्रांसलेट होने के बाद कंप्यूटर को मशीन भाषा में इंस्ट्रक्शन मिलते हैं, तो वह कोड को एक-एक करके रीड करता है और उसी के अनुसार काम करता है। इस तरह प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इंसानों और कंप्यूटर के बीच एक के तरह से कम्युनिकेशन ब्रिज की तरह कार्य करता है

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प्रोग्रामिंग और कोडिंग में अंतर (Difference Between Programming and Coding)
आज के डिजिटल युग में कंप्यूटर, मोबाइल ऐप्स और वेबसाइटें हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुके है । इन सभी को बनाने और चलाने के प्रोग्रामिंग और कोडिंग को समझना आसान ही जाता है । प्रोग्रामिंग और कोडिंग दोनों वर्ड सुनने में अक्सर एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनका अर्थ और उपयोग थोड़ा अलग होता है।

प्रोग्रामिंग क्या है? (What is Programming in Hindi)
प्रोग्रामिंग एक प्रकार की प्रोसेस होती है जिसके ज़रिए हम कंप्यूटर को बताते हैं कि उसे कंप्यूटर या अन्य डिवाइस में क्या करना है और कैसे करना है। इसमें हम विशेष कंप्यूटर लैंग्वेज जैसे कि C, C++, Java, Python आदि का इस्तेमाल करके स्टेप बाय स्टेप तरीके से इंस्ट्रक्शन (Instructions) का एक सेट लिखते हैं जिन्हें कंप्यूटर समझ कर काम करता है प्रोसेस को कोड (Code) कहा जाता है।
यह कोड कंप्यूटर को बताता है कि किसी टास्क को कैसे और कब करना है। जैसे इंसान भाषा समझकर काम करता है, वैसे ही कंप्यूटर कोड को समझकर काम करता है। प्रोग्रामिंग की मदद से हम सॉफ्टवेयर, वेबसाइट, गेम और मोबाइल ऐप बना सकते हैं। कोडिंग एक प्रकार से क्रिएटिव और लॉजिकल थिंकिंग पर आधारित एक प्रोसेस होती है।

कोडिंग क्या है? (What is Coding in Hindi)
कोडिंग का मतलब होता है प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में वास्तविक कोड लिखना। यह प्रोग्रामिंग का हिस्सा होती है। जैसे अगर प्रोग्रामिंग सोचने, योजना बनाने और इंस्ट्रक्शन का ढांचा बनाने का कार्य है, तो कोडिंग उन इंस्ट्रक्शन को कंप्यूटर भाषा में बदलने का कार्य है।
कोडिंग एक प्रक्रिया है जिसमें हम कंप्यूटर को काम करने के लिए इंस्ट्रक्शन देते हैं। इसे कंप्यूटर लैंग्वेज में लिखा जाता है, जिसे “कोड” कहते हैं। जैसे हम इंसानों को बात करने के लिए हिंदी या अंग्रेज़ी की ज़रूरत होती है, वैसे ही कंप्यूटर को इंस्ट्रक्शन देने के लिए कोडिंग की ज़रूरत होती है। कोडिंग के ज़रिए हम वेबसाइट, ऐप, गेम और सॉफ्टवेयर बना सकते हैं। यह कंप्यूटर और इंसान के बीच कम्युनिकेशन का माध्यम होता है।
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Assembler, Compiler और Interpreter क्या है?
जब भी हम कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के बारे में चर्चा करते है तो हमें अक्सर Assembler, Compiler और Interpreter शब्दो से रूबरू होना पड़ता है। बहुत के लोगो को इनका मतलब पता नहीं होता है जिन्हे आपको समझना बेहद आवश्यक है।

असेंबलर क्या है? (What Is Assembler)
असेंबलर एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जो असेंबली भाषा (Assembly Language) में लिखे गए कोड को मशीन भाषा (Machine Language) में बदलने का कार्य करता है। असेंबली लैंग्वेज इंसानों के लिए थोड़ी समझने लायक होती है, लेकिन कंप्यूटर केवल 0 और 1(बाइनरी कोड) लैंग्वेज यानी मशीन भाषा को ही समझता है। इसलिए असेंबलर का काम होता है कि वह असेंबली लैंग्वेज को मशीन को समझ आने वाले कोड में बदल सके । इसे एक प्रकार का ट्रांसलेटर भी कहा जा सकता है। असेंबलर की मदद से हम लो-लेवल प्रोग्रामिंग करके कंप्यूटर के हार्डवेयर को कंट्रोल कर सकते हैं।
कंपाइलर क्या है? (What Is Compiler)
कंपाइलर एक विशेष प्रकार का कंप्यूटर प्रोग्राम होता है जो हाई लेवल लैंग्वेज (High-Level Language) में लिखे गए कोड को मशीन लैंग्वेज (Machine Language) में ट्रांसलेट करने का कार्य करता है ताकि कंप्यूटर उसे आसानी से समझ सके और उस पर काम कर सके। उदाहरण के लिए, अगर हम C, C++ या Java जैसी लैंग्वेज में कोई प्रोग्राम लिखते हैं, तो कंपाइलर इस लिखे गए कोड को एक बार में पूरा पढ़ता है और मशीन कोड में ट्रांसलेट कर देता है। इसके बाद कंप्यूटर उस कोड को चलाता है। कंपाइलर प्रोग्राम में हुई गलतियों (Errors) को भी बताता है, जिससे उन्हें ठीक किया जा सके।
इंटरप्रेटर क्या है? (What Is Interpreter)
इंटरप्रेटर एक प्रकार का कंप्यूटर प्रोग्राम होता है जो High-Level Language में लिखे गए कोड को लाइन-दर-लाइन रीड करता है और मशीन लैंग्वेज में बदलकर कंप्यूटर को बताता है कि क्या करना है। इसका मतलब है कि इंटरप्रेटर प्रोग्राम को एक साथ पूरा नहीं बल्कि एक-एक लाइन करके समझता और चलाता है। जैसे Python और JavaScript में इंटरप्रेटर का इस्तेमाल होता है। अगर कोड में कोई गलती होती है तो इंटरप्रेटर तुरंत उसे दिखा देता है। यह प्रोग्रामिंग सीखने और प्रोग्रामिंग टेस्टिंग करने के लिए बहुत उपयोगी होता है।
लोकप्रिय प्रोग्रामिंग भाषाएं (Popular Programming Languages In Hindi)
आज के समय में सैकड़ो कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है जिसका उपयोग अलग अलग उद्देश्य को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है। अगर हमें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखना हो तो बहुत ही असमंजस की बात हो जाती है की कौन सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखा जाए। अगर बात पॉपुलर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की करे तो इसकी भी एक लम्बी लिस्ट होती है। नीचे आप कुछ लोकप्रिय प्रोग्रामिंग की लिस्ट देख सकते है।

- Python – सरल, फ़ास्ट और पॉपुलर लैंग्वेज
- Java – प्लेटफॉर्म इंडिपेंडेंट, मोबाइल और वेब के लिए
- C – सिस्टम प्रोग्रामिंग के लिए पॉवरफुल लैंग्वेज
- C++ – ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड एक्सटेंशन ऑफ C
- JavaScript – वेब पेज को इंटरएक्टिव बनाने के लिए
- PHP – वेब सर्वर स्क्रिप्टिंग में उपयोगी
- Swift – Apple ऐप बनाने के लिए
- Ruby – सिंपल और प्रोडक्टिव लैंग्वेज ,
- HTML – यह एक मार्कअप लैंग्वेज है, वेबसाइट बनाने के लिए

प्रोग्रामर कौन होता है? (Who is a Programmer)
प्रोग्रामर वह व्यक्ति होता है जो कंप्यूटर के लिए प्रोग्राम या कोड लिखने का कार्य करता है। प्रोग्रामर काम होता है कंप्यूटर को यह बताना कि उसे क्या करना है और कैसे करना है। प्रोग्रामर अलग-अलग प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे Python, C++, Java आदि का इस्तेमाल करता है। वह वेबसाइट, ऐप, गेम, सॉफ्टवेयर और सिस्टम डेवलप करने में मदद करता है। एक प्रोग्रामर में समस्या को हल करने की क्षमता और लॉजिक थिंकिंग होनी चाहिए। सरल शब्दों में, प्रोग्रामर कंप्यूटर को समझने वाली भाषा में इंस्ट्रक्शन लिखने वाला व्यक्ति होता है।
प्रोग्रामर कैसे बनें? (How To Become a Programmer)
प्रोग्रामर बनने के लिए सबसे पहले आपको कंप्यूटर की बेसिक जानकारी जैसे की कंप्यूटर, ऑपरेटिंग सिस्टम, डेटा स्ट्रक्चर आदि की समझ होनी चाहिए। इसके बाद किसी एक प्रोग्रामिंग भाषा जैसे Python, C, C++ या Java से कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखने की शुरुवात किया जा सकता है। आप ऑनलाइन कोर्स, यूट्यूब वीडियो या प्रोग्रामिंग बुक्स की मदद से प्रोग्रामिंग सीख सकते हैं। रोज़ाना कोड लिखने और प्रैक्टिस करने से आपकी समझ बेहतर होगी।
छोटे-छोटे प्रोजेक्ट बनाकर अनुभव बढ़ाएं। कोडिंग से जुड़ी समस्याएं हल करना सीखें और अपनी सोच को क्रिएटिव , लॉजिक और विस्तृत बनाएं। धीरे-धीरे आप एक अच्छे प्रोग्रामर बन सकते हैं। अगर संभव हो तो कंप्यूटर साइंस या आईटी से जुड़े कंप्यूटर प्रोग्रामिंग कोर्स BCA, MCA या सर्टिफिकेट कोर्स किया जा सकते है। करें, यह आपके करियर में मदद करेगा।
प्रोग्राम क्या होता है? (What is Programming)
प्रोग्रामिंग एक प्रकार का प्रोसेस होता है जिसके जरिए हम कंप्यूटर को काम करने के लिए इंस्ट्रक्शन देते हैं। इसमें हम कोड (Code) लिखते हैं जो कंप्यूटर को बताता है कि उसे क्या करना है और कैसे करना है। यह कोड किसी विशेष लैंग्वेज में लिखा जाता है जिसे प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Language) कहते हैं, जैसे Python, C, Java आदि। कंप्यूटर खुद से कुछ नहीं करता, उसे इंसान के इंस्ट्रक्शन या कमांड की जरूरत होती है, और यही काम प्रोग्रामिंग के जरिए होता है। प्रोग्रामिंग की मदद से हम वेबसाइट, मोबाइल ऐप, गेम, सॉफ्टवेयर और बहुत कुछ बना सकते हैं।
निष्कर्ष
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज टेक्नोलॉजी को एडवांस और उपयोगी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। चाहे मोबाइल ऐप हो, वेबसाइट हो या बैंकिंग सिस्टम हर जगह प्रोग्रामिंग की ज़रूरत होती है। यदि आप प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखना चाहते है तो इसके लिए आपको धैर्य, निरंतर अभ्यास और सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। प्रोग्रामिंग केवल कोड लिखना नहीं, बल्कि सोचने की एक कला है होती है जिसमे प्रोग्रामर कुछ अलग कर सकता है । यदि आप इस क्षेत्र में रुचि रखते हैं, तो प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीख कर आप एक सफल करियर बना सकते हैं।
उम्मीद करते है की Programming Languages in hindi आर्टिकल में आपको कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के बारे में अच्छी और सही जानकारी मिली होगी किसी तरह के सवाल और डाउट के लिए कमेंट करे।
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