हम जानेगे की operating system kya hai और हम जानेगे की ऑपरेटिंग कितने प्रकार के होते है , इसके मुख्य कार्य क्या होते है तो ऑपरेटिंग सिस्टम के अच्छे से जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।
Computers के आने बाद हमारे काम और भी सरल और आसान हो गए है। आप किसी भी जगह जाये जैसे की ऑफिस , रेलवे स्टेशन , बैंक , बस स्टाफ , मॉल , या कोई भी काम ऑनलाइन करे सभी जगह आपको ज्यादातर काम computer पर ही किये जाते है। कंप्यूटर्स के आने के पहले तो सारी चीजे मनुष्य द्वारा हाथों से की जाती थी, पर अब यह सब कंप्यूटर के द्वारा सिर्फ एक क्लिक से संभव हो पाया है है। एक कंप्यूटर कई component और डिवाइस से मिल कर बना होता है जिसे हम हार्डवेयर कहते है कंप्यूटर की सोल operating system को कहा जाता है, यह कंप्यूटर में आत्मा और जान के जैसे कार्य करता है जो hardware और software के बीच interface का काम करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है Operating System Kya Hai
आपने ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम बहुत बार सुना होगा क्योकि इसका उपयोग हर एक एलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में जैसी की कंप्यूटर , लैपटॉप , मोबाइल , स्मार्टवॉच , टीवी , फ्रीज़ , AC इत्यादि में। ऑपरेटिंग सिस्टम किसी भी डिवाइस का जान या फिर आत्मा कह सकते है जैसे बिना आत्मा के कोई जीवित नहीं रह सकता और न कौर काम कर सकता प्रकार बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के कोई भी डिवाइस वो चाहे कंप्यूटर हो या फिर अन्य कोई डिवाइस। लेकिन इस आर्टिकल हम जानेगे की operating system Kya hai इसका क्या काम होता है और यह कितने प्रकार के होते है
Operating system एक program है जो यूजर और computer hardware के बीच का इंटरफ़ेस होता है और सभी प्रोग्राम्स को कंट्रोल करने के साथ साथ Execute भी करता है। आप कह सकते है की operating system कंप्यूटर की जान होता है। OS एक सॉफ्टवेयर समूह है जो की कंप्यूटर के सभी बेसिक टास्क लाइक file management , memory management, process management, ,कंप्यूटर में क्या input किया जा रहा है और रिजल्ट के तौर पर क्या output देना है, साथ मे peripheral devices लाइक ,disk drives और printers को भी ऑपरेटिंग सिस्टम ही कंट्रोल करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
Operating system को कई पैरामीटर्स के बेसिस पर अलग अलग बांटा गया है, जैसे वर्किंग बेसिस पर ,Generation के बेसिस पर इसके के प्रकार होते है आइये जानते है कि OS कितने प्रकार के होते है और उनका क्या उपयोग है और किस ऑपरेटिंग सिस्टम को कहा इस्तेमाल किया जाता है यूजर के वर्क के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम को मुख्य दो भागों में बाटा गया है
- सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम Single User Operating System
- मल्टीयूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम Multi User Operating System
Single User Operating System kya hai
सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम वाले कंप्यूटर में एक समय पर सिर्फ एक ही यूजर काम कर सकता है इस सिस्टम पर एक से ज्यादा यूजर एकाउंट बनाये जा सकते है लेकिन इसका उपयोग सिर्फ एक आदमी ही करता है उदाहरण जिस तरह के कंप्यूटर को आप अधिकतर सभी जगह देखने को मिलते है जिन्हे हम पर्सनल कंप्यूटर और लैपटॉप के नाम से जानते है इनमे उपयोग होने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम विंडोज 7 ,8 , 10 उबुन्टु, MacOS इत्यादि है
Multiuser Operating System kya hai
मल्टीयूज़र ऑपरेटिंग सिस्टम पर एक से अधिक यूजर एक टाइम में ही काम कर सकते है ।Linux और विंडोज OS से बनाये गए सर्वर में हम एक साथ बहुत से लोग काम कर सकते है।समय के साथ आधुनिक कंप्यूटर्स में भी बदलाव आते गए। और साथ ही ऑपरेटिंग सिस्टम में भी बदलाव होते गए।
जनरेशन के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम
जनरेशन के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम कर उसके मुख्य कार्य और कार्य क्षमता का विवरण कुछ इस प्रकार है Generation Of Computer In Hindi ऑपरेटिंग सिस्टम निम्न प्रकार के होते है।
Batch Operating System kya hai
Batch Operating System कंप्यूटर से जुड़कर सीधे तौर पर काम नही करता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक ऑपरेटर होता है जो एक तरह के कामों का ग्रुप बनाकर Batch में कन्वर्ट कर देता है। यह operator की जिम्मेदारी है कि सिमिलर जॉब्स को पहचाने और फिर उन जॉब्स को जरूरत के अनुसार सिस्टम को provide करे । Batch OS दूसरे कंप्यूटर जेनरेशन का पहला ऑपरेटिंग सिस्टम है। Multiple user इस OS पर काम कर सकते है और इसके द्वारा बड़ा काम भी आसानी से किया जा सकता है। लेकिन batch system को debug करना बहुत मुश्किल होता है साथ ही बेच सिस्टम अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम की तुलना में महंगा होता है। उदाहरण – payroll system,bank statement इत्यदि।
Time-Sharing Operating System kya hai
Time-Sharing Operating System के नाम से ही आप अंदाजा लगा सकते है कि हर टास्क के लिए कुछ टाइम दिया जाता है जिससे सभी टास्क आसानी से कम्पलीट हो जाए। जिस तरह से कंप्यूटर में कोई यूजर सिंगल सिस्टम को यूज़ करता है उसी तरह हर यूजर को CPU का टाइम मिलता है। इस सिस्टम को Multitasking system भी कहते हैं। इस सिस्टम में किसी भी टास्क को करने के लिए जो टाइम लगता है उसे Quantum कहते हैं। जैसे ही एक टास्क पूरा होता है OS switch करके दूसरा टास्क करने लगता है। टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम में हर टास्क को बराबर अवसर मिलता है। software को आसानी से duplicate किया जा सकता है। लेकिन reliability problem के साथ साथ data communication में कठिनाई आती है।।उदाहरण – Multics, Unix, etc.
Distributed Operating System kya hai
Distributed Operating System में कई कंप्यूटर single communication channel से connect रहते है. ये स्वतंत्र कंप्यूटर खुद की memory unit और CPU का उपयोग करते है, इन्हें loosely coupled system भी कहते है। इस सिस्टम को पूरी दुनिया बहुत तेज़ी से उपयोग में लाया जा रहा है आधुनिक तकनीक का यह बहुत बड़ा invention है. इस सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यूजर उस file को भी access कर सकता है जो उसके सिस्टम में नहीं है पर कनेक्टेड सिस्टम में है। जो सिस्टम इस network से connected रहते है उनमे यूजर remote access भी कर सकता है। इस network का अगर एक system default होता है, तो बाकी के कंप्यूटर्स पर कोई असर नही पड़ेगा क्योंकि सभी कंप्यूटर independent हैं साथ ही साथ network की scalability को बढ़ाया जा सकता है। लेकिन इस तरह के Operating system का कॉस्ट हाई बहुत अधिक होता है और main network में failure आ गया तो पूरा सिस्टम काम नहीं करता है उदाहरण – Locus .
Network Operating System kya hai
Network Network Operating System सर्वर पर काम करते है और सभी networking function को मैनेज करता है। इस सिस्टम से आप various files और applications को share कर सकते है। साथ ही साथ हर यूजर दूसरे network पर जुड़े यूजर से अवेयर रहता है। इसलिए इस नेटवर्क को tightly coupled network कहते है। इस तरह के operating system में नई तकनीकी और hardware को समय समय पर जरुरत पड़ने पर अपग्रेड किया जा सकता है और सिस्टम की security भी server से ही मैनेज की जा सकती है लेकिन इस सिस्टम की server cost अन्य कंप्यूटर की तुलना में अधिक रहती है और इस तरह के कंप्यूटर में regular updates और maintenance की जरूरत पड़ती है।उदाहरण – Microsoft windows server 2008, linux etc.
Real-Time Operating System
Real-Time Operating System रियल टाइम सिस्टम की तरह कार्य करते है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम में input को रिस्पांड करने के लिए बहुत कम समय लगता है जिसे टेक्नोलॉजीके शब्द में Response time कहते है। ऑपरेटिंग सिस्टमउस जगह यूज़ किये जाते है जहां पर कई events short interval में करने होते है, जैसे की real time simulation। इन OS को strict time requirement में उपयोग में लाया जाता है. जैसे Missile system ,air traffic controller, robots इत्यादि। ये सिस्टम error Free होते है मतलब कह सकते है की इस तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम में गलती होने के चांसेस बहुत कम होते है और मेमोरी एलोकेशन भी बेस्ट तरीके से मैनेज किया जाता है। लेकिन limited task ही किये जा सकते है, साथ ही इस सिस्टम का algorithm बहुत काम्प्लेक्स होता है। रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम दो तरह के होते है –
- Hard real-time operating system
- Soft real time operating system
- Hard real-time operating system : इन operating system में shortest delay भी एक्सेप्ट नही किया जाता। ऑन टाइम रिजल्ट जरूरी रहता है। गाड़ियों के airbag को यही सिस्टम कंट्रोल करते है और इंस्टंटली एक्सीडेंट होने एयरबैग ओपन हो जाते है।
- Soft real time operating system – इन ऑपरेटिंग सिस्टम में समय सीमा hard real time OS की तुलना में कम strict रहती है।
Operating System के कार्य
Operating system कप्यूटर के सभी hardware और software को चलने का कार्य करता है। इसलिए इसे कंप्यूटर की सोल और जान आत्मा भी कहते है। यह सब basic work लाइक, file management, memory एंड process मैनेजमेंट कंप्यूटर्स में यूजर के द्वारा दिए गए इनपुट्स का आउटपुट देना और कप्यूटर में लगे सभी पेरीफेरल डिवाइस की कंट्रोलिंग करना ये सब कुछ कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम सँभालता है। ज्यादातर टाइम कई अलग अलग computer program उसी टाइम पर चलाये जाते है और सभी program को memory allocate करना। स्टोरेज प्रदान करना central processing unit में प्रोसेसिंग करना यह सब कुछ कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम करता है यूजर के इच्छा अनुसार रिजल्ट प्रोवाइड करता है। आइये पॉइंट वाइज समझते है ऑपरेटिंग सिस्टम के क्या काम होते है
Process Management
जब computer में कोई program execute होता है,तो उस program को process कहा जाता हैं। टास्क को पूरा करने के लिए किसी भी process को certain resources की आवश्यकता होती है। resources में C.P.U का time, memory ,files और input या output devices आते हैं।ये resources process को ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा तब allocate होते हैं,जब process रन कर रहा होता है।इस तरह से हर program का operating system द्वारा प्रोसेस किया जाता है।
Main Memory Management
किसी भी computer system में कई तरह के operations किये जाते है उनमे main memory की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्योंकि main memory से ही सीपीयू डेटा को तेजी से एक्सेस करता है। Operating system का ही यह काम है कि present में कौन सा memory का हिस्सा किस process द्वारा यूज़ हो रहा है। Memory का space free होने पर यह decide करना कि memory में कौन सा process load करना है और जरूरत के अनुसार मेमोरी allocate और deallocate करना है इसी प्रोसेस का कार्य होता है
File management
File informatiFile information के द्वारा ही कंप्यूटर के सभी डाटा का collection करना होता है जो इसे बनाने वाले के द्वारा define किया जाता है, और हर file secondary storage device जैसे की हार्डडिस्क , CD ,डीवीडी , Pen drive में store होती है। Operating system का काम होता है कि file को create करना और delete करना । directories को create करना और delete करना। files को secondary storage पर map करना। files का backup करना इत्यादि कार्य इसी के द्वारा किये जाते है ।
Secondary Storage Management
Main memory का size इतना बड़ा होता है कि वह सभी data और programs को store कर सकता है । Main memory में stored data को permanent लिए डाटा को store करने के लिए secondary storage का होना आवश्यक है। Operating system का काम disk के free space को मैनेज करता है यह disk scheduling भी करता है । सेकंडरी स्टोरेज डिवाइस के नाम कुछ इस तरह है हार्डडिस्क , CD ,डीवीडी , Pen drive इत्यादि
ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण
ऑपरेटिंग सिस्टम के कई उदाहरण है जैसे सबसे प्रचलित
- Microsoft windows
- linux
- Ubuntu
- MacOS
- IOS
- Android
- Unix
- windows 10,windows vista, chrome vista,windows XP,
- DOS (disk operating system) etc.
निष्कर्ष
दोस्तों हमने जाना की ऑपरेटिंग सिस्टम क्या ( operating system kya hai) होता है इसके मुख्य कार्य क्या है और यह कितने प्रकार का होता है। अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा तो इसे अपने सोशल मीडिया और दोस्तों के साथ अधिक से अधिक शै करने की कोशिश करे जिससे आपके दोस्तों को भी कंप्यूटर के प्रोग्राम और ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में अच्छे से जानकरी मिल सके
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