इस वेबसाइट के माध्यम से हमने विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर पर बारे चर्चा कर चुके है। पिछले कुछ दशकों से एक विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर का उपयोग अधिक किया जा रहा है। क्योकि ये सॉफ्टवेयर पब्लिक के लिए फ़्री होते है और इनकेलिए अपडेट और सपोर्ट भी मिलता है। अब आप समझ गए होंगे की हम ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर की बात कर रहे है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर क्या है (What is Open Source Software in Hindi ) ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है , इसके प्रमुख कार्य और प्रकार क्या होते है ।
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर क्या है? Open Source Software in Hindi
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर उन्हें कहा जाता है जिनके सोर्स कोड पब्लिक के लिए ओपन रहते है यानी की कोई भी व्यक्ति उनके सोर्स कोड को देख सकता है , उपयोग ,एडिट और डिस्ट्रीब्यूट कर सकता है। ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर फ़्री लाइसेंस सॉफ्टवेयर होते है जिन्हे यूजर एजुकेशन ,टेस्टिंग , इंडस्ट्रियल आदि उदेश्य के लिए उपयोग कर सकता। ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर को यूजर और डेवेलपर एडिट कर सकता , किसी अन्य को शेयर कर सकता है और कुछ सामान्य एडिशन और अपडेशन के बाद स्वयं के नाम या संस्थान से एक नए वर्शन के साथ रिलीज़ भी कर सकता है।

ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर का इतिहास
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर का एक इंट्रेस्टिंग और इनोवेटिव इतिहास रहा है। सोर्स कोड का इतिहास तक से माना जाता है जब से रिसर्चर द्वारा सोर्स कोड को एक दूसरे के साथ शेयर करना एक सामान्य टास्क हुआ करता था। 1980 के दशक में रिचर्ड स्टॉलमैन ने फ्री सॉफ्टवेयर की शुरुवाती किया। स्टॉलमैन का मानना था कि सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर्स के लिए सरल तरीक़े से उपलब्ध होना चाहिए ताकि
वो इसे सही से समझ सके , इसके बारे में सीख सके और इसमे आने वाली समस्या को समझ कर सुधार करके अपनी आवश्यकता अनुसार कस्टमाइज कर सके। स्टॉलमैन ने अपने स्वयं के लाइसेंस से फ्री कोड रिलीज़ करना शुरू किया, जिसे GNU Public License कहा जाता है।
1990 के दशक के अंत तक “ओपन सोर्स” शब्द अधिक प्रचलित होने लगा , जिसने Open Source Initiative (OSI) को डेवलप किया और ओपन सोर्स लाइसेंस के लिए एक स्टैण्डर्ड क्रेटेरिया बनाया गया । लिनक्स और इसके अन्य डिस्ट्रीब्यूशंस OS ने ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर को अधिक पॉपुलर और यूज़र्स और डेवलपर को इस्तेमाल करना और आसान कर दिया।
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के कुछ नाम
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर की एक लम्बी लिस्ट है जिसे टेक्नोलॉजी के विभिन्न क्षेत्रो में टेक्स्ट , एडिटिंग , प्रोग्रामिंग से लेकर डेटाबेस , नेटवर्किंग , सर्वर और ऑपरेटिंग सिस्टम ,सिक्योरिटी अन्य अन्य क्षेत्र में उपयोग किया जाता है। नीचे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के कुछ प्रमुख उदाहरण देख सकते है।
- Linux
- Apache HTTP Server
- Mozilla Firefox
- LibreOffice
- GIMP
- WordPress
- VLC Media Player
- Python
- OpenSSL
- VirtualBox
- Wireshark
- Nextcloud
- Bacula
- Jenkins
- MediaWiki
- SQLite
- Android
- Kodi
- Eclipse
- Audacity
- MariaDB
- Blender
- Joomla
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के फायदे।
टेक्नोलॉजी की दुनिया में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर का उपयोग दिनों दिन बढ़ता जा रहा है आज के समय में कई ऐसे सॉफ्टवेयर है जो सब्सक्रिप्शन लाइसेंस सॉफ्टवेयर की तुलना में अधिक पावरफुल और बेहतरीन फीचर के साथ आते है। सामान्य यूजर और डेवलपर दोनों ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर को उपयोग करते है। नीचे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के कुछ प्रमुख उपयोग समझ सकते है
- ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर मुख्य रूप से फ्री होते है जिनके उपयोग से किसी विशेष यूजर और ओर्गनइजेशन पर वित्तीय खर्च कम पड़ता है।
- ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर को यूजर या संस्थान की जरुरत के अनुसार कस्टमाइज या एडिट और अपडेट करके उपयोग किया जा सकता है।
- ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड सभी प्रकार के इंस्पेक्शन के लिए ओपन रहते है। सोर्स कोड ओपन होने से कोई भी उपयोग करने से पहले इसे आसानी से समझ सकता है।
- ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर को डेवलप और बेहतर बनाने के लिए एक बड़ी कम्युनिटी सहयोग करती है , जिसमें सॉफ्टवेयर अपडेट करना , बग फिक्स करना फ़ीचर ऐड करना शामिल है ।
- यूजर ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करने के लिए किसी तरह के वेंडर अधीन नहीं रहते है वह सॉफ्टवेयर को पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए फ्री होते है।
- एजुकेशन उदेश्य से ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर सबसे अच्छा प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है। इस प्रकार के सॉफ्टवेयर को स्टूडेंट , रिसर्चर , सोर्स कोड में जाकर सॉफ्टवेयर के स्ट्रक्चर आदि को आसानी से समझ सकते है।
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के नुकसान
Open Source Software in Hindi में हमने अभी जाना की ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर उपयोग करने के क्या फ़ायदे हो सकते है लेकिन सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करने से पहले इसके उपयोग से होने वाले नुकसान के बारे में भी अलर्ट रहना चाहिए।
- प्रोप्राइटरी सॉफ्टवेयर (लाइसेंस सॉफ्टवेयर ) में वेंडर द्वारा सॉफ्टवेयर के लिए स्पेसिफिक कस्टमर सपोर्ट मिलता है जबकि ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर में किसी प्रकार की समस्या के लिए कम्युनिटी या फोरम पर निर्भर रहना पड़ता है।
- ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर को सीखने में अधिक समय लग सकता है क्योकि इनके फ़ीचर को समझने के लिए कोई सपोर्ट नहीं होता है जबकि वेंडर सॉफ्टवेयर के फ़ीचर यूजर फ्रेंडली और आसानी से समझ आते है।
- यूजर की मानसिकता के कारण भी ओपन सोर्स की जगह लाइसेंस सॉफ्टवेयर का उपयोग अधिक किया जाता है।
- कई ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर को हाई क्वालिटी कोड के साथ डिजाइन किये जाते है और इनके सही डॉक्यूमेंटेशन ,टेस्टिंग टूल्स न होने से मेन्टेन और ट्रबलशूट करना कठिन हो जाता है।
- ओपन-सोर्स लाइसेंस अलग-अलग नियमों और शर्तों के साथ आते हैं जिन्हें यूज़र्स और डेवलपर्स को समझ कर उपयोग करना होता है । ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर का गलत तरीके से इस्तेमाल करने या वोइलशन होने पर कानूनी समस्या हो सकती है।
- यदि किसी संस्थान द्वारा ओपन सॉफ्टवेयर (जैसे की Linux OS ) का इस्तेमाल किया जाना है तो उसके लिए एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर में एक्सपर्ट और प्रोफेशनल इंजीनियर को रखना पड़ता है जो की संस्थान के लिए एक एक्स्ट्रा खर्च हो सकता है।
ओपन सोर्स और क्लोज्ड सोर्स सॉफ्टवेयर में अंतर
ओपन सोर्स कोड सॉफ्टवेयर के बारे में अच्छे से समझने के बाद आपके मन में एक सवाल जरूर आया होगा की ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर और क्लोज सॉफ्टवेयर में क्या अंतर है तो इसके लिए आप नीचे बताये गए टेबल से दोनों के अंतर को आसानी से समझ सकते है।

Open Source | Close Source Software |
सॉफ्टवेयर के साथ लाइसेंस फ्री में दिया जाता है जिससे यूज़र्स को सोर्स कोड में जाना और एडिट करना करना आसान हो जाता है | एक रेस्ट्रिकटेड लाइसेंस के साथ आते है जो आम तौर पर यूजर को सोर्स कोड तक पहुंचने या एडिट करने से रोकते है। |
सोर्स कोड को कोई भी एक्सेस कर सकता है | सोर्स कोड को यूजर या डेवलपर द्वारा एक्सेस नहीं किया जा सकता है। |
यूजर अपनी आवश्यकता के अनुसार सॉफ्टवेयर को कस्टमाइज या एडिट कर सकता है। | सॉफ्टवेयर को मॉडिफाई करना वेंडर या विक्रेता द्वारा कुछ हद तक किया जा सकता है। |
सॉफ्टवेयर में कोई समस्या आने पर इसका समाधान सिर्फ कम्युनिटी , फोरम या यूज़र्स द्वारा दिया जाता है। | सॉफ्टवेयर वेंडर द्वारा ऑफिसियल कस्टमर सपोर्ट सर्विस दी जाती है। |
मुख्य रूप से फ्री सॉफ्टवेयर होते है जिससे यूज़र्स और ओर्गनइजेशन को फाइनेंसियल सपोर्ट मिलता है। | इस प्रकार के सॉफ्टवेयर को उपयोग करने के लिए फीचर और उपयोग के अनुसार लाइसेंस खरीदना पड़ता है। |
सिक्योरिटी सपोर्ट को कम्युनिटी और फ़ोरम द्वारा मैनेज किया जाता है। | सिक्योरिटी को वेंडर या कस्टमर सपोर्ट द्वारा मैनेज और मॉनिटर किया जाता है। |
इंटरफ़ेस और फीचर को समझने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है। | इंटरफ़ेस और फीचर बहुत आसान तरीके से समझ में आ जाते है |
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