You are currently viewing मेमोरी क्या है  मेमोरी के प्रकार
computer memory in Hindi

मेमोरी क्या है मेमोरी के प्रकार

1.6/5 - (108 votes)

computer memory in Hindi के माध्यम से हम कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाली memory के बारे में बिस्तार से पढ़ेंगे। और देखेंगे की मेमोरी को इस्तेमाल क्यों करते है और इसके फायदे क्या है। और यह कितने प्रकार की होती है।

मेमोरी को हम सरल भाष में समझे तो यह एक स्टोरेज डिवाइस होती है जैसे की हमारे पास brain होता है जहा पर हम अपनी बातो को स्टोर कर के रखते है ठीक उसी प्रकार कंप्यूटर में भी प्रोग्राम से बना एक डिवाइस होता है जहां हम डाटा को permanently और temporary समय की लिए data स्टोर करते है।

कंप्यूटर मेमोरी CPU और motherboard का बहुत ही महत्वपूर्ण पार्ट होता है। Memory एक डिवाइस होता है जिसमे हम डाटा को स्टोर कर के रखते है। कंप्यूटर में मुख्यता दो प्रकार की मेमोरी का इस्तेमाल होता है। प्राइमरी मेमोरी और सेकंडरी मेमोरी प्राइमरी मेमोरी को हम internal Memory और सेकंडरी मेमोरी को External Memory भी कहते है। नीचे के स्क्रीन में हमने चार्ट के माध्यम से आपको memory के प्रकार को समझाने की कोशिश किया है

Computer Memory Units  क्या होती है

मेमोरी यूनिट का प्रयोग डाटा को नापने और डाटा को प्रस्तुत करने की इकाई है। जैसे किसी तरल (liquid) पदार्थ को लीटर से और लम्बाई को मीटर में ठीक उसी प्रकार डाटा को मेमोरी यूनिट में नापा (measure ) जाता है। नीचे कुछ कंप्यूटर मेमोरी यूनिट को बताया गया है।

Bit कंप्यूटर में डाटा को नापने की सबसे छोटी इकाई है । इसको 0 और 1 से दर्शाया जाता है इसे बाइनरी डिजिट या बिट कहा जाता है। कंप्यूटर सिर्फ बाइनरी नंबर (0 ,1 ) समझता है इसे अंग्रेजी के Alphabet के छोटे (small b ) से दर्शाया जाता है।

Nibble 4 बिट के समूह को एक निबल कहा जाता है।

Byte 8 बिट के समूह को बाइट (Byte ) कहते है और इसे अंग्रेजी के alphabet के बड़े B (Capital B ) से दर्शाया जाता है।

Kilobyte: 1024 bytes के समूह को एक किलोबाइट कहते है और इसे KB से दर्शाया जाता है।

Megabyte: 1024 kilobyte के समूह को एक Megabyte कहते है और इसे अंग्रेजी के Alphabet के बड़े M (Capital M) से दर्शाया जाता है।

Gigabyte: 1024 megabyte के समूह को एक gigabyte कहते है और इसे अंग्रेजी के alphabet के बड़े G (Capital G) से दर्शाया जाता है।

Bit0 या 1
4 Bit1 Nibble
2 Nibble या 8 Bit 1 Byte
1024 Byte 1 KB KiloByte
1024 KB 1 MB MegaByte
1024 MB 1 GB GigaByte
1024 GB 1 TB TeraByte
1024 TB 1 PB Penta Byte
1024 PB 1 EB Exa Byte
1024 EB1 ZB Zetta Byte
1024 ZB 1 YB Yotta Byte
1024 YB 1 BB Bronto Byte
 computer memory in Hindi
  • प्राथमिक मेमरी या आंतरिक मेमॉरी
  • सेकंडरी मेमोरी या एक्सटर्नल मेमोरी

Computer Memory कैसे काम करती है

आंतरिक मेमॉरी (Internal Memory) वो मेमोरी है जिसे हम प्राइमरी या main मेमोरी भी कहते है इसे हम कप्यूटर के अंदर motherboard मेंसे सीधा कनेक्ट कर के इस्तेमाल करते है।

यह कई प्रकार की होती है जिसे हम नीचे विस्तार से पढ़ेंगे कंप्यूटर में इसके उपयोग से आपके कंप्यूटर की स्पीड तेज हो जाती है क्योकि यह आपके कंप्यूटर के motherboard और CPU से कनेक्ट रहती है जब आप कंप्यूटर को कोई request देते है और कंप्यूटर आपको बहुत जल्दी से रिजल्ट दिखा देता है तो इसमें आपके कंप्यूटर की main मेमोरी की स्पीड और आपके CPU की speed पर ही निर्भर होता है। प्राइमरी मेमोरी के भी दो प्रकार होती है अस्थिर volatile memory और स्थिर मेमोरी none volatile.

volatile memory अस्थिर मेमोरी

computer volatile memory
computer volatile memory

अस्थिर मेमोरी में डाटा तब तक ही स्टोर रहता है जब तक आपका कंप्यूटर on रहता है लेकिन जैसे ही आपका कंप्यूटर शटडाउन हो जाता है आपका डाटा आटोमेटिक डिलीट हो जाता है। इस तरह की स्टोरेज और मेमोरी अन्य मेमोरी की तुलना में तेज रहती है लेकिन इसका उपयोग सिर्फ कंप्यूटर के स्टार्ट रहने तक ही रहता है।

अपने अक्सर देखा और सुना होगा की यदि आप कंप्यूटर में कुछ काम कर रहे होते है और अचानक पावर के चले जाने या फिर कंप्यूटर के अचानक बंद होने पर आपका डाटा डिलीट हो जाता है क्यों की इस समय आपका डाटा अस्थिर मेमोरी यानि की volatile memory में रहता है।

volatile memory अस्थिर मेमोरी का मुख्य उपयोग आपके कंप्यूटर को स्टार्ट करने help करती है। volatile memory की सहायता से ही कंप्यूटर के boot होने की प्रक्रिया होती है। ram अस्थिर मेमोरी के उदाहरण है।

Non-volatile memory स्थिर मेमोरी

Computer Non-volatile memory  स्थिर मेमोरी
Computer Non-volatile memory स्थिर मेमोरी

कंप्यूटर में volatile memory के साथ साथ अस्थिर मेमोरी Non-volatile memory का भी उपयोग दिया जाता है।
अस्थिर मेमोरी (Non-volatile memory) को NV या फिर permanent storage मेमोरी भी कहते है क्योकि इसमें स्टोर किया गया डाटा कंप्यूटर के शटडाउन होने पर डिलीट नहीं होता है।

इस तरह की मेमोरी को ROM (read only Memory ) मेमोरी भी कहते है। इस तरह की मेमोरी का उपयोग USB Flash Drive, computer के चिप में कुछ प्रोग्राम को स्टोर करने के लिए जैसे की BIOS (Basic input output device) , Hard disk, डिजिटल कैमरा में इस्तेमाल होने वाली मेमोरी कार्ड इत्यादि में किया जाता है । नीचे कुछ स्थिर मेमोरी (Non-volatile memory) के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए है।

प्राथमिक मेमोरी मुख्य दो प्रकार की होती है

कंप्यूटर मेमोरी के प्रकार

  • ROM (Read Only Memory)
  • Ram (Read Only Memory)

ROM (Read Only Memory)

ROM जिसका फुल फॉर्म read only memory होता है। इस तरह की memory में डाटा को सिर्फ रीड किया जाता है आप इसमें कुछ write नहीं कर सकते हो। इसे non-volatile मेमोरी भी कहा जाता है ।

इस तरह की memory को बनाते समय ही प्रोग्राम को write करते है एक बार कुछ लिख जाने पर इसके डाटा को आप एडिट नहीं कर सकते है इसमें प्रोग्राम को स्टोर करने के लिए एक विशेष प्रकार के मशीन और प्रोग्राम का इस्तेमाल किया जाता है।

इस तरह के मेमोरी का इस्तेमाल किसी भी डिवाइस जैसे की कंप्यूटर , वाशिंग मशीन,फ्रीज या फिर अन्य इलेक्ट्रॉनिक मशीनो में किया जाता है। इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसो को स्टार्ट करने में जो प्रोग्राम काम करता है वहा पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।

PROM (programable read only Memory)

PROM का फुल फॉर्म programable read-only Memory होता है इस मेमोरी में एक बार कुछ लिख जाने के बाद इसमें कुछ बदल नहीं सकते। इस तरह की मेमोरी बनाने वाली कम्पनिया इस खाली बना का बेच देती है

बाद में जरुरत मंद कम्पनिया इसे खरीद कर के अपने अनुसार इसमें प्रोगरामिंग करके उपयोग करती है या फिर बेच देती है। इसमें ज्यादतर प्रोग्राम का इस्तेमाल किसी भी डिवाइस के initial स्टेज में जरुरत पड़ती है। जैसे की कंप्यूटर में बायोस, चिप होती है। इसे Wen Tsing Chow में 1950 में patent कराया था

EPROM (Erasable Programmable read only memory)

Electrical PROM (Erasable Programmable read-only memory) यह एक non volatile मेमोरी होती है। इसमें डाटा को एक बार लिखने के बाद आप ultra violet light की मदद से इसमें डाटा को मिटा कर (erase ) फिर से लिख सकते है। कंप्यूटर प्रोगरामिंग में इस तरह की मेमोरी का इस्तेमाल बहुत किया जाता है क्योकि जरुरत पड़ने पर इसे एडिट और चेंज भी कर सकते है।

EPROM को 1971 में Dov Frohman द्वारा विकसित किया था । एक program को EPROM अपने डेटा को कम से कम 10 से 20 साल तक सुरक्षित रख सकता है। Electrical PROM के शीर्ष पर एक पारदर्शी क्वार्ट्ज क्रिस्टल विंडो है जो यूवी प्रकाश को डेटा को मिटाने की अनुमति देता है।

EEPROM (Electrically Erasable Programmable Read-Only Memory)

EPROM (Erasable Programmable read-only memory) यह एक non volatile मेमोरी होती है।इसमें डाटा को एक बार लिखने के बाद आप इलेक्ट्रिक signal की मदद से इसमें डाटा को मिटा कर (erase ) फिर से लिख सकते है। कंप्यूटर प्रोगरामिंग में इस तरह की मेमोरी का इस्तेमाल बहुत किया जाता है जैसे की
कंप्यूटर IC’s क्योकि जरुरत पड़ने पर इसे एडिट और चेंज भी कर सकते है। इसमें डाटा को अपडेट या Erase करने के लिए इसे सिस्टम से निकली नहीं जाती जैसे की modern कंप्यूटर के BIOS को बिना कॉम्पटर से निकले अपडेट कर सकते है। EPROM को George Perlegos ने 1978 में intel में developed किया था।

Ram (Random Access Memory)

RAM (रैंडम एक्सेस मेमोरी) कंप्यूटर में उपयोग की जानी वाली मुख्य मेमोरी का एक हिस्सा है जो CPU से direct connect रहती है । RAM का उपयोग उसमें डेटा पढ़ने और लिखने के लिए किया जाता है जो CPU द्वारा बेतरतीब ढंग से एक्सेस किया जाता है। ram एक तरह की temporary मेमोरी है और इसे वोलेटाइल मेमोरी भी कहा जाता है , इसका मतलब है कि अगर बिजली का पावर बंद हो जाता है तो कंप्यूटर द्वारा उपयोग किया गया डाटा automatic erase हो जाता है। ram में जो डाटा CPU द्वारा current में उपयोग किया जाता है उसे ही इसमें स्टोर कर के रखता है । ram मुख्यता 2 प्रकार की होती है।

  • SRAM Static Random Access Memory
  • DRAM Dynamic Random Access Memory

नीचे कुछ अस्थिर मेमोरी (volatile memory) के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए है।

SRAM (Static Random Access Memory)

यह एक प्रकर की volatile memory है जिसका मतलब यह है की जब तक आपके सिस्टम में पावर है तभी तक इसमें डाटा स्टोर रहेगा और जैसे ही आपके सिस्टम का पावर ऑफ हुआ ram में स्टोर सारा डाटा delete हो जायेगा। यह मेमोरी DRAM से ज़्यादा महगी (Costly) पड़ती है। इसमें डाटा को स्टोर करने के लिए capacitor का उपयोग नहीं होता इसलिए यह समय समय पर डाटा को refresh करता रहता है.

DRAM (Dynamic Random Access Memory)

डायनेमिक रैंडम-एक्सेस मेमोरी (Dynamic Random Access Memory ) एक प्रकार की रैंडम-एक्सेस सेमीकंडक्टर मेमोरी होती है। इसको कंप्यूटर के main मेमोरी में उपयोग किया जाता है । जो मेमोरी सेल में प्रत्येक बिट डेटा को एक छोटे capacitor और Transistor से संग्रहीत करती है। यह एक प्रकार की volatile मेमोरी है।

इसमें लगे हुवे capacitor लगातार चार्ज और डिस्चार्ज होते रहते है जिससे इनकी वैल्यू 0 और 1 में बदलती रहती है इससे इसमें SRAM की तुलना में ज्यादा पावर की जरुरत पड़ती है । SRAM की तुलना में डाटा को स्टोर करने के लिए थोड़े से जगह की आवश्यकता पड़ती है इसलिए इसमें ज्यादा डाटा को स्टोरों कर सकते है। DRAM Most common मेमोरी हैं इसलिए इसका उपयोग सभी पर्सनल कंप्यूटर , workstation मशीन,Server में इस्तेमाल किया जाता है।

एक्सटर्नल मेमोरी या सेकंडरी मेमोरी

external memory जिसे हम secondary मेमोरी भी कहते है। यह ऐसी मेमोरी है जिसमे आप डाटा को बहुत दिनों तक सुरक्षित रख सकते है। इस तरह की मेमोरी को non-volatile memory कहते है

जैसे जी हमने ram से संबधित मेमोरी के बारे में पढ़ा की जब तक सिस्टम (computer ) में पावर रहेगा तभी तक उसमे डाटा सुरक्षित रहेगा जैसे ही सिस्टम का पावर ऑफ हुआ सारा डाटा डिलीट हो जायेगा लेकिन एक्सटर्नल मेमोरी में ऐसा नहीं है।

एक्सटर्नल मेमोरी को आप बिना किसी सॉफ्टवेयर के इसका डाटा को डिलीट कर के फिर से नया डाटा स्टोर कर सकते है example के लिए hard disk , pen drive ,CD/DVD, floppy disk etc. इस तरह की मेमोरी या स्टोरेज डिवाइस में आप बड़े डाटा को भी स्टोर कर सकते हो जैसे की video , songs , कुछ document picture इत्यादि।

Magnetic disk

Computer Magnetic disk
Magnetic disk

इसे आप secondary memory या फिर external memory भी कह सकते है magnetic डिस्क उस तरह की डिस्क होती है जिसमे आपको डाटा को read, write और एक्सेस करने के लिए चुंबकीयकरण तकनीक का उपयोग किया जाता है। इसके डिस्क में magnetic लेयर की परत चढ़ायी रहती है।

इसमें डाटा plotter के track ,sector में बाइनरी बिट के रूप में डाटा स्टोर रहता है। मैग्नेटिक डिस्क को उदाहरण के लिए आप कंप्यूटर में लगाने वाली Hard disk है जिसमे डाटा को स्टोर करने के लिए magnetic layer से coated plotter में डाटा को स्टोर किया जाता है।

floppy disk

फ्लॉपी डिस्क एक तरह का मैग्नेटिक डाटा स्टोरेज डिवाइस है। यह सबसे पहला एक्सटर्नल स्टोरेज डिवाइस है जिस 1967 में IBM द्वारा विकसित किया गया था। फ्लॉपी डिस्क का उपयोग डाटा को रीड करने और write करने के लिए किया जाता था। एक फ्लॉपी डिस्क में लगभग 1.44 MB तक डाटा को स्टोर कर सकते थे। फ्लॉपी डिस्क मुख्य तीन प्रकार की होती थी 8″ floppy disk , 5.25″ floppy disk, 3.5″ floppy disk

computer floppy disk
Computer floppy disk

Magnetic tape

Magnetic tape
Magnetic tape

मैग्नेटिक tape में डाटा को स्टोर करने के लिए इसमें एक तरह की रील का उपयोग किया जाता है जैसे की अपने पहले audio को सुनाने के लिए Cassette tape का उपयोग जाता था लेकिन अभी इसका उपयोग नहीं किया जाता इसके जगह पर हम pendrive cd/dvd का उपयोग करते है। मैग्नेटिक tape मुख्यतः दो तरह की होती है।

Video Magnetic tape
Video Magnetic tape
  1. Audio and Audio Video Magnetic Tape
  2. Data magnatic tape

पहली वो जिसमे सिर्फ ऑडियो और वीडियो से related डाटा को store किया जाता है जिसे प्ले और record करने के लिए recorder का उपयोग किया जाता था जैसे की ऑडियो के लिए ऑडियो recorder , और वीडियो को play करने के लिए VCR का उपयोग किया जाता था।

दूसरे तरह के magnetic tape में सिर्फ डाटा को स्टोर किया जाता है उसका स्टोरेज साइज audio tape की तुलना में अधिक होता है। इनका उपयोग बड़े सर्वर के डाटा को बैकअप लेने और उसके डाटा को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है।

data LTO Magnetic tape
data LTO Magnetic tape

optical disk

optical disk
optical disk

यह एक secondary स्टोरेज device है इसमें स्टोर किये गए डाटा को आप कही भी लेकर जा सकते हो। इस तरह की डिस्क में भी आप डाटा ऑडियो,वीडियो, डाटा इत्यादि को स्टोर कर के रख सकते है। इसमें डाटा को रीड और write करने के लिए ऑप्टिकल डाटा स्टोरेज टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है।

cd ,DVD और Blue ray डिस्क इसके मुख्य उदहारण है। इसमें डाटा को write करने के लिए एक विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर की जरुरत पड़ती है। ऑप्टिकल डिस्क भी बहुत प्रकार की होती है जैसे की
read only इसमें आप रिकार्डेड CD या DVD के डाटा को सिर्फ रीड कर सकते है इसमें पुनः डाटा को लिख और सुधार नहीं सकते
Write-Once (Burnable) इस तरह के optical tape drive में डाटा को read करने के साथ साथ आप DVD में डाटा को लिख सकते है
Rewritable इस तरह की DVD में डाटा को लिखने के बाद इसके डाटा को डिलीट कर के पुनः इस्तेमाल कर सकते है

Flash Dive

Computer Flash Dive Memory
Flash Dive

फ़्लैश मेमोरी को none volatile memory का उदाहरण है और और इसे removable मेमोरी भी कहते है जिसे आप बड़े आराम से कही भी लेकर जा सकते है।

इसका वजन भी बहुत कम होता है जिसमे डाटा जो लिखने के लिए किसी प्रकर के सॉफ्टवेयर की जरुरत नहीं पड़ती है। यह कंप्यूटर के EEPROM (electronically erasable programmable read-only memory) की तरह होती है जिसको कंप्यूटर के USB पोर्ट में कनेक्ट करके use कर सकते है इसको अभी CD और DVD की जगह इस्तेमाल किया जाता है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने computer memory in Hindi में details में अध्ययन किया और उम्मीद करते है की अब आपको कंप्यूटर में उपयोग होने वाले कंप्यूटर मेमोरी से सम्बन्धित अच्छी जानकारी मिली होगी। अगर इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई समस्या हो तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपना सुझाव देकर हमारे आर्टिकल को और बेहतर बनाने में मदत कर सकते है।

कंप्यूटर और linux से सम्बंधित लेख को इंग्लिश में पड़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करे

siya ram

नमस्कार में इस वेबसाइट का founder हु। इस ब्लॉग से आपको डेली टेक्निकल न्यूज़ , ब्लॉगिंग की जानकारी , कंप्यूटर हार्डवेयर , नेटवर्किंग, CCNA , Linux ,सर्वर , विंडोज (सर्वर /क्लाइंट OS ) ऑपरेटिंग सिस्टम, cloud , storage, डेटाबेस, प्रोगरामिंग , होस्टिंग , WordPress , digital marketing इत्यादि जानकारी प्राप्त कर सकते है। अगर आपको हमारा ब्लॉग पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों और अपने सोशल मीडिया में शेयर करके हमारा सहयोग करें । धन्यवाद

Leave a Reply