भारत में अनेकों वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है जिन्होंने भौतिकी विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित से लेकर औषधी शास्त्र ,तकनीकी से लेकर अंतरिक्ष तक के विभिन्न क्षेत्रों में अद्भुत अविष्कार करके भारत का मान और सम्मान पूरी दुनिया ऊचा किया है। सीमित संसाधन और विभिन्न प्रकार की समस्या होने के बावजूद भारतीय वैज्ञानिकों ने अपनी प्रतिभा और लगन के दम पर अनेको आविष्कार किया है। वैसे तो भारत में ऐसे कई वैज्ञानिक हुए जिन्होंने अपना पूरा विज्ञान को समर्पित कर दिया और उनके महत्वपूर्ण खोजो से दुनिया आज भी उन्हें सम्मान से याद करती है। लेकिन आज के इस लेख में हम वैज्ञानिक के नाम और उनके आविष्कार के बारे में जानने वाले हैं।
वैज्ञानिक के नाम और उनके आविष्कार
श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan )
22 दिसंबर 1887 को ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसिडेंसी में पैदा हुए श्रीनिवास रामानुजन भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक है। यह एक लोकप्रिय गणितज्ञ थे जिन्होंने गणित के क्षेत्र में कई फार्मूले और नियमों की खोजा और सिध्द किया था जिसमें निरंतर भिन्न, अनंत श्रृंखला, विश्लेषणात्मक सिद्धांत और संख्या सिद्धांत शामिल है।
ब्रिटिश शासन के समय यूरोप को गणित का केंद्र माना जाता था लेकिन उस समय भारत में जन्मे गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की प्रतिभा से प्रभावित होकर इन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भी पढ़ने का मिला था।

होमी जे० भाभा (Homi J. Bhabha)
डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा एक लोकप्रिय वैज्ञानिक थे जिन्होंने परमाणु भौतिकी वैज्ञानिक के क्षेत्र में के अविष्कार किये थे। डॉ. होमी जहाँगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1960 को हुआ था।
इन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च को स्थापित किया था । क्वांटम थ्योरी पर इनकी खोज और भावा प्रकीर्णन संबंधित इनकी खोज सराहनीय है। विज्ञान के क्षेत्र में इनके अहम भूमिका के कारण 1954 में भारत सरकार के द्वारा इन्हें पदम भूषण से सम्मानित किया गया।

जगदीश चंद्र बोस (Jagdish Chandra Bose)
महान वनस्पति वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने खोजों से सिद्ध किया कि पेड़ पौधों में भी जीव होता है। पेड़ पौधों की वृद्धि को मापने के लिए इन्होंने क्रेस्कोग्राफ नामक यंत्र का आविष्कार किया था एवं माइक्रोवेव संबंधित कई खोज किये थे। इनका जन्म 30 नवंबर 1858 को ब्रिटिश सरकार के समय में पश्चिम बंगाल में हुआ था।
सर जगदीश चंद्र बसु को भौतिकी, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और पुरातत्व का गहरा ज्ञान था । यह भारत के पहले वैज्ञानिक शोधकर्ता थे जिन्होंने एक अमेरिकन पेंटिंग प्राप्त किया था। इन्हें रेडियो विज्ञान का पिता भी माना जाता है। एक वैज्ञानिक होने के साथ ही सर जगदीश चंद्र बसु विज्ञान कथाएं भी लिखते थे। इन्होंने बंगाली भाषा में कई विज्ञान कथा साहित्य भी लिखे है ।

डॉ. एम. एस स्वामीनाथन (Dr. M. S. Swaminathan)
भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों में से डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। यह एक भारतीय कृषि वैज्ञानिक थे जिन्होंने प्राणी विज्ञान और कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। 1952 में इन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अनुवांशिकी में पीएचडी भी किया था। 1972 से 1979 तक वे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक रहे।
1960 के दशक में जब भारत की जनता अनाज की कमी से जूझ रही थी उस वक्त इन्होंने ज्यादा पैदावार वाली गेहूं की प्रजाति तैयार की । विज्ञान एवं अभियांत्रिकी क्षेत्र में इनके अहम योगदान के कारण 1967 में भारत सरकार के द्वारा इन्हें पद्मश्री और 1972 में पद्म भूषण से नवाजा गया। 1989 में इन्हें पद्मा विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

ए० पी० जे० अब्दुल कलाम (A. P. J. Abdul Kalam)
महान वैज्ञानिक डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में कौन नहीं जानता है। इनका पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम था। इन्हें मिसाइल मैन ऑफ इंडिया के खिताब से नवाजा जा चुका है।
इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के अध्यक्ष रहे और इनके नेतृत्व में भारत ने अपना पहला मिसाइल का निर्माण किया। इस तरह भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में एपीजे अब्दुल कलाम की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
विज्ञान के क्षेत्र में इनके अहम योगदान के कारण साल 1997 को भारत सरकार के द्वारा इन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा गया । 1990 में इन्हें पद्मा विभूषण से सम्मानित किया गया था। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक के साथ ही संगीतकार, कवि एवं दार्शनिक भी थे। इनके द्वारा लिखी गई किताब विंग्स ऑफ फायर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। यह भारत के राष्ट्रपति भी रह चुके है ।

चंद्रशेखर वेंकट रमन (Chandrasekhara Venkata Raman)
चंद्रशेखर वेंकटरमन भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक हैं जिन्होंने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं। चंद्रशेखर वेंकटरमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को हुआ था।
इन्होंने मुख्य रूप से प्रकाश के प्रकीर्णन पर काम किया और प्रकाश के प्रकीर्णन से जुड़े रमन प्रभाव की खोज की। इनकी खोज की याद में हर साल 28 फरवरी को पूरे देश में विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1930 में भौतिकी में इनके महत्वपूर्ण योगदान के कारण इन्हें प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

डॉ- के- राधाकृष्णन (Dr. K. Radhakrishnan)
डॉक्टर के राधाकृष्णन भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक है जिनका जन्म 29 अगस्त 1950 को भारत के केरल राज्य में हुआ था। यह मूलरूप से अंतरिक्ष वैज्ञानिक है जिन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त किया था ।
ये इसरो के अध्यक्ष भी रहे और जीएसएलवी के लिए स्वदेशी कार्य दैनिक इंजन और मंगलयान जैसे प्रोजेक्ट पर काम किया। इन्ही के देखरेख में ही चंद्रयान और मंगलयान अंतरिक्ष में भेजे गए। अंतरिक्ष विज्ञान में इनके महत्वपूर्ण योगदान के कारण साल 2014 में भारत सरकार के द्वारा इन्हे प्रतिष्ठित भारतीय पुरुस्कार पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया।

सतेंद्र नाथ बोस (Satendra Nath Bose)
सत्येंद्रनाथ बोस को भारत के प्रमुख वैज्ञानिक के नाम और उनके आविष्कार के रूप में जाना जाता है। इनके प्रमुख खोज और अविष्कार गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी थे। इनका जन्म 1 जनवरी 1894 को हुआ था।
सैद्धांतिक भौतिकी में हासिल की गई उनकी विशेषज्ञताओं के कारण ये दुनियाभर में लोकप्रिय हुए । 1930 के दशक क्वांटम यांत्रिकी में लगे रहे और इस क्षेत्र में उन्हें सफलता भी मिली। बाद में बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी और बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट के विकास रिसर्च करने के लिए इन्होंने महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ भी काम किया । विज्ञान के क्षेत्र में इनके महत्वपूर्ण योगदान के कारण साल 1954 में भारत सरकार के द्वारा इन्हें प्रतिष्ठित पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया।

चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव (Chintamani Nagesh Ramachandra Rao)
चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव कर्नाटक राज्य के बेंगलुरु में 30 जून 1934 को जन्मे भारत के एक महान वैज्ञानिक है जिन्होंने मुख्य रूप से रसायन शास्त्र में काम किया है। ये आईआईटी कानपुर , भारतीय विज्ञान संस्थान , ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय , कैंब्रिज विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से जुड़े रहे।
इन्होंने 45 वैज्ञानिक पुस्तकें लिखी हैं और 1500 से भी ज्यादा शोध पत्र लिखे थे । 60 विश्वविद्यालयों से इन्हे मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी प्रदान की गई है। साल 2013 में इन्हें भारत सरकार के द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया है । इसके अतिरिक्त उन्हें पद्मश्री और पद्म विभूषण से भी नवाजा जा चुका है।

सतीश धवन (Satish Dhawan)
सतीश धवन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रेरणाओं में से एक हैं जिनका जन्म 25 सितंबर 1920 को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर जिले में हुआ था। भारत के अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान में इन्होंने 20 वर्षों से भी ज्यादा समय तक अपना योगदान दिया है। विज्ञान के क्षेत्र में इनके अहम योगदान के कारण साल 1971 में भारत सरकार ने पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया है।
सतीश धवन के महत्वपूर्ण खोजों में से ध्वनि से तेज रफ्तार विंड टनल का विकास प्रमुख है। इनके नाम पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र स्थापित किया गया है।

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