इन चारों धाम से जुड़े कई पौराणिक कथाएं जुड़े हैं। जो आग आपको इस आर्टिकल में पढ़ने को मिलेगा तो चलिए जानते हैं भारत के चार धाम (char dham ke naam)से जुड़े हुए इतिहास धार्मिक और पौराणिक बातें ।
भारत धार्मिक मान्यता वाले लोगों का देश है यहां पर कई धार्मिक जगह है। पौराणिक ग्रंथों में समय-समय पर देवी-देवताओं के द्वारा धरती पर अवतार लेकर राक्षसो का वध करने की घटना वर्णित है।
भारत के पावन धरती पर जिस किसी जगह पर भगवान ने अवतार लिया है आज वह सभी जगह धार्मिक स्थल बन चुके हैं । वैसे तो भारत में कई सारे धार्मिक पौराणिक मंदिर और तीर्थ स्थल है लेकिन भारत के चार मंदिरों को चार धाम के नाम (char dham ke naam) से जाना जाता है जो भारत के चारों दिशाओं में स्थित है।
पूर्व में उड़ीसा राज्य में जगन्नाथ पुरी , पश्चिम में गुजरात में द्वारकाधीश मंदिर , उत्तर में उत्तराखंड राज्य में बद्रीनाथ और दक्षिण में तमिलनाडु राज्य में स्थित रामेश्वरम मंदिर को भारत के चार धाम के नाम (char dham ke naam)से जाना जाता है। हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा को बहुत ही पावन माना गया है। इसीलिए साल भर लोग इन चारों धामों के दर्शन के लिए भारत सहित विदेशी पर्यटक भी यहाँ आते हैं।
भारत के चार धाम (char dham ke naam )
जगन्नाथ पुरी
जगन्नाथ पुरी मंदिर भारत के चार धाम में से एक है जो उड़ीसा राज्य के भुनेश्वर शहर से थोड़ी दूर समुद्र तट पर बसा हुआ है। जगन्नाथ पुरी धाम को श्री पुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल और नीलगिरी के नाम से भी जाना जाता है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण सहित उनके बड़े भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की भी प्रतिमा विराजमान है। माना जाता है की जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण गंग वंश के शासक अनंतवर्मन जो कलिंग पर राज करते थे उनके द्वारा 1078 से 1148 के बीच किया गया था।
उड़ीसा के शासक भीमदेव ने 1197 में जगन्नाथ पुरी मंदिर को वर्तमान रूप दिया था। उसके बाद 1448 में एक अफगान शासक ने उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी मंदिर पर आक्रमण कर इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था जिसके कुछ सालों के बाद राजा रामचंद्र ने जगन्नाथ पुरी मंदिर और उसकी मूर्ति को दोबारा प्रतिस्थापित किया ।

जगन्नाथ पुरी के कुछ रोचक तथ्य
- जगन्नाथ पुरी मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र स्थापित है और हर दिशा से देखने पर यह सुदर्शन चक्र एक जैसा प्रतीत होता है।
- इस मंदिर के शिखर की परछाई कभी भी धरती पर नहीं दिखाई देती यह हमेशा अदृश्य रहती हैं।
- जगन्नाथ पुरी मंदिर को लेकर कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर के नीचे खजाना छुपा हुआ है।
- जगन्नाथ पुरी मंदिर बिल्कुल समुद्र तट के निकट स्थापित होने के बावजूद इस मंदिर में प्रवेश करते ही सागर की लहरों की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है और मंदिर के अंदर का वातावरण बिल्कुल शांत और दिव्य महसूस होता है।
- मंदिर के शीर्ष पर एक ध्वज लहराता है और ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है जिसका रहस्य आज तक पता नहीं चल पाया।
- जगन्नाथ पुरी मंदिर में भक्तजनों का प्रसाद कभी भी कम नहीं पड़ता चाहे 10 हजार श्रद्धालु हो या 10 लाख श्रद्धालु बिना प्रसाद लिए कोई खाली हाथ नहीं जाता है ।
बद्रीनाथ धाम
भारत के चार धामों नाम (char dham ke naam) में से एक बद्रीनाथ धाम भारत के उत्तरी राज्य उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के किनारे गढ़वाल क्षेत्र के बीच 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी ईस्वी में आदि शंकराचार्य के द्वारा किया गया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक समय इस स्थान पर घने बद्री जिसे बेर कहा जाता है के अनेको वृक्ष हुआ करते थे जिस कारण इस जगह का नाम बद्रीनाथ पड़ा।
बद्रीनाथ मंदिर के रोचक तथ्य
- बद्रीनाथ मंदिर की देखरेख और कार्यभार केरल के ब्राह्मणों की देख रेख में किया जाता है। क्योंकि कहा जाता है आदि शंकराचार्य ने केरल के पुजारियों को इस मंदिर में नियुक्त किया था।
- बद्रीनाथ मंदिर के नीचे एक कुंड स्थित है जिसके पानी का तापमान 55 डिग्री सेल्सियस रहता है जबकि बाहरी तापमान 17 डिग्री सेल्सियस के नीचे हैं। यह पानी में औषधि गुण है जिस कारण इस पानी में स्नान करने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है।
- बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड में स्थित होने के कारण साल भर यहां पर ठंडा मौसम रहता है और बर्फबारी होती है जिस कारण साल में केवल 6 महीने तक ही यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते हैं।
- भारत के लगभग हर एक मंदिरों में पूजा के दौरान शंखनाद होते हैं लेकिन बद्रीनाथ मंदिर में कभी भी शंखनाद नहीं किया जाता है।
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द्वारकाधीश मंदिर
भारत के चार धामों के नाम (char dham ke naam)में द्वारिकाधीश का प्रसिद्द मंदिर भी शामिल है जो गुजरात राज्य की गोमती नदी और अरब सागर के किनारे ओखामंडल प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है। द्वारिकाधीश मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के अतिरिक्त उनकी बहन सुभद्रा , उनके भाई बलराम, वासुदेव रेवती और अन्य कई देवी देवता की प्रतिमा भी स्थापित है।
द्वारिका को गुजरात का सर्वप्रथम राजधानी माना जाता है। कहा जाता है द्वारिकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के व्रज नाथद्वारा ने हरि गृह के रूप में किया था लेकिन इस मंदिर की मूल संरचना को 1472 ईस्वी में मोहम्मद बेगड़ा के द्वारा नष्ट कर दिया गया जिसके बाद 15वी से 16 वीं शताब्दी के बीच में इस मंदिर का पुनः निर्माण किया गया।

द्वारिकाधीश मंदिर के रोचक तथ्य
- द्वारिकाधीश मंदिर में 78.3 फीट ऊंचे 72 स्तंभ निर्मित है जिन पर जटिल और नक्काशी केकार्य भी किए गए हैं।
- द्वारिकाधीश मंदिर 5 मंजिले की संरचना वाला एक अद्भुत और ख़ूबसूरत हिन्दू मंदिर है ।
- द्वारिकाधीश मंदिर का निर्माण चालुक्य शैली में चूना पत्थर और रेत के इस्तेमाल से किया गया है।
- मंदिर के गर्भ ग्रह में भगवान श्रीकृष्ण की श्याम वर्ण चतुर्भुज प्रतिमा चांदी के सिंहासन पर विराजमान है।
- मंदिर केशीर्ण पर 75 फीट ऊंचा ध्वज लहराता है जिस पर सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक बना हुआ है। माना जाता है कि सूर्य और चंद्रमा भगवान श्री कृष्ण के मंदिर का प्रशासन करते हैं।
रामेश्वरम मंदिर
भारत के प्रमुख चार धामों में से एक धाम रामेश्वरम मंदिर है। यह मंदिर भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु स्थित है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण वध के बाद भगवान श्रीराम ने एक ब्राह्मण की हत्या का पाप खत्म करने के उद्देश्य से इस स्थान पर शिवलिंग का निर्माण करके भगवान शिव की पूजा आराधना किया था ।
उसके बाद 15वीं शताब्दी में राजा उडैयान सेतुपति एवं नागूर निवासी वैश्य ने यहां पर 78 फीट ऊंचा गोपुरम का निर्माण करवाया था। इसके एक साल के बाद तिरुमलाई सेतुपति नाम के दूसरे राजा ने इस गोपुरम के दक्षिण में दूसरे हिस्से की दीवार का निर्माण पूरा करवाया था। 17वीं शताब्दी में राजा रघुनाथ किलावन ने मंदिर के वर्तमान रूप का निर्माण करवाया था।

रामेश्वरम मंदिर के रोचक तथ्य
- रामेश्वरम मंदिर हजार फुट लंबा और 605 फुट चौड़ा है।
- रामेश्वरम मंदिर में सैकड़ों विशाल खंबे हैं और प्रत्येक खंभों पर विभिन्न तरह के बारिकी कलाकृतियां बनायीं गई है।
- रामेश्वर मंदिर का निर्माण द्रविड़ स्थापत्य शैली से किया गया है मंदिर का प्रवेश द्वार 40 फीट ऊंचा है।
- रामेश्वर मंदिर के गर्भ गृह में 2 शिवलिंग है और माना जाता है की एक शिवलिंग भगवान् श्रीराम के द्वारा निर्मित की गई है और दूसरा शिवलिंग हनुमान के द्वारा स्थापित की गई है।
- रामेश्वर मंदिर के गर्भ गृह में स्थित दो में से एक शिवलिंग को विश्व लिंगम के नाम से जानते हैं वहीं दूसरे शिवलिंग को रामलिंगम के नाम से जाना जाता है।
- रामेश्वरम का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा माना जाता है जो 197 मीटर उत्तर दक्षिण में फैला हुआ है और 133 मीटर पूर्व पश्चिम में फैला हुआ है।
- रामेश्वर मंदिर के अंदर कई सारे कुएं बने हुए हैं। माना जाता है भगवान राम ने अपने अमोघ बाणो से इन कुओं क निर्माण करवाया था। रामेश्वरम में सभी जगह खारा पानी मिलता है लेकिन इन कुओं का पानी हमेशा सामान्य और मीठा होता है ।
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