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जल प्रदूषण क्या है कैसे होता है इसके दुष्परिणाम और बचाव के उपाय

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इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की जल प्रदूषण क्या होता है (what is water pollution in Hindi) , यह कैसे फैलता है इसके दुष्परिणाम और सिको रोकने के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाये जा रहे है और इसके लिए हमें क्या करना चाहिए। इस आर्टिकल (water pollution in Hindi) में हम जल प्रदुषण के विभिन्न पहलुओं पर बात करेंगे। तो जल प्रदुषण के बारे में जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पडे

मानव शरीर पाँच तत्वों (मिट्टी, आग, वायु, आकाश, और जल) से मिलकर बना होता है। जिसमें जल का महत्व सबसे ज्यादा होता है। यदि विज्ञान की माने तो, मानव शरीर का लगभल 70 प्रतिशत भाग जल ही होता है। इस प्रकार जल के बिना जीवन संभव ही नहीं है। मानव स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल का सेवन अति आवश्यक है। अस्वच्छ या प्रदूषित जल के सेवन से व्यक्ति विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो सकता है।

जल मानव शरीर के लिए इतना आवश्यक है कि शरीर को जल न मिलने की वजह से कुछ ही दिनों में व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। भौगोलिक तौर पर देखा जाए तो पृथ्वी का लगभग 70 प्रतिशत भाग जल से घिरा हुआ है, लेकिन उस जल का सिर्फ 3 प्रतिशत भाग ही पीने के उपयोग में लाया जा सकता है। जो कि दिन – प्रतिदिन प्रदूषण (Pollution) की चपेट में आता जा रहा है। 

आज जल प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच चुका है। पूरे विश्व में इससे फैलने वाली बीमारियों का कहर दिखाई पड़ रहा है। राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान, नागपुर (National Environmental Engineering Research Institute) की रिपोर्ट के अनुसार भारत की नदियों का लगभग 70 प्रतिशत जल प्रदूषित हो चुका है। भारत की प्रमुख नदियां जैसे गंगा, ब्रम्हपुत्र, सिंधु आदि नदियां बड़े स्तर पर प्रदूषित हो चुकी हैं। आज जल प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि पीने योग्य जल में दिन-प्रतिदिन कमी आती जा रही है। भूमिगत जल लगभग पूरी तरह समाप्त होता जा रहा है, और सूखे की स्थिति पनपती जा रही है।

Central Pollution Control Board (CPCB) की रिपोर्ट के आधार पर सिर्फ भारत में लगभग 62 अरब लीटर गंदा पानी तथा नालों का अपशिष्ट बिना filter किए ही नदियों में बहा दिया जाता है। 

वर्तमान समय में मनुष्य Industrial Development में इतना उजझ चुका है, कि वह अपने आस – पास हो रहे प्रदूषण को नज़रअंदाज़ करता जा रहा है। बढ़ते जल प्रदूषण के कारण मानव जीवन के साथ-साथ अन्य जीव-जन्तुओं के जीवन का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। आज Water Pollution भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा संकट बन चुका है। जिसके कारण न सिर्फ जीवन्त प्रजातियों को बल्कि पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुँच रही है। इस पर्यावरणीय संकट से उबरने के लिए जल्द से जल्द कुछ उपाय ढूँढने की आवश्यकता है।

जल प्रदूषण क्या है? | What Is Water Pollution In Hindi

जीवन्त प्रजातियों या प्राक्रतिक आपदाओं या फिर किन्हीं अन्य कारकों द्वारा स्वच्छ जल में अपशिष्ट या कुछ हानिकारक पदार्थ मिलाए जाने से जल के भौतिक अथवा रासायनिक गुणों में परिवर्तन होता है, जिससे जल की गुणवत्ता में नुकसान पहुँचता है, जिसे Water Pollution कहते हैं।

विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो, जल hydrogen तथा oxygen का एक यौगिक है। जिसके कुछ भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्म होते हैं, और किसी बाहरी स्त्रोत के आने से उनमें कुछ परिवर्तन आ जाते हैं, जिस कारण जल प्रदूषित हो जाता है। इसे ही जल प्रदूषण कहते हैं। 

जल प्रदूषण कैसे होता है

पीने के अलावा भी अन्य कई कार्यों जैसे कृषि, घरेलू उपयोग, औद्योगिक (Industrial) उपयोग और सिंचाई आदि में भी जल का भरपूर उपयोग किया जाता है। जिसमें एक बार उपयोग होने के बाद जल दूषित हो जाता है। चूँकि सभी छोटी-बड़ी नहरें किसी नदी में और सभी छोटी-बड़ी नदियाँ जाकर समुद्र में मिल जाती हैं, जब इस दूषित जल को स्वच्छ जल के स्त्रोत में मिला दिया जाता है तो एक बड़े पैमाने पर स्वच्छ जल भी प्रदूषण की चपेट में आ जाता है। 

Water Pollution के लिए शहरों के Sewage System, बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियाँ, पौराणिक मान्यताएँ आदि बड़े कारण हैं, लेकिन इनके साथ ही प्रकृति भी कुछ हद तक जल प्रदूषण को बढ़ाने में भागीदार है। आइए इन कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं:-

घरेलू प्रदूषक (Household Pollutants)

रोजमर्रा के घरेलू काम-काजों जैसे खाना पकाना,नहाना ,मल त्याग, साफ-सफाई, कपड़ा धोना आदि में कई तरह के विषैले पदार्थ उपयोग में लाए जाते हैं। जिनसे अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं, जिनमें मल मूत्र, सड़ी-गली सब्जियां,साबुन का गंदा पानी, प्लास्टिक के छोटे-बड़े टुकड़े, और अन्य कई प्रकार के अपशिष्ट नाली के जरिए बहकर बड़े नालों में पहुंचते हैं और उन नालों से होकर जल के साफ स्रोतों में जाकर मिल जाते हैं। जिसमें कुछ अपशिष्ट biodegradable होते हैं, जो समय के साथ नष्ट हो जाते हैं या नदियों में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं द्वारा खा लिए जाते हैं। लेकिन कुछ अपशिष्ट जैसे प्लास्टिक कभी नष्ट नहीं होते और जल को प्रदूषित करते रहते है।

औद्योगिक प्रदूषक (Industrial Pollutants)

जैसे जैसे industrialization बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे जल प्रदूषण में भी वृद्धि होती जा रही है। औद्योगीकरण (Industrialization) के चलते अनेकों जल के स्त्रोतों के आस-पास के इलाके में कई सारी फैक्ट्रियों का निर्माण किया जा रहा है। जिनसे भारी मात्रा में chemicals (अम्ल, क्षार, तत्व) और अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं। जिन्हें पास के स्वच्छ जल के स्रोत में मिला दिया जाता है। इस तरह के अपशिष्ट जल में मिश्रित होकर जल को विषैला बना देते हैं। हालांकि, इनमे से अधिकतर अपशिष्टों का अपघटन बैक्टीरिया द्वारा हो जाता है,लेकिन अपघटन की यह प्रक्रिया काफी धीमी होती है। जिस कारण जल प्रदूषण फैलता है।

रेडियोएक्टिव प्रदूषक (Radioactive Pollutants)

सभी देश अपनी सैन्य सुरक्षा और सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए नए-नए परमाणु हथियार बनाते रहते हैं और उनका परीक्षण भी समय-समय पर किया जाता है। विस्फोट के बाद जिनके कण वायुमंडल में फैल जाते हैं और धीरे-धीरे सतह पर गिरते रहते हैं। यही विषैले कण जल स्रोतों में भी गिरते हैं, जिनसे जल प्रदूषण फैलता है।

रसायनिक प्रदूषक (Chemical Pollutants)

फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रसायनिक उर्वरकों का तथा फसलों की कीट-पतंगों से सुरक्षा के लिए पर्याप्त मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। लेकिन आजकल रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का उपयोग जरूरत से ज्यादा होने लगा है। जिससे ये रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक बहकर तालाबों,नहरों,या अन्य जल स्रोतों में जाकर मिल जाते हैं और जल प्रदूषण का कारण बनते है।

इन सभी मुख्य कारणों के अलावा भी कुछ अन्य कारण हैं, जो जल को प्रदूषित करने में एक बड़ा रोल निभाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लोग आज भी नदियों के साफ जल में फूल पत्तियां, अस्थियां, खाद्य पदार्थ आदि बहा देते हैं, जो कि biodegradable होते हैं। लेकिन उनके अपघटित होने तक उन सड़े हुए फूलों की दुर्गंध आस-पास के वातावरण को भी प्रदूषित करती है। इसके अलावा मानव द्वारा साफ जल के स्त्रोतों में मल दाह करना या स्नान करना आदि भी जल प्रदूषण का कारण बनता है।

जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव | Side Effects Of Water Pollution in Hindi

धरती पर रहने वाले प्रत्येक जीवंत प्राणी को जीवित रहने के लिए जल की आवश्यकता होती ही है। लेकिन प्रदूषित जल के सेवन से कई सारे जीव-जंतु और मानव विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं, साथ ही जल को प्रदूषित करने वाले प्रदूषक तत्व सिर्फ जल को ही प्रदूषित नहीं करते बल्कि वे कई प्रकार से आस-पास के पूरे वातावरण को प्रभावित करते हैं। 

एक healthy ecosystem के लिए जरूरी है की उसमे उपस्थित सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, बैक्टीरिया, कवक आदि संतुलन में हों और स्वस्थ हों। यदि उनके से एक भी किसी कारणवश प्रभावित होता है तो पूरे Ecosystem पर असर पड़ता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है।

जब प्रदूषक किसी जल स्त्रोत जैसे नदी, तालाब या समुद्र में प्रवेश करते है तो पोशाक तत्वों का प्रसार होता है जो की समुद्री पौधों और शैवाल के विकास को भी बढ़ा देता है। इस कारण जल में उपस्थित oxygen का उपयोग बढ़ जाता है और biochemical oxygen demand (BOD) में कमी होने लगती है। इस ऑक्सीजन की कमी को eutrophication कहा जाता है, जिसके गंभीर असर पौधों और समुद्री जीवों पर पड़ता है जिससे मृत क्षेत्र बनने का खतरा बढ़ जाता है।

फैक्ट्रियों से निकले अपशिष्ट, रसायन तथा भरी धातुएं जल स्रोतों को तो दूषित करते ही है साथ ही जलीय जीव जंतुओं के जीवन काल और प्रजनन की क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

समुद्रों में किए जाने वाले परमाणु परीक्षण जल में छोटे छोटे नाभिकीय कण मिश्रित हो जाते हैं, जिनसे समुद्री जीव तथा पेड़-पौधों को क्षति पहुंचती है। जिससे ecosystem असंतुलित होने लगता है।

दूषित जल पीने से मानव शरीर में अनेकों बीमारियां जैसे हैजा, कब्ज, अपच, पीलिया, मलेरिया, उल्टी, दस्त आदि जन्म ले लेती हैं। आंकड़ों के अनुसार पूरे विश्व में लगभग 2 अरब से भी ज्यादा लोग दूषित जल का सेवन करते हैं, और लगभग 5 लाख से भी ज्यादा लोग इलाज न मिल पाने की वजह से मत्यु हो जाती है

जल प्रदूषण को रोकने के उपाय Measures To Prevent Water pollution

“जल ही जीवन है” 

“जन-जन से नाता है, जल जीवन दाता है।

न करो गंदा जल स्रोतो को क्योकि इससे घट जाता है जीवन ।”

“जल प्रदूषण है एक बड़ी समस्या है इसको मिटाने के लिए कीजिये तपस्या।”

जैसे slogans की गंभीरता को समझते हुए, मानव को जल को प्रदूषण से सुरक्षित करना अनिवार्य होता जा रहा है। सभी देशों की सरकारें नदियों और तालाबों जैसे स्वच्छ जल के स्रोतों को स्वच्छ बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाती रहती हैं, जो कुछ हद तक कारगर भी साबित होती हैं। 

लेकिन सरकारों के अलावा आम नागरिकों और उद्योगपतियों को भी अपनी जिम्मेदारियों को वहन करना सीखना होगा और जल प्रदूषण से मुक्ति पाने के लिए सभी को आगे आकर कुछ नियमों का पालन खुद भी करना होगा तभी भविष्य में मानव स्वच्छ जल का सेवन कर सकेगा अन्यथा ये समस्या सभी जीवंत प्रजातियों का विनाश कर देगी। जल प्रदूषण को रोकने के उपाय निम्नलिखित हैं :-

  • घरेलू काम काज से निकलने वाले अपशिष्टों , प्लास्टिक के टुकड़ों और अन्य पदार्थों को इकठ्ठा कर उन्हे पूर्ण रूप से dispose हो जाने तक नाली में न बहाएं। Plastic के टुकड़ों और अन्य non-biodegradable (जैविक रूप से नष्ट न होने वाले) पदार्थों को नदी के न बहाएं।
  • फैक्ट्रियों से निकलने वाले chemicals तथा अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करके उससे हानिकारक अपशिष्ट को अलग करना चाहिए। साथ ही फैक्ट्रियों को साफ जल के स्त्रोतों से दूर स्थापित करना चाहिए।
  • कृषि में फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए रसायनिक ऊर्वरकों के स्थान पर जैविक खाद (Organic manure) का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि रसायनिक उर्वरक जल प्रदूषण का कारण तो बनता है। साथ ही समय के साथ ज्यादा उपयोग से कृषि योग्य जमीन को भी बंजर बना देता है। इसके अलावा कीटनाशकों का कम से कम उपयोग किया जाना चाहिए।
  • समुद्रों में होने वाले परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाई जानी चाहिए ,जिससे समुद्री जीवन में कोई प्रभाव न पड़े और ecosystem में संतुलन बना रहे।
  • सरकार द्वारा चलाई जा रही नदी संरक्षण योजनाओं तथा सफाई अभियानों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए। साथ ही जन साधारण के बीच जाकर जल प्रदूषण के खतरे की चेतना उजाकर करनी चाहिए।

जितना हो सके जैविक रूप से नष्ट न होने वाले पदार्थ (जैसे, प्लास्टिक) का उपयोग कम से कम करना चाहिए। रसायनिक क्लीनर,तेल,और अन्य non-biodegradable वस्तुओं का उपयोग करके उसके उचित निपटान की व्यवस्था करनी चाहिए।

जल प्रदुषण का निष्कर्ष Conclusion Of Water Pollution In Hindi

जल मानव जीवन के लिए एक अमूल्य तत्व है, जिसको स्वच्छ रखना हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए। हमें सिर्फ जल को प्रदूषित होने से ही नही बल्कि व्यर्थ होने से भी बचाना चाहिए। आज के समय में पृथ्वी पर उपस्थित 3 प्रतिशत पेय जल में से लगभग 1 प्रतिशत जल ही पीने योग्य बचा है, जिसे भी हम बेवजह नाली में बहा कर व्यर्थ कर देते है। आने वाले समय में यह एक बड़ी समस्या बनकर उभरने की संभावना है। दुनिया में कई देश ऐसे भी है जहां अभी से ही जल की कमी महसूस होने लगी है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जल प्रदूषण के साथ-साथ जल संचयन पर भी योजनाएं बनाए जाने की बेहद आवश्यकता है।

इस आर्टिकल में हमने आपको जल प्रदुषण के बारे में बताया (water pollution in Hindi ) और उम्मीद करते है की यह आर्टिकल के द्वारा आपको जल प्रदुषण के बारे में अच्छी जानकरी मिली होगी। इस आर्टिकल (water pollution in Hindi )में यदि कोई जानकरी हमसे छूट गयी होगी तो इसे फीडबैक के माध्यम से शेयर करे आपका फीडबैक आगे आने वाले आर्टिकल को और अच्छा लिखने में सहायता करेगा। तरह की जानकरी के लिए हमारे अन्य ब्लॉग Siyaservice.com के आर्टिक्ल को पढ़े और अपना फीडबैक दे।

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