महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख और सम्मानित नेता थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए हथियारों की बजाय सत्य और अहिंसा को अपनाया था । गांधी जी को हम ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में भी जानते है। महात्मा गांधी केवल भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में सम्मान की नजर से देखा जाता है। उनका जीवन और विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देता हैं। इस आर्टिकल में हम महात्मा गांधी का जीवन परिचय (mahatma gandhi ka jivan parichay) के बारे में विस्तार से जानेंगे और समझेंगे कि उन्होंने कैसे अपने विचारों से पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया है।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay
प्रारंभिक जीवन
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर शहर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत में दीवान थे और माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। गांधी जी का बचपन साधारण और सादा रहा। गांधी जी बचपन से ही ईमानदार, शांत स्वभाव और थोड़े शर्मीले थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई और बाद में उच्च शिक्षा के लिए राजकोट गए । महात्मा गांधी का विवाह लगभग 13 साल की उम्र में कस्तूरबा गांधी से हुवा था । बाल्यकाल में गांधी जी पर माँ के धार्मिक विचारों और सादगी का गहरा प्रभाव पड़ा था ।
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| पूरा नाम | मोहनदास करमचंद गांधी |
| जन्म | 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर, गुजरात |
| माता-पिता | करमचंद गांधी और पुतलीबाई |
| पत्नी | कस्तूरबा गांधी |
| बच्चे | 4 पुत्र हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास |
| शिक्षा | यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (कानून) |
| आत्मकथा | ‘द स्टोरी ऑफ़ माय एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रूथ’ |
| प्रमुख आंदोलन | असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन |
| मृत्यु | 30 जनवरी 1948, नई दिल्ली |
| प्रसिद्ध नारा | “करो या मरो” |
| पेशा | वकील, राजनेता, कार्यकर्ता, विचारक और लेखक |
| उपाधि | महात्मा, बापू, राष्ट्रपिता |
| मृत्यु स्थान | बिड़ला मंदिर, नई दिल्ली |
| प्रमुख लेख | हिंद स्वराज, सत्य के प्रयोग |
| स्मारक | राजघाट, दिल्ली |
इंग्लैंड में शिक्षा
महात्मा गांधी 1888 इंग्लैंड में अपनी बेरिस्टर की पढ़ाई के लिए गए थे। जहाँ उन्होंने ‘इनर टेम्पल’ से कानून की पढ़ाई शुरू की। वहां गाँधी जी ने अनुशासित जीवन जिया । विदेश में रहते हुए भी उन्होंने मांस, शराब और अन्य गलत आदतों से खुद को दूर रखा। उन्होंने अंग्रेजी सभ्यता को अपनाया लेकिन भारतीय संस्कारों को नहीं छोड़ा। पढ़ाई के साथ-साथ वे सार्वजनिक जीवन, राजनीति और समाज की समस्याओं को समझने लगे। इंग्लैंड का अनुभव उनके जीवन को एक नई दिशा देने वाला साबित हुआ।
दक्षिण अफ्रीका में कार्य
शिक्षा पूरी करने के बाद गांधी जी भारत लौटे और वकालत शुरू की। 1893 में एक कानूनी कार्य के लिए वे दक्षिण अफ्रीका गए। वहां उन्हें रंगभेद और भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार उन्हें ट्रेन से सिर्फ इसलिए बाहर फेंक दिया गया क्योंकि वे भारतीय थे और प्रथम श्रेणी में सफर कर रहे थे। इस घटना ने उनके मन को झकझोर दिया। उन्होंने वहीं से सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की और 21 वर्षों तक अफ्रीका में लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।
भारत वापसी और स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी
गांधी जी 1915 में भारत लौटे। उन्होंने देशभर की यात्रा की और भारत की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को समझा। उन्होंने चंपारण और खेड़ा जैसे आंदोलनों के माध्यम से किसानों और गरीबों की मदद की। उनके शांतिपूर्ण प्रयासों से लोगों को न्याय मिला। इसके बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने लगे। उन्होंने भारतीय जनता को आत्मनिर्भर बनने, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने और स्वदेशी अपनाने की प्रेरणा दी।
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गांधी जी द्वारा नेतृत्व किए गए प्रमुख आंदोलन
गांधी जी ने अंग्रेजो से देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए कई बड़े आंदोलनों का नेतृत्व किया जिनमें से तीन सबसे महत्वपूर्ण थे।
- असहयोग आंदोलन (1920): इस आंदोलन में उन्होंने लोगों से ब्रिटिश सरकार का सहयोग न करने की अपील की। गाँधी जी द्वारा चलाये गए इस असहयोग आंदोलन में लोगों ने सरकारी नौकरियों, स्कूलों और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया।
- दांडी मार्च (नमक सत्याग्रह – 1930): नमक पर टैक्स के विरोध में गांधी जी ने 240 किलोमीटर की यात्रा कर समुद्र तट पर नमक बनाया। यह अंग्रेजों के कानून के खिलाफ एक शांतिपूर्ण विरोध था।
- चंपारण सत्याग्रह (1917) – यह गांधीजी का भारत में पहला बड़ा आंदोलन था, जो बिहार के चंपारण जिले में नील किसानों के अधिकारों के लिए लड़ा गया था।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942): गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा देकर अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया। यह आंदोलन स्वतंत्रता की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हुआ।
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गांधी जी के विचार और सिद्धांत
गांधी जी के जीवन का मुख्य आधार अहिंसा, सत्य और सत्याग्रह था ।अहिंसा का अर्थ है किसी को शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक रूप से नुकसान न पहुँचाना। वे मानते थे कि बिना हिंसा के भी अन्याय का विरोध किया जा सकता है। सत्य उनके लिए केवल शब्द नहीं था, बल्कि जीवन का आधार था। वे हर परिस्थिति में सच्चाई बोलते थे।
सत्याग्रह गांधी जी की सोच का अनोखा तरीका था इसका मतलब है सत्य के लिए संघर्ष। इसमें विरोध शांतिपूर्ण और नियमों का पालन करते हुए किया जाता है। उनके ये सिद्धांत आज भी पूरी दुनिया में सराहे जाते हैं।
गांधी जी की मृत्यु
महात्मा गांधी ने जीवनभर देश की सेवा की। लेकिन 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में उनकी हत्या कर दी गई। महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने उन्हें शाम को प्रार्थना सभा में जाते समय गोली मार के किया था। उनकी मृत्यु से पूरा देश शोक में डूब गया। लाखों लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। गांधी जी का जाना पूरे राष्ट्र के लिए अपूर्ण क्षति थी। मरते समय गाँधी जी ने अंतिम शब्द के रूप में “हे राम” कहा था आज भी लोगों के मन में गूंजते हैं।
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गांधी जी की विरासत
महात्मा गांधी की स्मृति आज भी जीवित है। भारत में हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है और यह दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है। इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। दिल्ली में स्थित राजघाट उनकी समाधि है, जहाँ देश-विदेश से लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने आते हैं। उनकी मूर्तियाँ लंदन, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों में लगाई गई हैं। भारत की मुद्रा पर भी गांधी जी की तस्वीर होती है। उनके विचारों से प्रभावित होकर कई विश्व नेता जैसे मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला ने भी अपने देशों में समानता और न्याय की लड़ाई लड़ी।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी का जीवन परिचय (mahatma gandhi ka jivan parichay) हमें सिखाता है कि कैसे एक सामान्य व्यक्ति भी अपने विचारों और कार्यों से पूरी दुनिया को बदल सकता है। उन्होंने भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया, लेकिन उनका संघर्ष केवल राजनीतिक नहीं था; वह एक सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक आंदोलन भी था। आज जब हम स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं, तब हमें यह याद रखना चाहिए कि यह आजादी गांधीजी और उनके जैसे लाखों देशभक्तों के त्याग और संघर्ष का परिणाम है। यदि हम उनके विचारों को जीवन में अपनाएं, तो न केवल हम एक अच्छे नागरिक बन सकते हैं, बल्कि एक बेहतर समाज और देश भी बना सकते हैं।
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