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कंप्यूटर का इतिहास – History Of Computer In Hindi

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History of Computer in Hindi : कंप्यूटर मानव आविष्कारों में सबसे महत्वपूर्ण अविष्कार माना गया है। कंप्यूटर मानव जीवन के लगभग सभी कार्यो को करने में सक्षम है। आज हम किसी भी कार्य को करने के लिए Computer पर निर्भर हो गए है । कंप्यूटर का उपयोग, स्कूलों, अस्पतालों, बैंकों, बिज़नेस सभी जगह उपयोग किया जाने लगा है। लेकिन जिस कंप्यूटर को आज हम इस्तेमाल करते है उसका अविष्कार रातोंरात नहीं हुआ है इनका लंबा और रोचक इतिहास रहा है।

कंप्यूटर के आविष्कार से पहले, लोग संख्याओं का हिसाब रखने और बुनियादी गणनाओं को करने के लिए लकड़ी , पत्थर और हड्डियों जैसे साधारण औज़ारों पर निर्भर हुआ करते थे । जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ी और मानवीय समझ बढ़ी, अबेकस और नेपियर बोन्स जैसे एडवांस डिवाइस का उपयोग किया जाने लगा । हालाँकि ये डिवाइस साधारण गणनाओं को करने के सक्षम थे लेकिन जटिल गणनाओं को करने की क्षमता सीमित थी।

कंप्यूटर का इतिहास – History of Computer in Hindi

प्रारंभिक उपकरण भले ही आज की मशीनों की तरह शक्तिशाली नहीं थे, लेकिन उन्होंने उस समय के लोगों की बहुत सारी समस्याओं को हल किया था । अबेकस, नेपियर की बोन्स, पैस्कलाइन, डिफरेंस इंजन, एनालिटिकल इंजन, टैब्यूलेटिंग मशीन और डिफरेंशियल एनालाइज़र जैसे उपकरण आधुनिक कंप्यूटर विज्ञान की नींव कहे जा सकते हैं। History of Computer in Hindi आर्टिकल में हम इन्ही उपकरणों के बारे में विस्तार से समझेंगे।

Abacus

अबेकस (Abacus) एक प्राचीन गणना उपकरण है जिसका उपयोग हज़ारों साल पहले गणितीय गणनाओं के लिए किया जाता था। इसे सबसे पहला कंप्यूटर डिवाइस भी माना जाता है। अबेकस लकड़ी या मेटल के फ्रेम में बनी छड़ियों पर पिरोए गए मोतियों से बना होता है। इन मोतियों को इधर-उधर सरकाकर जोड़, घटाव, गुणा और भाग जैसी गणनाएँ आसानी से की जा सकती हैं। चीन, जापान और भारत जैसे देशों में इसका व्यापक उपयोग हुआ है। आज भी कई जगह अबेकस बच्चों को गणित सिखाने और मानसिक गणना क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

Abacus device

Napier’s Bones (1617)

नेपियर की बोन्स (Napier’s Bones) एक कैलकुलेशन डिवाइस था, जिसे 1617 में स्कॉटलैंड के गणितज्ञ जॉन नेपियर ने बनाया था। यह डिवाइस लंबी छड़ियों या स्ट्रिप्स के रूप में होता था, जिन पर नंबर्स और मल्टिप्लिकेशन टेबल लिखा होता था । इन छड़ियों की मदद से गुणा, भाग और वर्गमूल जैसी गणनाएँ आसानी से किया जा सकता था । नेपियर की बोन्स ने मैथमैटिक्स कैलकुलेशन को फ़ास्ट और आसान बना दिया था , जिससे बिज़नेस और साइंटिस्ट बड़ी संख्याओं के साथ आसानी से काम कर पाते थे । इसे मॉर्डन कैलकुलेटर और कंप्यूटर की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।

Napier’s Bones

Pascaline (1642)

पैस्कलाइन (Pascaline) सबसे पहला मैकेनिकल कैलकुलेशन डिवाइस था, जिसे 1642 में फ्रांस के साइंटिस्ट Blaise Pascal ने बनाया था। इस डिवाइस का उपयोग मुख्य रूप से नंबर्स को जोड़ने और घटाने के लिए उपयोग किया जाता था। पैस्कलाइन में गियर और व्हील्स का उपयोग किया गया था, जिन्हें घुमाकर नंम्बर इन्सर्ट किया था और रिजल्ट भी देखा जा सकता था। यद्यपि यह मशीन सीमित कार्य कर पाती थी, लेकिन इसे आधुनिक कैलकुलेटर और कंप्यूटर के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण खोज माना गया था ।

Pascaline
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Difference Engine (1822)

डिफरेंस इंजन (Difference Engine) एक मैकेनिकल कैलकुलेशन मशीन थी , जिसे 1822 में इंग्लैंड के मैथेमैटिशन चार्ल्स बैबेज ने डिजाइन किया था। इस मशीन का मुख्य उदेश्य काम्प्लेक्स मैथमैटिक टेबल को बिना ग़लती के ऑटोमैटिक तरीके से तैयार करना टेबल तैयार करना। इसमें कैलकुलेशन करने के लिए गियर और व्हील्स का उपयोग किया गया था ज कैलकुलेशन को स्टेप्स बाय स्टेप्स कर सके। यद्यपि बैबेज के समय में यह मशीन पूरी तरह बन नहीं पाई, लेकिन इसके कांसेप्ट ने भविष्य में आने वाले मॉर्डन कंप्यूटरों की नींव रखी। डिफरेंस इंजन को मॉर्डन कंप्यूटर साइंस की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।

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Analytical Engine (1830s)

एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) एक जनरल उदेश्य के लिए बनाया गया एक मैकेनिकल कंप्यूटर था जिसे 1830 में इंग्लैंड के मैथेमैटीशन चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने बनाया था। एनालिटिकल इंजन को मॉर्डन कंप्यूटर का जनक भी कहा जाता है। इस मशीन में पहली बार इनपुट, आउटपुट, मेमोरी और प्रोसेसिंग यूनिट जैसे कॉम्पोनेन्ट की कल्पना की गई थी, जो आज के मॉर्डन कंप्यूटरों के मूल आधार हैं। एनालिटिकल इंजन पंच कार्ड (punch cards) का उपयोग करके डेटा रीड करता था और ऑटोमेटिक तरीक़े से कैलकुलेशन करता था। यद्यपि यह मशीन बैबेज के जीवनकाल में पूरी नहीं बन पाई, लेकिन इसकी अवधारणा ने मॉर्डन कंप्यूटर साइंस की नींव रखी।

Analytical Engine
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Ada Lovelace

एडा लॉवलेस (Ada Lovelace) दुनिया की पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर मानी जाती हैं। उनका जन्म 1815 में इंग्लैंड में हुआ था और वे प्रसिद्ध कवि लॉर्ड बायरन की पुत्री थीं। एडा को मैथमैटिक और लॉजिक में गहरी रुचि रहती थी और उन्होंने चार्ल्स बैबेज के एनालिटिकल इंजन पर भी कार्य किया था । उन्होंने इस मशीन के लिए पहला एल्गोरिथ्म लिखा था , जिसे आज कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की शुरुआत माना जाता है। एडा ने यह भी समझा था कि कंप्यूटर कैलकुलेशन के आलावा म्यूजिक और इमेज को भी प्रोसेस कर सकता है। उनके योगदान के कारण उन्हें टेक्नोलॉजी की दुनिया में “पहली प्रोग्रामर” भी कहा जाता है।

Tabulating Machine (1890)

टैब्यूलेटिंग मशीन (Tabulating Machine) एक कैलकुलेशन और डेटा प्रोसेसिंग डिवाइस था, जिसे 1890 में अमेरिकी आविष्कारक हरमन होलेरिथ (Herman Hollerith) ने बनाया था। इस मशीन का उपयोग सबसे पहले अमेरिकी जनगणना (Census) के दौरान बड़े डाटा को फ़ास्ट तरीक़े से कैलकुलेशन करने लिए किया गया था । इसमें पंच कार्ड का उपयोग होता था, जिन पर डेटा एंटर किया जाता था, और फिर टैब्यूलेटिंग मशीन से पंच कार्डों को रीड कराके कैलकुलेशन किया जाता था । टैब्यूलेटिंग मशीन मॉर्डन डेटा प्रोसेसिंग और कंप्यूटर इंडस्ट्री के डेवलपमेंट में अपना महान योगदान दिया है।

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Differential Analyzer 1930

डिफरेंस एनालाइज़र (Differential Analyzer) एक मैकेनिकल एनालॉग कंप्यूटर था, जिसे 1930 में अमेरिकी इंजीनियर वैनिवर बुश (Vannevar Bush) ने डिजाइन किया था। यह मशीन जटिल गणितीय समीकरणों, विशेषकर डिफरेंशियल इक्वेशंस, को हल करने के लिए बनाई गई थी। इसमें गियर, व्हील्स और शाफ्ट का उपयोग किया जाता था, जो इक्वेशन को मैकेनिकल तरीक़े से हल करते थे । डिफरेंस एनालाइज़र का उपयोग साइंस , इंजीनियरिंग और मिलिट्री रिसर्च में किया जाता था । डिफरेंस एनालाइज़र में कैलकुलेशन स्पीड और एक्यूरेसी को बढ़ाया गया और जिसने आगे चलकर इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटरों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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Mark I

मार्क-1 (Mark I), जिसे Harvard Mark I भी कहा जाता है, दुनिया के शुरुआती इलेक्ट्रो-मैकेनिकल कंप्यूटरों में से एक था। इसे 1944 में हॉवर्ड आइकन और IBM कंपनी के सहयोग से बनाया गया था। यह मशीन लगभग 51 फीट लंबी और 5 टन वजनी थी। इसमें स्विच, रिले और मूविंग पार्ट्स का उपयोग किया गया था। मार्क-1 का उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी नौसेना ने जटिल गणनाएँ करने के लिए किया। यह जोड़, घटाव, गुणा और भाग के साथ-साथ लंबे समीकरण भी हल कर सकता था। मार्क-1 ने आधुनिक डिजिटल कंप्यूटरों की नींव रखी।

Mark I
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निष्कर्ष

कंप्यूटर के प्रांरभिक इतिहास (History of Computer in Hindi) को जानने के बाद समझ में आता है की मनुष्य हमेशा समस्याओं के समाधान के नए साधनों की तलाश में रहा है। गणना करने के लिए उपयोग किये जाने वाले Abacus से लेकर Mark-I तक की यह यात्रा आधुनिक कंप्यूटर के जन्म के प्रत्यक्ष प्रमाण है। ये उपकरण आज भले ही पुराने हो गए हों, लेकिन इनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। इन्होंने कंप्यूटर साइंस की नींव रखी और यह सिद्ध किया कि टेक्नोलॉजी निरंतर विकसित होती रहती है। यदि Abacus, Pascaline, Analytical Engine और Tabulating Machine जैसे डिवाइस न होते, तो आज के Smart और Advance Computer तक पहुँच पाना संभव नहीं होता।

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siya

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