आज के समय में वायु प्रदूषण (Vayu Pradushan) देश और दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। जिसके कारण सभी जीवित जीव-जंतुओं को अनेक प्रकार की बीमारी हो रही है। वायु जीवन यापन के लिए मनुष्य से लेकर सभी जीवित प्राणियों और पेड़-पौधों के लिए बहुत ही आवश्यक है। लेकिन आधुनिकीकरण (Modernization) और औद्योगिकरण (Industrialization), पेड़ों की कटाई इत्यादि के कारण वायु दिन प्रतिदिन दूषित हो रही है। जिसके कारण पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतुओं को जीना मुश्किल हो रहा है। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको वायु प्रदुषण के बारे में विस्तार से बताने का प्रयास करेंगे जैसे कि वायु प्रदुषण क्या है (What Is Vayu Pradushan), वायु प्रदूषण फ़ैलाने के कारण, वायु प्रदुषण से होने वाले दुष्परिणाम, और इसके वचाव के लिए क्या उपाय किये जा सकते हैं. आइए वायु प्रदूषण के बारे में विस्तार से जानते हैं:-
वायु प्रदूषण क्या है?
वातावरण में उपस्थित साफ वायु में अन्य बाहरी हानिकारक गैसों अथवा रसायनों और अन्य सूक्ष्म पदार्थों के मिलने से साफ वायु में पड़े प्रभाव को ही वायु प्रदुषण (Vayu Pradushan) कहते हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो, वातावरण में हानिकारक गैसों, कणों, और जैविक अणुओं के ज्यादा मात्रा में वायु में घुल मिल जाने से उत्पन्न स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं। यदि समय रहते वायु प्रदुषण (Vayu Pradushan) को काबू नहीं किया जाए तो यह वैश्विक स्तर की समस्याओं जैसे ग्लोबल वर्किंग और खतरनाक बीमारियों जैसे cancer, kidney failure, heart बीमारी आदि का कारण बन सकता है। दिन प्रतिदिन वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है, जो कि सभी जीवंत प्राणियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
वायु प्रदूषण कैसे फैलता है?
वायु सिर्फ मानव द्वारा किए जा रहे तरह-तरह के प्रयोगों अथवा मानवीय करणों से प्रदूषित नहीं होती, बल्कि कुछ हद तक प्राकृतिक कारण भी इसमें शामिल हैं। वायु प्रदूषण के दो प्रमुख स्त्रोत हैं :-
- प्राकृतिक स्त्रोत
- मानवीय स्त्रोत
प्राकृतिक स्रोत्र
कुछ प्राकृतिक क्रियाओं से भी वायु प्रदुषण (Vayu Pradushan) फैलता है। जो कि सीमित और कम नुकसानदेह होता है।
- ज्वाला मुखी फटने से बहुत अधिक मात्रा में धुआं, राख और चट्टानों के टुकड़ों के साथ-साथ भिन्न-भिन्न प्रकार की जहरीली गैसें उत्सर्जित होती हैं, जो वायुमंडल में मिलकर वायु को प्रदूषित करती हैं।
- वनों में लगने वाली आग भी वायु प्रदूषण का कारण बनती है, क्योंकि इससे निकला धुआं और राख वायुमंडल में प्रवेश करके उसे प्रदूषित कर देता है।
- तेज़ आंधी-तूफान के कारण हवा में काफी मात्रा में छोटे-छोटे धूल के कण सम्मिलित हो जाते हैं, जो वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
- दलदलीय जगहों पर पदार्थों अथवा कुछ पौधों के सड़ने के कारण उनसे निकली hydrogen गैस से भी वायु प्रदुषण (vayu pradushan) फैलता है।
मानवीय स्त्रोत
मानव जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा है, वह नए-नए तरीकों से अपने जीवन को और ज्यादा आसान बनाने की कोशिश में लगा रहता है। इन सभी से मानव जीवन को आसान बनाने में तो मदद मिलती है, लेकिन वायुमंडल को भारी मात्रा में क्षति पहुंचती है।
- वर्तमान में यातायात का उपयोग हद से ज्यादा बढ़ गया है। गाड़ियों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को सबसे ज्यादा मात्रा में हानि पहुंचाता है।
- Industrialisation के चलते जगह-जगह पर फैक्ट्रियों का निर्माण किया जा रहा है। जिनसे निकलने वाली हानिकारक गैसें और धुआं वायुमंडल को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते है।
- किसान अपनी खराब फसलों को जला कर नष्ट करते हैं, जिनसे निकलने वाला धुआं vayu pradushan का कारण बनता है।
- अक्सर ठंड के समय में आग तापने और खाना बनाने में लोग किसी भी प्रकार की लकड़ियों को जला कर उपयोग में लाते हैं। जिनसे निकला धुआं वातावरण को प्रभावित करता है।
- कचरा जलाने से भी वायु प्रदूषण फैलता है। कचरे में उपस्थित प्लास्टिक, पॉलीथीन और अन्य पदार्थ जलने के बाद कई प्रकार की विषैली गैसों का उत्सर्जन करते हैं जो आस-पास की वायु को भी विषैला बना देती हैं।
- दुनिया भर में बड़े स्तर पर बहुत से घरों में AC इस्तेमाल किया जाता है। जिस कारण से कमरों के बाहर निकली गर्म हवा वातावरण को बड़ी मात्रा में प्रभावित करती है, और वायु प्रदुषण (vayu pradushan) का कारण बनती है।
- पूरी दुनिया में धूम्रपान करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है, धूम्रपान से निकला विषैला धुआं वातावरण में मिल कर उसे प्रदूषित कर देता है।
- जंगली जानवरों के मरने के बाद उनके मृत शरीर जंगलों में ही पड़े रहते हैं, और उनके सड़ने के बाद उनमें से कई गैसें निकलती हैं, जो आसपास के वातावरण को प्रदूषित और बदबूदार बना देती हैं।
- जंगलों में अंधाधुंध तरीके से पेड़ काटे जाने से ऑक्सीजन का उत्पादन कम होता जा रहा है। वायुमंडल में उपस्थित oxygen दिन-प्रतिदिन घट रही है और वायुमंडल में carbon-dioxide की मात्रा में वृद्धि होती जा रही है, जो कि वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है।
वायु प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभाव | vayu pradushan ke prabhav
जैसा कि हमने पहले भी जाना कि, वायु मानव जीवन के लिए एक अनिवार्य तत्व है। जिसके बिना जीवन संभव ही नहीं है। जब यही वायु प्रदूषित होकर मानव शरीर में प्रवेश करती है तो कई सारी बीमारियां पैदा होती हैं, साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है और तापमान में भी वृद्धि होती है। इन सभी कारणों से सिर्फ वायु ही नहीं बल्कि अन्य तत्व भी काफी प्रभावित होते हैं।
- जंगलों और भरी मात्रा में पेड़ों के कटने से वायुमंडल में carbon-dioxide की मात्रा में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो कि पृथ्वी को सूर्य की पराबैंगनी (Ultraviolet) किरणों से बचाने वाली ओजोन लेयर (Ozone Layer) को कमज़ोर करने का काम करती है। जिससे सूर्य से आने वाली किरणें सीधी हमारे शरीर पर पड़ती हैं और स्किन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
- आधुनिकीकरण के चलते मानव ने पर्यावरणीय तत्वों के साथ काफी खिलवाड़ किया है, जिसके कारण आज पर्यावरण में उपस्थित वायु सभी जीवित प्राणियों के लिए विषैली होती जा रही है।
- वायु प्रदूषित होने से सिर्फ स्किन ही नहीं बल्कि अन्य कई हानिकारक और जानलेवा बीमारियां जैसे Heart Disease, Lung Disease, Kidney Disease, Asthma, Blood Cancer, मानसिक बीमारिया आदि भी हो सकती हैं।
- समय में इंसान द्वारा बनाए गए नए-नए उपकरणों से वातावरण में वायु प्रदूषण (Vayu Pradushan) काफी तेजी से फैल रहा है। फिर चाहे वो यातायात के साधन हों या तरह-तरह की वस्तुएं बनाने वाली फैक्ट्रियां। सभी से निकलने वाला धुआं वातावरण में उपस्थित हवा में विभिन्न गैसों को मिलाने का काम करते हैं, जिससे वायु प्रदूषित होती है।
- औद्योरीकरण ने वायुमंडल को जहरीला बनाने और वायु प्रदूषण (Vayu Pradushan फैलने में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
- प्रदूषित वायु ग्रहण करने के कारण मानव जीवन की औसत आयु कम होती जा रही है।
- गर्भवती महिलाओं द्वारा प्रदूषित वायु ग्रहण करने से उनके और उनके अंदर पल रहे बच्चे दोनों की जान को खतरा रहता है।
- वायु प्रदूषण के कारण कई बार ऐसे कण या पदार्थ वायु में मिल कर वायुमंडल में जमा हो जाते हैं, जिनके कारण अम्लीय वर्षा (Acid Rain) होती है। जो अम्ल पानी में घुलकर हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं। जिस कारण से मानव शरीर में तरह-तरह की बीमारियां होने लगती हैं।
- वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है। जिससे ग्लेसियर पिघलने लगे हैं और वातावरण में तापमान पर प्रभाव पड़ने से मौसम भी असामान्य रूप से बिगड़ने लगे हैं।
वायु प्रदूषण से बचने के उपाय
यदि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना है तो जनसामान्य को अपने दैनिक जीवन में कुछ बदलाव लाने होंगे और कुछ कड़े कदम उठाने होंगे।
- वायु प्रदूषण से बचने के लिए वृक्षारोपण सबसे आसान और सबसे अधिक कारगर उपाय है। हम जितने अधिक पेड़ लगाएंगे उतनी ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित होगी और वायुमंडल में carbon-dioxide की मात्रा में कमी आयेगी जिससे Ozone layer भी मजबूत होकर अल्ट्रावायोलेट किरणों को रोकने में पूर्ण रूप से सक्षम हो सकेगी।
- हमें पुराने वाहनों को या तो बंद कर देना चाहिए या फिर उन्हें नवीकरण करवा कर उपयोग में लाना चाहिए।
- व्यक्तिगत वाहनों को कम करके सार्वजनिक यातायात साधनों का अधिक उपयोग करना चाहिए।
- ईंधन से चलने वाले वाहनों की जगहबिजली के वाहन का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए। आजकल ऐसे बिजली के वाहन का निर्माण किया जाने लगा है, जिनसे धुआं या अन्य कोई हानिकारक गैसों का उत्सर्जन नहीं होता।
- सौर्य ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।
- ज्यादा उपयोग में न आने वाले या अधिक प्रदूषण फैलने वाले कारखानों को बंद कर देना चाहिए। जिससे वायुमंडल को कम क्षति पहुंचे।
- निर्माणाधीन जगहों के आस-पास के क्षेत्र को घेराबंदी कर निर्माण कार्य करना चाहिए। जिससे पर्यावरण में धूल के कण न फैलें।
- घरों तथा कारखानों की चिमनियों में आधुनिक उपकरणों का उपयोग करना चाहिए जिनकी सहायता से धुएं में उपस्थित हानिकारक गैसों को वातावरण में जाने से रोका जा सकता है।
- जनसंख्या वृद्धि पर भी नियंत्रण करने की बहुत अधिक आवश्यकता है। यदि हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पा लेते हैं तो, आधे से ज्यादा समस्याएं काबू में आ सकती हैं। अगर जनसंख्या नियंत्रित रहेगी तो न अधिक जंगल कटने की आवश्यकता होगी और न ही अधिक फैक्ट्रियां लगाने की।
- सरकार द्वारा वायु प्रदुषण (Vayu Pradushan) पर नियंत्रण करने के लिए नए नियम बनाने चाहिए और उनको सख्ती से लागू करना चाहिए। साथ ही वायु प्रदूषण कानून 1981 में और अधिक सख्ती बरतनी चाहिए।
- जनसामान्य में वायु प्रदूषण के प्रति चेतना जगाने के लिए शहरों और गांवों के कोने-कोने में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता लानी चाहिए। उन्हें वायु प्रदूषण से जुड़ी बातों से और उसे रोकने के उपायों से भी अवगत कराना चाहिए।
निष्कर्ष
वायु प्रदुषण एक जानलेवा समस्या है। जितना जल्दी हो सके इसे रोकने अथवा कम करने के प्रयास शुरू कर देने चाहिए। सरकारों द्वारा बनाए गए नियमों से तब तक कुछ नहीं हो सकता जब तक जनसामान्य उनका पालन पूरी जागरूकता से न करें। जनसामान्य को अपने आस-पास फैल रहे प्रदूषण, जिन्हें वे स्वयं ही रोक सकते हैं, उसे रोकने के प्रयास करने चाहिए। बातचीत के माध्यम से एक दूसरे को वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए जिससे केवल वृक्ष लगाने वाला ही नहीं बल्कि आस-पास के सभी लोग स्वच्छ हवा का सेवन कर सकें और स्वस्थ रह सकें। लोगों को ऊंची चिमनियों का प्रयोग करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इस प्रकार के सकारात्मक प्रयासों को अमल में लाने के बाद ही वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
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