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Green House Effect in Hindi

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है और इसके कारण और बचाव है

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इस आर्टिकल में आप जानेगे की ग्रीनहाउस गैस क्या है, ग्रीनहाउस गैस के प्रभाव (green house effect in Hindi) ,ग्रीन हाउस प्रभाव से भविष्य में आने वाली समस्याएं और इससे बचने के क्या उपाय किये जा सकते है।

आज पूरी दुनिया पर्यावरण के दुष्प्रभावों को झेल रही है। कहना गलत नहीं होगा कि पृथ्वी धीरे धीरे बीमार पड़ रही है। आज दुनिया के सामने बदलते जलवायु परिवर्तन ( climate change ) की चुनौती है। चारों तरफ तबाही के मंजर दिख रहे हैं। सभी देश आज किसी ना किसी तरह प्रकृति का प्रकोप झेल रहे हैं और इंसान के अस्तित्व को खाक कर देने वाली आपदा से लड़ने की तैयारी भी कर रहे हैं। वहीं Green house effect में लगातार वृद्धि देखा जा रहा है और इस कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है। 

ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है | Green House Effect In Hindi

ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी की सतह को गर्म करती है, यह एक प्राकृतिक घटना है। सरल शब्दों में पृथ्वी पर जो वातावरण मौजूद है वो ग्रीनहाउस की सतह के रूप में कार्य करता है। सूर्य की ओर से आने वाली प्रकाश किरणों का 31 प्रतिशत भाग पृथ्वी से वापस अंतरिक्ष में लौट जाता है। ये किरणें पृथ्वी की सतह से पुनः परिवर्तित होकर आकाश में चली जाती हैं और 20 प्रतिशत भाग वातावरण अवशोषित कर लेता है।सूर्य से आई जो ऊर्जा बच जाती है, उसे समुद्र और सतह पर मौजूद तथ्यों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। जो ऊष्मा (गर्मी ) में परिवर्तित होती है और पृथ्वी की सतह और ऊपर मौजूद हवाओं को गर्म  रखती है। 

ग्रीनहाउस गैस का इतिहास

ग्रीनहाउस प्रभाव के बारे में सबसे पहले साल 1824 में जोसेफ फुरियर ने बताया था। उन्होंने अनुमान लगाया था कि ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो पृथ्वी अधिक ठंडी होती। उन्होंने जो तर्क दिए थे उसे क्लाउड पाउलेट ने और मजबूत किया था।जिसके बाद साल 1859 में जॉन टिंडल ने प्रयोग और अवलोकन कर इस बारे में बताया। लेकिन सबसे पहले इसकी स्पष्ट आंकिक जानकारी स्वांटे आर्रेनियस ने साल 1896 में दी थी।साल 1895 में, स्वीडिश रसायनशास्त्री Svante Arhenhenius ने बताया था कि मनुष्य कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैस बनाकर ग्रीनहाउस प्रभाव को बढ़ा सकते हैं।अब तक वैज्ञानिक ग्रीनहाउस शब्द का प्रयोग नहीं कर रहे थे। ग्रीनहाउस शब्द का प्रयोग निल्स गुस्टफ एकहोम ने 1901 में किया था।  

कुछ प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों की जानकारी

Green House Gases
  • ग्रीनहाउस गैसों में भाप (H2O), पर्यावरण में इस गैस का प्रतिशत 36-70% है
  • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), गैस का प्रतिशत 9-26% है
  • मिथेन (CH4), गैस का प्रतिशत 4-9% है
  • नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) 3-7% है
  • साथ ही ओज़ोन (O3) और Chlorofluorocarbons है।

ग्रीन हाउस प्रभाव के दुष्परिणाम

सबसे पहले सूर्य से आने वाली किरणों का कुछ भाग पृथ्वी पर होता है और कुछ परिवर्तित होकर वापस चले जाता है। जिसके बाद कुछ किरणों को पृथ्वी पर मौजूद समुद्र या सतह के तथ्यों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है और ऊष्मा उत्पन्न होती है। यही ऊष्मा अंतरिक्ष की ओर जाती है।

ऊष्मा का कुछ भाग ग्रीनहाउस गैसों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। जिसके बाद पृथ्वी का तापमान गर्म रहता है। लेकिन मानव गतिविधियों और जीवाश्म ईंधन के उपयोग, पेड़ों की कटाई, शहरीकरण आदि द्वारा मनुष्य गैसों का स्तर बढ़ाते हैं और इन्हीं गैसों के बढ़ने से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और इसी कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है।

ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि के कारण तापमान में वृद्धि देखा जा रहा है। ये वृद्धि मानव के द्वारा ही निर्मित किया गया है। मनुष्य ने अपनी जरूरतों को ध्यान में रखकर पर्यावरण को काफी हानि पहुँचाया है। वनों की अंधाधुंध कटाई, शहरीकरण, जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग आदि के परिणामस्वरूप पृथ्वी का तापमान बढ़ गया है। वैज्ञानिको के अनुसार पृथ्वी का तापमान पहले की अपेक्षा 11 ℃ बढ़ चुका है।

ग्रीन हाउस प्रभाव से भविष्य में आने वाली समस्याएं

विशेषज्ञ कहते हैं कि 2030 तक इसमें 5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि और हो सकती है। आज हम आपदाओं को देख यह अंदाजा लगा सकते हैं कि पृथ्वी पर मंडराता खतरा हमें कहां लेकर जाएगा। आज गर्म जगहों पर बर्फ गिर रही है। जहां बारिश होती थी वहां सूखा पड़ रहा है। ग्लेशियर पर मौजूद बर्फ लगातार पिघल रही है।

कई रिसर्च बताते हैं कि आने वाले समय में कई बड़े शहर जलमग्न हो जाएंगे, जिनमें भारत के मुंबई और कोलकाता , चेन्नई इत्यादि शहर शामिल है। आज खेती के लिए पानी नहीं है, तो कहीं बाढ़ ने खेती को बर्बाद किया हुआ है। आज हमें प्रदूषण को नियंत्रित करने की जरूरत है, नहीं तो आने वाला कल अंधकार में जन्म लेगा।

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ग्रीनहाउस गैसों के प्रमुख कारण

प्राकृतिक कारण

प्रकृति भी कई तरह से कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन का आदि उत्पन्न करती है। पेड़-पौधों के क्षय से ये गैसें उत्पन्न होती है। प्राकृतिक रूप से आग लगने के कारण भी नाइट्रस ऑक्साइड उत्पन्न होती है।  जल वाष्प काभी ग्रीनहाउस प्रभाव में महत्वपूर्ण योगदान है। जल वाष्प ऊर्जा थर्मल को अवशोषित कर हवा में आद्रता बढ़ाती है। इस कारण भी तापमान में वृद्धि होती है। जानवरों द्वारा भी वातावरण में मिथेन गैस का उत्सर्जन किया जाता है।

मानव जनित कारण

तेल और कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक इस्तेमाल पर्यावरण पर बुरा असर डालता है और ग्रीनहाउस गैस में वृद्धि करता है। जीवाश्म ईंधन जल कर वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करते हैं। वहीं तेल के कुँए खोदने पर मिथेन गैस का उत्सर्जन होता है। वन वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वनों की अंधाधुंध कटाई से इसकी संभावना खत्म होती जा रही है और वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। अप्राकृतिक रूप से बनी नाइट्रोजन भी वातावरण को नुकसान पहुँचा रही है।

ग्रीन हाउस के  प्रभाव से बचने  के उपाय

ग्रीन हाउस के  प्रभाव से बचने  के लिए आज हमें अपनी सभी पर्यावरण विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाने होंगे। प्रकृति के साथ खिलवाड़ बंद करना होगा। मानवीय गतिविधियों ने पर्यावरण को विनाश की दिशा में ले जा रहा है। आज इंसानो के साथ बाकी जीव-जंतु भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। ऊपर हमने कई संदर्भों में चर्चा किया की कैसे शहरीकरण, अद्योगिकीकरण ने पर्यावरण में असंतुलन की स्थित बना दिया है। आज हम पर्यावरण और विकास में संतुलन नहीं बना रहे है जिसका आगे जाकर बहुत बड़े दुष्परिणाम हो सकते है।

ग्रीन हाउस के  प्रभाव से बचने  के लिए हमें पृथ्वी के तापमान को कम करना होगा जिससे हम और आने वाली पीढ़ी एक स्वच्छ वातावरण में जी सकें। सरकार को कई ठोस कदम और योजनाओं पर काम करना होगा। , लेकिन इस प्रकोप से लड़ने के लिए इतना काफी नहीं है, पर्यावरण के प्रति हर एक नागरिक को जागरूक होना पड़ेगा । हर इंसान को व्यक्तिगत तौर पर अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और दुनिया को फिर से हरा-भरा बनाने का संकल्प लेना होगा।

ग्रीनहाउस प्रभाव को लेकर कई अध्ययन भी सामने आए हैं जो दिखाते हैं कि अगर ग्रीनहाउस गैसों में 20 फीसदी की कमी भी जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ पौधों के विकास में भी मिल का पत्थर साबित होगी। शोध के अनुसार, सिर्फ पौधे जल्दी विकसित ही नहीं होंगे बल्कि पौधें अधिक कार्बन अवशोषित कर सकेंगे।

ग्रीन हाउस के लाभ

ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी में जीवन को संभव बनाती है। सूर्य से आने वाली ऊर्जा प्रकाश किरणें ग्रीनहाउस तक आती हैं। इस ऊर्जा का कुछ भाग मिट्टी, पेड़ पौधों और ग्रीनहाउस के दूसरे साधनों के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। ग्रीनहाउस में जो गैस मौजूद है वो ऊष्मा को रोकने में सहायक होती है औरधरती का तापमान सामान्य बनाये रखती है। यदि पृथ्वी में ग्रीनहाउस प्रभाव न होता तो पृथ्वी बहुत ज्यादा ठंडी होती। अनुमानित तौर पर पृथ्वी का तापमान 18℃ तक होता। ग्रीनहाउस में मौजूद गैसें सूर्य की ऊष्मा को अवशोषित कर पृथ्वी का तापमान बढ़ाती है और दूसरे ग्रहों की तुलना में पृथ्वी पर जीवन जीने में सहायता करती है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने आपको ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव (green house effect in Hindi )और बचाव के बारे में विस्तार से बताया उम्मीद करते है की इस आर्टिकल से आपको ग्रीन हाउस गैस और उसके प्रभाव के बारे में विस्तार जानकरी मिली होगी। इसी तरह की जानकारी के लिए अपना फीड बैक दे जिससे हम आपके लिए और अच्छे आर्टिकल लाते रहे यदि यह आर्टिकल (green house effect in Hindi ) आपको अच्छा लगा होगा तो इसे अपने ग्रुप में अधिक से अधिक शेयर करे और टेक्निकल और नॉन टेक्निकल की जानकरी के लिए अपने सवाल को हमें कमेंट करे हमारी टीम आपके सवाल का जवाब देगी। इसी तरह की जानकरी के हमारे अन्य ब्लॉग siyaservice.com के आर्टिकल को भी पढ़े

siya

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