दुनिया में एक से बढ़कर एक इमारत है जो अपने बेहतरीन आर्किटेक्चर का नमूना मानी जाती है। दुनिया में मौजूद तमाम ऐतिहासिक इमारतों में से केवल 7 इमारतों को ही दुनिया के सात अजूबों का दर्जा दिया गया है। इन सात अजूबों में ताजमहल और चीन की दीवार के बारे में लगभग सभी लोगों को मालूम होता है बाकी अन्य अजूबों के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है। आज के इस लेख के माध्यम से हम दुनिया के सात अजूबों (duniya ke saat ajoobe)के नाम ,वास्तु कला एवं रोमांचित कहानी के बारे में बताने वाले हैं।
दुनियाँ के सात अजूबो को कैसे चुना गया
आपने मन में भी एक सवाल आता होगा की दुनिया में जब इतने सारी सुन्दर और ऐतिहासिक इमारत हैं तो केवल इन 7 इमारतों को ही सात अजूबों की श्रेणी में क्यों शामिल किया गया है? दरअसल दुनिया के सात अजूबे (duniya ke saat ajoobe)प्राचीन काल से ही चुने जा रहे हैं लेकिन वह समय के साथ नष्ट भी हो गए हैं।
माना जाता है कि सबसे पहले अजूबे चुनने का पहला विचार आज से 2000 साल पहले हेरोडोटस और कल्लिमचुस को आया था। उन्होंने पहली बार दुनिया के सात अजूबों की सूची तैयार की थी। लेकिन समय के साथ वे अजूबे नष्ट हो गए । इसके बाद वर्तमान के नए सात अजूबे चुनने के लिए दोबारा सोचा गया जिसके लिए कुछ इंजीनियर और शोधकर्ताओं ने नए अजूबों की सूची तैयार की। लेकिन सभी देशों से उन्हें सहमति नहीं मिला। तब सात अजूबों को चुनने की एक विशेष प्रक्रिया अपनाई गई ।
1999 से 2000 में स्विजरलैंड में एक फाउंडेशन के द्वारा एक वेबसाइट तैयार की गई थी और उस वेबसाइट में दुनिया के 200 से भी ज्यादा धरोहर की सूची तैयार की गई थी और इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन सभी देशों के लोगों से वोटिंग किया गया और साल 2007 में इस वोट का निर्णय आया। इस तरह 200 धरोहर के सूची में सात धरोहर को सबसे ज्यादा वोट मिले जिससे इन्हे दुनिया के सात अजूबों (duniya ke saat ajoobe)के रूप में दर्जा दिया गया।
duniya ke saat ajoobe की सूची
अभी तक आपने जाना की दुनिया के सात अजूबों को कैसा सुना गया अब आपको यह जानने की इच्छा हो रही होगी की दुनिया के सात अजूबे (duniya ke saat ajoobe) कौन है और इनकी क्या विशेषता है तो नीचे आप सभी अजूबे के बारे में विस्तार से जान सकते है।
| अजूबे का नाम | निर्माण | स्थान |
|---|---|---|
| ताजमहल | सन 1632 | भारत |
| चिचेन इत्जा | 514 ई.पू | मैक्सिको |
| माचू पिच्चु | 1430 ई. | पेरू |
| चीन की दीवार | 8वीं शताब्दी | चीन |
| पेट्रा | 309 ई.पू | जोर्डन |
| कोलोज़ीयम | 80 ई.पू | इटली |
| क्राइस्ट रिडीमर | सन 1931 | ब्राजील |
ताजमहल (Taj Mahal)
जब भी दुनिया के सात अजूबों (duniya ke saat ajoobe) की बात आती है तो सबसे पहला विचार ताजमहल के बारे में ही आता है। ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित सबसे खूबसूरत इमारत है। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां के द्वारा अपनी पत्नी मुमताज की याद में करवाया गया था।
ताजमहल के निर्माण की शुरुआत 1632 में हुई और 1653 में इसका निर्माण कार्य खत्म हुआ। इस तरीके से ताजमहल के निर्माण में कुल 21 वर्षों का समय लगा। ताजमहल के निर्माण में 20000 से भी ज्यादा मजदूरों ने सहयोग दिया था। माना जाता है कि जिन मजदूरों ने ताजमहल को बनाया था शाहजहां के द्वारा उनके हाथ कटवा दिए गए थे ताकि दोबारा ऐसी खूबसूरत और अद्भुत इमारत दुनिया में निर्माण ना किया जा सके।
ताजमहल 17 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ 73 मीटर ऊंचा इमारत है जिसके आसपास और भी कई सारी इमारतें और बाग बगीचे बने हुए हैं जो इस महल की शोभा को और बढ़ा देते है। ताजमहल का निर्माण दुनिया के अलग-अलग जगहों से मंगाए गए सफेद संगमरमर पत्थर से किया गया है । संगमरमर पर सूर्य की रोशनी पडने से दिन के समय यह कई अलग-अलग रंग में नजर आता है।

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चीन की दीवार (Great Wall Of China)
चीन की विशाल दीवार मिट्टी,ईंटो और पत्थरों से बनी लगभग 6400 किलोमीटर लंबाई का एक किलेनुमा द्वार है। माना जाता है की चीन के दीवार को बनाने में लगभग 20 से 30 लाख मजदूरों ने अपना पूरा जीवन लगा दिया था। चीन की दीवार 2300 से भी अधिक साल पुरानी है।
इसका निर्माण पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सौलवीं शताब्दी ईसापूर्व के बीच चीन के कई शासको और राजाओं के द्वारा उतरी हमलावरों से बचने के लिए किया गया था। दूर से आते शत्रु पर नजर रखने के उद्देश्य से इस दीवार में कई जगहों पर मीनारें भी बनाई गई थी। कहा जाता है कि चीन की दीवार इतनी बड़ी है कि अंतरिक्ष से भी यह दिखाई देती हैं।
चीन की दीवार पूरी एक दीवार ना होकर छोटे-छोटे हिस्सों से मिलकर यह एक ऊंची दीवार है। दीवार के बीच में कई जगहो पर खाली जगह है। इस दीवार की ऊंचाई हर जगह पर अलग-अलग है। कहीं यह ज्यादा ऊंचा है तो कहीं यह छोटी है।
इस दीवार की सबसे ज्यादा ऊंचाई करीबन 35 फुट है। चीन की दीवार की चौड़ाई इतनी है कि 10 पैदल सैनिक या 5 घुड़सवार एक साथ निकल सकते हैं। 1211 ईसवी में इस दीवार को क्षतिग्रस्त कर इसे पार कर चीन पर हमला किया था। 1987 में चीन के दीवार को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था।

चीचेन इट्ज़ा (Chichen Itza)
दुनिया के सात अजूबे (duniya ke saat ajoobe) में से ऊक मेक्सिको में स्थित चीचेन इट्ज़ा युकाटन है। यह विश्व प्रसिद्ध पिरामिड आकृति के मयान मंदिर के लिए काफी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 9 वीं और 12 वीं शताब्दी के बीच कोलंबियाई माया सभ्यता के द्वारा किया गया था।
चिचेन इट्ज़ा को चिचेन वीजो और चिचेन नुवो नाम से अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।यहां के हर एक मंदिर में 365 सिढिया लगी हुई है। हर एक सिढि हर एक दिन का प्रतिनिधित्व करती हैं।
चिचेन इट्ज़ा में कुकुलन का पिरामिड माया संस्कृति का सबसे बड़ा प्रतीक है जिसकी ऊंचाई 30 मीटर है। यह जगह के हिसाब से 4 वर्ग मील के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। चिचेन इट्ज़ा का निर्माण पत्थरों से किया गया है। कहा जाता है इस जगह की खोज 514 A.D में पादरी लकिन चैन ने किया था । लोगो द्वारा ऐसा कहा जाता है चिचेन इट्ज़ा से बहुत अजीब आवाज सुनाई देती है।

माचू पिच्चु (Machu Picchu)
दुनिया के सात अजूबो में से एक माचू पिच्चू है जो दक्षिण अमेरिका के पेरू में स्थित है। इसे लॉस्ट सिटी ऑफ द इन्का के नाम से भी जाना जाता है जिसका निर्माण 1438-1472 में किया गया था। माचू पिच्चु की ऊंचाई समुन्द्र तल से 2430 मीटर है। इसकी खोज 1911 में हुई थी। इंका सभ्यता से संबंधित माचू पिच्चू पेरू का अपना धार्मिक महत्व है।
कहा जाता है कि यहां के लोग इस विरासत को सूर्य देवता के रूप में पूजते थे। इतना ही नहीं यहां से महिलाओं का कंकाल भी मिला है इसके बारे में बताया जाता है कि यहां के लोग सूर्य देव को कुमारी स्त्रियों की बलि देते थे। । पेरू में सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं। लेकिन माचू पिच्चू को इस तरह से बनाया गया है कि भूकंप का इस पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है जिस कारण जब कभी इस स्थान पर भूकंप आता है तो यहां की पत्थरे हिलने लगती हैं लेकिन इस इमारत को कोई नुकसान नहीं होता है।

कोलोज़ीयम (The Roman Colosseum)
The Roman Colosseum इटली के रोम शहर में स्थित दुनिया के सात अजूबो (duniya ke saat ajoobe )में से एक है। इस कोलोजीयम को फ्लेवियन एम्फीथिएटर के नाम से भी जाना जाता है। यह कोलोजीयम 6 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है।
इसे रोमन साम्राज्य का सबसे बड़ा अखाड़ा माना जाता है जो अंडाकार आकार में है। इसका निर्माण सम्राट टाइटस के द्वारा लगभग 72 ईस्वी में किया गया था। इस कोलोजीयम का निर्माण पत्थरों और ईटों के साथ एक मिलियन टन से भी ज्यादा कंक्रीट के इस्तेमाल से किया गया है।
इस कोलोजीयम की परिधि 1788 फीट और दीवार की उंचाई 157 है। यह इतना बड़ा स्टेडियम है कि यंहा एक बार में लगभग 5000 से भी ज्यादा लोग बैठ सकते हैं। रोमन साम्राज्य के समय यहां मनोरंजन के लिए योद्धा और पशुओं के बीच लड़ाई होती थी जिसमें 10 लाख से भी ज्यादा मनुष्य और 5 लाख से भी ज्यादा पशुओं की मृत्यु हुई है।
कहा जाता है 6वीं शताब्दी में यहां पर आखरी खेल आयोजित किए गए थे कोलोजीयम का दक्षिणी भाग 847 ईस्वी में आये एक बड़े भूकंप से नष्ट हो गया है। कोलोजीयम इटली में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्मारकों में से एक है। हर साल यहां के लोगो द्वारा गुड फ्राइडे के दिन यहाँ जुलूस निकाला जाता है।

मसीह उद्धारक (Christ the Redeemer Statue)
क्राइस्ट द रिडीमर दुनिया की सबसे बड़ी कला डेको प्रतिमा है । यह ब्राजील के रियो डी जेनेरो में एक पहाड़ के ऊपर स्थित है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 98 फीट है वंही इसकी आर्म्स 92 फीट चौड़े हैं।
क्राइस्ट द रिडीमर दुनिया में यीशु की 5 वीं सबसे बड़ी मूर्ति है जिसका वजन 635 टन है। इस मूर्ति को बनाने की शुरुआत 1920 के दशक में एक समूह कैथोलिक सर्कल ऑफ़ रियो द्वारा की गई थी। मूर्ति का निर्माण कार्य 1931 में बनकर तैयार हुआ इस तरह इसे बनने में कुल 9 साल का समय लग गया। इस मूर्ति को ब्राजील के कैथोलिक समुदाय से आए हुए फंड से बनाया गया था।
मूर्ति को पॉल लैंडोव्स्की ने डिज़ाइन किया था और ब्राज़ीलियन इंजीनियर के द्वारा इसे बनाया गया। कहा जाता है कि इस मूर्ति के निर्माण में उस समय $250000 खर्च हुए थे। क्राइस्ट द रिडीमर प्रतिमा पर ऊपर में छोटी-छोटी किले लगाई गई है ताकि इस पर कोई पक्षी ना बैठे । रात में इस मूर्ति को अच्छा दिखाने के लिए इसे लाइट से डेकोरेट भी किया गया है। यीशु मसीह के इस मूर्ति का निर्माण स्वीडन से मंगाए गए पत्थरों से किया गया है। इस मूर्ति का निर्माण कई टुकड़ों में किया गया था बाद में प्रत्येक टुकड़े को पहाड़ की चोटी पर ले जाकर खड़ा किया गया

पेट्रा (Petra)
जाडन में प्राचीन काल में बसा पेट्रा एक ऐतिहासिक नगर है इसकी स्थापना 312 ईसा पूर्व में की गई थी। पेट्रा शब्द एक यूनानी शब्द है जिसका अर्थ चट्टान होता है। इस जगह को रोज सिटी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां की चट्टाने लाल रंग की है। यह जगह जॉर्डन का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है एवं एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है।
यहां पर मौजूद तरह-तरह की इमारतें को लाल बलुए पत्थर से बनाया गया है जिन पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। पेट्रा में 280 कलाकृतियां को शामिल करने वाला इस म्यूजियम भी है जहां पर विभिन्न युगों को दर्शाया गया है। इस म्यूजियम में पेट्रा के इतिहास को भी दर्शाया गया है। ‘पेट्रा’ जार्डन के लिए सबसे ज्यादा कमाई का जरिया है इसीलिए यह जार्डन के लिए विशेष महत्व रखता है।

FAQs
- दुनिया में कुल कितने अजूबे हैं?
दुनिया में अभी तक कुल 7 अजूबे है।
- दुनिया का सबसे पहला अजूबा कौन सा है?
दुनिया के प्राचीन अजूबो में से “गीजा का पिरामिड” सबसे प्राचीन अजूबा है वर्तमान समय में सुरक्षित है।
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