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लोकतंत्र क्या है , लोकतंत्र की परिभाषा , इतिहास , प्रकार और प्रमुख विशेषताएं

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यदि आप भारत देश में रहते है तो आपने लोकतंत्र के बारे में जरूर सुना होगा लेकिन क्या आपको लोकतंत्र के बारे में सही जानकारी है जैसे की लोकतंत्र क्या है (loktantra kya hai) , इसका इतिहास ,लोकतंत्र के प्रकार आदि। इस लेख में हम आपको लोकतंत्र के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है , लेख को लास्ट तक पढ़े जिससे आपको लोकतंत्र की पूरी जानकारी मिल सके।

लोकतंत्र क्या है?

आपने यह वाक्य ‘भारत देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है’ कई बार सुना होगा। इस शब्द को सुनकर कभी न कभी आपके मन में यह सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर लोकतंत्र क्या है? (loktantra kya hai) लोकतंत्र 2 शब्दों लोक और तंत्र से मिलकर बना है। यहाँ लोक का अर्थ जनता से है और तंत्र का अर्थ शासन से है। अर्थात लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ निकलता है ‘जनता का शासन’। लोकतंत्र को इंग्लिश में डेमोक्रेसी (democracy) कहा जाता है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली होती है जिसमें देश की जनता चुनाव के समय अपनी पसंद के उम्मीदवार को मत (Vote) देकर विजयी और विधायिका (लोक सभा, राज्य सभा, विधान सभा, विधान परिषद्) का निर्वाचित सदस्य बनाती है। लोकतंत्र या प्रजातंत्र में सभी लोगों को समान सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक अधिकार मिलते हैं।

लोकतंत्र की परिभाषा

अरस्तु, अब्राहम लिंकन जैसे कई महान लोगों ने लोकतंत्र की बहुत सटीक परिभाषाएं दी हैं। उन महानायकों और महान विचारकों के द्वारा दी गयी प्रजातंत्र की परिभाषा निम्न हैं।

  • पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के अनुसार लोकतंत्र की परिभाषा: “जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन ही लोकतंत्र है.”
  • अरस्तु के अनुसार लोकतंत्र की परिभाषा ये है: “लोकतंत्र जनता या प्रजा के द्वारा संपूर्ण शासन करने की प्रक्रिया होती है।
  • महान यूनानी दार्शनिक वलीआन ने लोकतंत्र की यह परिभाषा दी है: ‘लोकतंत्र या प्रजातंत्र वह होता है जो जनता का, जनता के द्वारा हो, और जनता के लिए हो.’
  • ब्रिटिश राजनीतिज्ञ लॉर्ड ब्राइस ने लोकतंत्र की यह परिभाषा दी है: ‘ शासन व्यवस्था जिसमें शक्ति एक विशेष वर्ग या वर्गों में निहित ना रहकर समाज के सदस्य में निहित होती है. वह लोकतंत्र होता है’
  • सीले के अनुसार लोकतंत्र की परिभाषा: ‘वह शासन प्रणाली जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का भाग होता है.’
  • डायसी के अनुसार लोकतंत्र की परिभाषा: ‘प्रजातंत्र वह शासन प्रणाली होती है जिसमें शासन करने वाला समुदाय समस्त जनसंख्या का अपेक्षाकृत बड़ा भाग होता है.’

भारत में लोकतंत्र का संक्षिप्त इतिहास

भारत में लोकतंत्र की जड़ें काफी पुरानी हैं। प्राचीन साहित्य, अभिलेखों और विदेशी यात्रियों एवं विद्वानों के वर्णन इस बात के प्रमाण हैं कि भारत में पूर्व वैदिक काल में भी लोकतंत्र हुआ करता था। ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक प्राचीन भारत में सबसे पहला गणराज्य वैशाली था।

वैशाली गणराज्य में छोटी-छोटी समितियां हुआ करती थीं, जो जनता के लिए नियम और नीतियां बनाने का काम करती थीं। सन 1947 में आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू देश की अंतिम सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। आजाद भारत में पहला आम चुनाव 25 अक्टूबर, 1951 और 21 फरवरी, 1952 के बीच सम्पन्न हुए। इस चुनाव में पंडित नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को 489 में से 364 सीट पर जीत हासिल हुई। इस तरह पंडित नेहरू भारत के पहले लोकतांत्रिक चुनाव में प्रधानमंत्री बने।

लोकतंत्र के प्रकार

  1. विशुद्ध या प्रत्यक्ष लोकतंत्र
  2. प्रतिनिधि सत्तात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र


अभी तक के आर्टिकल में आपने जाना की loktantra kya hai , इसकी परिभाषा और इसका इतिहास आगे आने वाले शेष आर्टिकल में आप जानेंगे की लोकत्रंत्र कितने प्रकार के होते है। लोकतंत्र साधारता दो प्रकार का होता है जिन्ह नीचे देख सकते है।

विशुद्ध या प्रत्यक्ष लोकतंत्र

जब देश का कोई साधारण व्यक्ति भी प्रत्यक्ष तरीके से शासन के कार्य में भाग लेता है तब उस लोकतंत्र को प्रत्यक्ष लोकतंत्र कहा जाता है। प्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनमत संग्रह के माध्यम से निर्णय लिए जाते हैं। प्रत्यक्ष लोकतंत्र का सबसे अच्छा उदाहरण ग्राम सभाएं हैं। ग्राम सभा में गाँव के निबासीनिवासी और पंच भाग लेते हैं और जनमत संग्रह के आधार पर किसी विषय पर अंतिम फैसला लिया जाता है।

प्रतिनिधि सत्तात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र

ऐसा लोकतंत्र जिसमें देश की जनता अपनी पसंद के प्रतिनिधियों को मत देकर चुनती है और उन्हें शासन के संचालन का दायित्व देती है, उसे अप्रत्यक्ष या प्रतिनिधि लोकतंत्र कहते हैं। इस तरह के लोकतंत्र में महत्वपूर्ण निर्णय लेने और नीतियों के निर्माण में नागरिकों की भागीदारी सीमित होती है बल्कि चुने हुए प्रतिनिधि ही संसद में क़ानून बनाने और अपने क्षेत्र की बात रखने का काम करते हैं। भारत समेत दुनिया के कई देशों में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र ही चलता है।

भारतीय लोकतंत्र की विशेषताएं

भारतीय लोकतंत्र की अनेक विशेषताएं है जिनमे से कुछ मुख्य विशषताओ के बारे में नीचे बताने का प्रयास किया है।

  • लिखित संविधान
  • जवाबदेह सरकार
  • लोकप्रिय संप्रभुता
  • संघटन बनाने की आजादी
  • बहुमत का नियम
  • सहमति का नियम
  • कल्याण उन्मुख सरकार
  • बहुदलीय व्यवस्था
  • राजनीतिक समानता
  • स्वतंत्र न्यायपालिका
  • संविधान की सर्वोच्चता
  • स्वतंत्रता और शिक्षा का अधिकार
  • निष्पक्ष और लगातार चुनाव
  • अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व
  • संवैधानिक कानून के भीतर नियम
  • भाषण, अभिव्यक्ति और पसंद की स्वतंत्रता
  • सभी के लिए समान कानून

लोकतंत्र की सीमाएं क्या है?

प्रजातंत्र में प्रतिनिधि जनता के द्वारा चुने जाते हैं। सरकार के द्वारा लाई गयी किसी भी योजना के सफल या असफल होने पर जनता अपनी प्रतिक्रया सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर सकती है और जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही होती है। लोकतांत्रिक सरकार में कोई एक व्यक्ति स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकता है। चुने हुए प्रतिनिधियों को आवश्यकतानुसार कुछ नियमों आधार पर हटाया या नियुक्त नहीं किया जा सकता है।

लोकतंत्र के गुण

अभी आपने जाना की जाना की प्रजातंत्र या लोकतंत्र क्या है (loktantra kya hai) इसके प्रकार , इतिहास और विशेषताएं , अब हम आपको लोकतंत्र के गुण बताने वाले है।

  • देश प्रेम की भावना का विकास
  • अधिकारों का संरक्षण
  • उच्च आदर्शों पर आधारित
  • जनकल्याण पर आधारित
  • सार्वजनिक शिक्षण
  • क्रांति से सुरक्षा
  • परिवर्तनशील शासन व्यवस्था
  • चंदा में विश्वास और उत्तरदायित्व की भावना का विकास
  • जनहित
  • राजनीतिक प्रशिक्षण
  • नैतिकता का विकास
  • सांस्कृतिक एकता
  • समानता
  • स्वतंत्रता
  • अधिकार एवं कर्तव्यों से परिचय
  • जनता का शासकों पर दबाव
  • उत्तरदायी शासन
  • शासन कार्यों में पारदर्शिता और सूचना का अधिकार

लोकतंत्र के दोष

लोकतंत्र के गुण और विशेषताओं को जानने के बाद आपको इसके दोष को भी जानना चाहिए। लोकतंत्र के कुछ दोषो में नीचे देख सकते है।

  • खर्चीला शासन (चुनाव में बहुत अधिक खर्च होना)
  • एक व्यक्ति एक मत का सिद्धान्त गलत
  • अस्थाई शासन
  • अयोग्य लोगों का शासन
  • गुणों पर नहीं बल्कि संख्या पर बल देना
  • उग्र दलबंदी
  • नैतिकता का निम्न स्तर
  • भ्रष्टाचार
  • पेशेवर राजनीतिक लोग का बहुमूल्य
  • संकट काल के लिए अनुपयुक्त
  • बहुमत द्वारा लिए गए निर्णय युक्तिसंगत नही
  • बौद्धिक तथा सांस्कृतिक प्रगति का विरोधी

इस आर्टिकल में अपने जाना की लोकतंत्र क्या होता है, और इसकी परिभाषाएं, विशेषताएँ, सीमायें और गुण दोष क्या हैं। उम्मीद करते है की आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। यदि अभी भी इस लेख को लेकर आपका कोई भी डाउट या सवाल हो तो आप उन्हें जरूर शेयर करे ताकि हम आपकी बेहतर सेवा करे सके।

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siya

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