बाल विवाह एक ऐसी सामाजिक कुप्रथा है जो बहुत पहले से हमारे देश में और साथ ही अन्य देशों में भी चली आ रही है। आज भी भारत में ऐसे कई लोग हैं जो अपने बच्चों की शादी कम आयु में ही कर देते हैं। कम उम्र में शादी हो जाने से बालक-बालिकाओं के शारीरिक और मानसिक विकास में अवरोध पैदा होता है, और बच्चों का बचपन और बचपन की खुसिया छिन जाती है। इसी को समझते हुए आज हम इस इस लेख में बाल-विवाह पर एक सुन्दर निबंध लिखने वाले हैं जिसमें आप जानेंगे बाल विवाह क्या होता है, इसके दुष्परिणाम, इसका संक्षिप्त इतिहास, बाल-विवाह के प्रमुख कारण, इसकी रोकथाम हेतु सरकारी कानून, और इसे रोकने के लिए हमारी जिम्मेदारी और कर्तव्य के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले है।
Bal Vivah Kya Hai
बाल-विवाह (Child Marriage) भारत देश में कई सदियों से चली आ रही एक ऐसी कुरीति है जिसमें दो अपरिपक्व बालक और बालिका को आजीवन विवाह के रिश्ते में बांध दिया जाता है। बहुत कम उम्र में लड़कों और लड़कियों का विवाह करा दिया जाता है जिसे ‘बाल विवाह’ कहते है। आज भारत में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है और लड़कों की 21 साल है। यानि कि यदि शादी करने वाली लड़की की उम्र 18 साल से कम है और लड़के की उम्र 21 वर्ष से कम है तो वह विवाह ‘बाल विवाह’ माना जायेगा। बाल विवाह एक वैश्विक कुरीति है। नाइजर देश बाल विवाह के मामलों में प्रथम नम्बर पर आता है। बाल विवाह के मामले में भारत आठ दक्षिण एशियाई देशों में चौथे स्थान पर है और समूचे विश्व में भारत का दूसरा स्थान हैं।
बाल विवाह का संक्षिप्त इतिहास
भारत में बालविवाह की प्रथा शुरू से नहीं थी। वैदिक काल में भी इस कुरीति का कहीं भी प्रमाण नहीं मिलता है। हमारे देश में बाल विवाह कुरीति का प्रारंभ मुगल शासन के समय से माना जाता है। मुस्लिम शासकों के द्वारा हिंदू धर्म की कुंवारी लड़कियों का भोग की वस्तु समझकर अपहरण कर लिया जाता था और फिर उनके साथ वे सम्बन्ध बना लेते थे। माना जाता है कि इसी समय से बच्चियों को मुस्लिम और अन्य विदेशी शासकों से बचाने के लिए बाल विवाह जैसी प्रथा का जन्म हुआ। इसके अलावा अंग्रेजी शासकों से लड़कियों को बचाने के लिए भी उस समय लोगों ने बाल विवाह जैसी कुरीति को अपनाया था।
बाल विवाह के प्रमुख कारण
यदि आप बालविवाह पर एक सुन्दर निबंध लिखना चाहते है तो आपको इस बारे में जरूर चर्चा करना चाहिए कि बाल विवाह के प्रमुख कारण क्या हो सकते। भारत और पूरी दुनिया में बालविवाह होने के कई कारण हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- गरीबी की वजह से परिजन अपनी बेटियों की शादी जल्द से जल्द कराकर जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते हैं।
- माता-पिता का कम पढ़े लिखे होने की वजह से उन्हें अपनी बच्चियों के बाल विवाह के दुष्परिणाम का ज्ञान नहीं होता है और वे कम उम्र में ही उनकी शादी करा देते हैं।
- बेटियों की सुरक्षा को लेकर माता-पिता का चिंतित रहना भी बालविवाह का एक कारण है।
- बच्चों के चरित्र पर शक रहने की वजह से भी कई माता पिता अपने बच्चों की शादी जल्द से जल्द कर देते हैं।
- कुछ निम्न वर्ग के लोग लड़की को परिवार का बोझ समझने है जिस वजह से भी वे बेटियों की शादी कम आयु में ही करा देते हैं।
- कुछ वर्गों में जातिगत परम्पराएं होती है जिससे वह बेटियों की शादी कम उम्र में करा दिया जाता है
- रूढ़िवादिता का होना जिसमे घर में बड़े बुजुर्गोंका दबाब रहता है कि उनके नाती पोतों का विवाह उनके जीते जी हो जाये।
- दहेज प्रथा के कारण भी लड़के के माँ-बाप जल्दी से जल्दी धन प्राप्त करने की नियत से छोटी उम्र में ही लड़कों की शादी कर देते है।
बाल विवाह की रोकथाम हेतु कानून
ऐसा नहीं है कि बालविवाह को रोकने के लिए प्रयास नहीं किये गये बल्कि इतिहास में कई लोगों ने बाल विवाह जैसी कुप्रथा को खत्म करने के कई प्रयास किये हैं। आधुनिक भारत के जनक और ब्रह्म समाज के संस्थापक राजाराम मोहन राय ने बाल विवाह रोकने हेतु कई प्रयास किये। इसके अलावा सरकार की ओर से भी कानून बनाकर बाल विवाह को रोकने के अनेको प्रयास किये गये हैं जो कि इस प्रकार हैं:
- साल 1891 में ब्रिटिश सरकार ने एज ऑफ कंसेंट एक्ट पारित किया जिसके तहत 12 वर्ष से कम आयु की कन्याओं के विवाह पर रोक लगा दी गई थी।
- 28 सितंबर साल 1929 को बाल विवाह निरोधक अधिनियम के जरिए इस प्रथा को भारत में पहली बार कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया गया। इसे ही शारदा एक्ट कहा जाता है जिसमें लड़के की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और लड़की की उम्र 14 वर्ष रखी गई थी।
- इस शारदा एक्ट को साल 1978 में संशोधित किया गया जिसके तहत लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 18 वर्ष और लड़कों की आयु को 21 वर्ष कर दिया गया।
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 एक नवम्बर 2007 से लागू किया गया जिसके तहत बालविवाह करना या करवाना एक गैर जमानती अपराध है। इसमें प्रावधान है कि विवाह के समय लड़के की आयु 21 वर्ष तथा लड़कियों की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए, ऐसा न होने पर 2 साल की जेल और एक लाख तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- इस कुप्रथा को रोकने के लिए भारत के कई राज्यों ने अपने स्तर पर प्रयास किये। जैसे राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश राज्यों में कई कानून पारित किए गए जो प्रत्येक विवाह को वैध बनाने के लिए पंजीकरण मांगते हैं।
- भारत में इस समय लडकों की शादी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष है और लड़कियों की 18 वर्ष है। लेकिन मोदी सरकार के द्वारा विवाह योग्य कानूनी आयु बढाने की चर्चा चल रही है।
बाल विवाह को रोकने में हमारा कर्तव्य
बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए सरकार के नियम कानून के साथ साथ हमारी भी ज़िम्मेदारी होती है इस कुरीति को रोकने के लिए हमें भी प्रयास करने होंगे। इस कुप्रथा को रोकने के लिए हमें लोगों में जागरूकता फैलानी होगी, उन्हें इस बल विवाह से होने वाले दुष्परिणाम के बारे में बताना होगा। अशिक्षित लोगों को शिक्षित करने के प्रयास करने होंगे। बाल विवाह अपराध को रोकने के लिए हमें प्रशासन का सहयोग करना चाहिए। अगर आस पड़ोस में बाल विवाह हो रहा हो तो उसे रोकने के लिए उन्हें समझाना चाहिए की कम उम्र में शादी करने से लड़को और लड़कियों दोनों का पारिवारिक जीवन अच्छे से फल फूल नहीं पाता है।
बाल विवाह के दुष्परिणाम
बालविवाह जैसी कुरीति आज भी हमारे देश और समाज में प्रचलित है जिसके परिणामस्वरुप बालक-बालिका पर निम्न दुष्प्रभाव पड़ते है। इस कुप्रथा से होने वाले दुष्परिणाम को नीचे के कुछ बिन्दुओ से समझ सकते है।
- बच्चों का बालपन या बचपन खत्म हो जाता है।
- बालक-बालिका का मानसिक विकास रुक जाता है
- व्यक्तित्व विकास में अवरोध पैदा होता है।
- बालिका के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिससे उन्हें अन्य बीमारिया और मौत तक हो सकती है।
- बालिकाएं उच्च शिक्षा प्राप्त नहीकर पाती है जिससे उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- छोटी उम्र में गर्भवती हो जाने से कई मनोवैज्ञानिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
- बालविवाह के कारण मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी देखी गयी है।
- शिशु का पोषण भी उचित रूप से नहीं हो पाता है जिसे बच्चे अविकसित रह जाते हैं।
- बाल विवाह के कारण परिवार घरेलू हिंसा बढती है।
- कम उम्र में परिवार की जिम्मेदारी आ जाने से बालक-बालिकाओं के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है।
- अनेक बार ऐसा देखा गया है की बाल विवाह के कारण बाद में तलाक की नौबत आ जाती है।
- कई बार बालिकाएं बाल विधवा हो जाती हैं, इससे उन्हें पूरा जीवन विधवा बनकर ही बिताना पड़ता है।
इस लेख में हमने आपके लिए Bal Vivah पर एक सुन्दर निबंध लिखा है, आशा करते है की इस लेख में बतायी गयी जानकारी आपको पसंद आई होगी। इस आर्टिकल को लेकर आपके सवाल या सुझाव का स्वागत करते है । आपका फीडबैक हमें और अच्छा करने में मदद करता है।
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