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वर्चुअलाइजेशन क्या है काम कैसे करता है ?

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इस आर्टिकल के माध्यम से हम क्लाउड कंप्यूटिंग में वर्चुअलाइजेशन का क्या महत्त्व है और यह कैसे काम करता है और आज की टेक्नोलॉजी में ये इतना महत्वपूर्ण क्यों है क्लाउड कंप्यूटिंग में वर्चुअलाइजेशन(virtualization in cloud computing) यह तो हम सभी जानते हैं कि इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (Information Technology) ने किस तरह दिनो-दिन तरक्की की है और हर रोज नए सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन लोगों के सामने आते हैं।

इसी से जुड़ा हुआ एक शब्द है वर्चुअलाइजेशन, जो सिर्फ एक शब्द नहीं है बल्कि कंप्यूटर का एक बहुत बड़ा हिस्सा है जिसे समझना बहुत आवश्यक है। अगर आप इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (Information Technology) से जुड़े हैं या इसके बारे में पढाई कर रहे हैं तो आपको इस वर्चुअलाइजेशन शब्द से रूबरू होना होगा इसे समझना होगा। तो चलिए जानते क्लाउड कंप्यूटिंग में वर्चुअलाइजेशन क्या (what is virtualization in cloud computing) है इसके बारे में।

वर्चुअलाइजेशन एक ऐसी तकनीक है जिसके अंतर्गत एक हार्डवेयर में हम सॉफ्टवेयर के द्वारा एक ही सर्वर या कंप्यूटर को दो या अन्य सर्वर या कंप्यूटर की तरह उपयोग कर सकते हैं।

उदहारण के लिए मान लीजिये आपने बाजार से एक कंप्यूटर खरीदा और आपने उस पर अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम इनस्टॉल कर लिए अब आपका जो कंप्यूटर सिस्टम है या मशीन है वह तो एक ही है लेकिन आप अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिये उसे अलग-अलग सिस्टम या सर्वर की तरह उपयोग कर रहे हैं।

यही वर्चुअलाइजेशन होता है किसी चीज़ का इमेजिनेशन करना और उसे ऐसे उपयोग करना जैसे वह वाकई में है। साथ ही मशीन की पूरी कैपिसिटी (Capacity) को कई यूजर के बीच डिस्ट्रीब्यूट किया जा सकता है। तो अब तो आप समझ ही गए होंगे कि वर्चुअलाइजेशन क्या है?

Table of Contents

वर्चुअलाइजेशन का इतिहास || History of Virtualization :

ऐसा माना जाता है कि 1960 में वर्चुअलाइजेशन आ चुका था और इसकी सही शुरुआत 1970 में हुई थी। इस समय IBM नाम की बहुत बड़ी कंपनी अपना बहुत सारा समय और उर्जा रोबस्ट टाइम शेयरिंग सलूशन (Robust Time-Sharing Solutions) के डेवलपमेंट में लगा रही थी। जो टाइम शेयरिंग था

उसके द्वारा कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आता, क्योंकि इसके द्वारा बहुत सारे यूजर एक ही रिसोर्स को साथ में उपयोग कर सकते थे इससे कंप्यूटर रिसोर्स और यूजर दोनों की ही एफिशिएंसी (दक्षता) बढ़ जाती और महँगे रिसोर्सेज को भी ये मिलकर उपयोग कर सकते थे।

इसके बाद जब वर्चुअलाइजेशन को समझा गया और उपयोग में लाया गया तब पता चला कि यह रिसोर्सेज को कई यूजर के बीच उपयोग करने का शायद सबसे अच्छा तरीका है और इसका उपयोग होना शुरू हो गया। और आज वर्चुअलाइजेशन को बहुत महत्व दिया जाता है।

वर्चुअलाइजेशन कैसे कार्य करता है? How Does Virtualizations Work?

what is hypervisor

जब भी वर्चुअलाइजेशन की बात की जाती है वहाँ पर एक एप्लीकेशन (Application), एक गेस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम (Guest Operating system) और डाटा स्टोरेज(Data Storage) को अंडरलेयिंग सॉफ्टवेयर (Under laying Software) और हार्डवेयर (Hardware) से अलग रखा जाता है।

यहाँ एक थिन सॉफ्टवेयर लेयर(Thin Software Layer) होती है जिसे हाइपरवाइज़र (Hypervisor) के नाम से जाना जाता है। हाइपरवाइज़ के द्वारा एक ही कंप्यूटर पर कई सारे ऑपरेटिंग सिस्टम एक साथ कार्य करते हैं।

इन ऑपरेटिंग सिस्टम को वर्चुअल मशीन कहा जाता है। वैसे भी एक मशीन में इतने रिसोर्स (Resource) होते हैं कि उनका उपयोग कई यूजर एक साथ कर सकते हैं और वर्चुअलाइजेशन के द्वारा यह संभव हुआ।

वर्चुअलाइजेशन के प्रकार || types of virtualization in cloud computing

मुख्यतः छः प्रकार के वर्चुअलाइजेशन होते हैं:

नेटवर्क वर्चुअलाइजेशन | network virtualization in cloud computing

कम्युनिकेशन नेटवर्क की अगर बात की जाए तो यह जितना विकसित है इसे समझना उतना कठिन भी है। हार्डवेयर पर इसकी निर्भरता भी बहुत अधिक है।

लेकिन नेटवर्क वर्चुअलाइजेशन के द्वारा नेटवर्क की जटिलताओं को (Complexity) को दूर किया जाता और इसे अलग-अलग भागों में बाँटकर मैनेज करता है। इसके अंतर्गत कई फिजिकल नेटवर्क को एक वर्चुअल सॉफ्टवेयर पर आधारित नेटवर्क से जोड़ दिया जाता है

इसके साथ ही फिजिकल नेटवर्क को किसी फ्री वर्चुअल नेटवर्क में भी बाँटा जा सकता है। इसका उदहारण है VLAN (Virtual Local Area Network)

स्टोरेज वर्चुअलाइजेशन || Storage Virtualization :

 Storage virtualization in cloud computing

इसके अंतर्गत पूलिंग की जाती है और बहुत सारे स्टोरेज डिवाइस से जो डाटा है या जो भी चीज़ें है वे सभी एक जगह एक फिजिकल स्टोरेज स्पेस में स्टोर होती हैं। इस एक स्टोरेज डिवाइस को सेंट्रल कण्ट्रोल माना जाता है जो सारे स्टोरेज को मैनेज करती है।

अन्य भाषा में कह सकते हैं कि बहुत सारी फिजिकल डिस्क को एक ग्रुप में रखा जाता है और इस ग्रुप को वर्चुअल स्पेस देकर उसे सर्वर को सौंप दिया जाता है।

इसके द्वारा कंपनियों को कम पैसे में अच्छी स्टोरेज कैपेसिटी मिलती है इसलिए अत्यधिक कम्पनी इसका उपयोग करती हैं। इसके उदहारण हैं LUN’s (Logical unit number), Logical volume (LV), RAID groups, etc।

डेस्कटॉप वर्चुअलाइजेशन || Desktop Virtualization :

डेस्कटॉप वर्चुअलाइजेशन और ऑपरेटिंग सिस्टम वर्चुअलाइजेशन को कई बार लोग एक ही समझ लेते हैं लेकिन इन दोनों में अंतर हैं। डेस्कटॉप वर्चुअलाइजेशन में कई सारी मशीन को एक ही मशीन के द्वारा मैनेज किया जाता है इसमें बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है इसमें सिर्फ एडमिन डेस्कटॉप ही सभी कुछ मैनेज कर सकता है।

डाटा वर्चुअलाइजेशन || Data Virtualization :

इसके अंतर्गत कंपनी डाटा की डायनामिक सप्लाई कर सकती हैं, यूजर की जरुरत के अनुसार डाटा को अनेक जगह से लिया जाता है और उन्हें एक जगह पर रख दिया जाता है और बहुत सारे यूजर उस डाटा को एक्सेस कर सकते हैं।

एप्लीकेशन वर्चुअलाइजेशन || Application Virtualization :

इसके अंतर्गत स्टैण्डर्ड एप्लीकेशन (Standard Application) को ऐसा दर्शाया जाता है कि वे डायरेक्ट एक ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ कार्य कर रहे हैं उसको उपयोग कर रहे हैं लेकिन ऐसा होता नहीं है यह सिर्फ एक वर्चुअलाइजेशन होता है। यहाँ ऑपरेटिंग सिस्टम एवं एप्लीकेशन के बीच एक वर्चुअलाइजेशन लेयर (Virtualization layers) होती है जिसके द्वारा यह दर्शाया जाता है।

सर्वर वर्चुअलाइजेशन || Server Virtualization :

सर्वर एक ऐसा कंप्यूटर होता है जिसे स्पेसिफिक टास्क करने के लिए डिजाईन किया जाता है और जो अन्य कंप्यूटर होते हैं जैसे लेपटोप, डेस्कटॉप पर इसके द्वारा टास्क परफॉर्म किये जा सकते हैं।

अन्य शब्दों में कह सकते हैं कि सर्वर वर्चुअलाइजेशन एक ऐसी प्रोसेस होती है जिसमें एक फिजिकल सर्वर को अन्य यूनिक और आइसोलेटेड वर्चुअल सर्वर में बाँट दिया जाता है। इसमें हर वर्चुअल सर्वर खुद का एक ऑपरेटिंग सिस्टम रन कर सकता है।

वर्चुअलाइजेशन के लाभ और हानि || advantages and disadvantages of virtualization

S. N.Advantages of VirtualizationDisadvantages of Virtualization
1.क्योंकि इसमें सच में बहुत सारे हार्डवेयर की जरुरत नहीं होती और एक ही मशीन के रिसोर्सेज को कई सारे यूजर उपयोग कर सकते हैं इसलिए यह सस्ता होता है।वैसे तो यह सस्ता है लेकिन इसका सेटअप कभी-कभी काफी महँगा पड़ता है। जो कंपनी वर्चुअलाइजेशन की सर्विस प्रदान करती हैं उन्हें इसकी लागत कभी-कभी महँगी पड़ जाती है।
2.अपनी जरुरत के अनुसार कम्पनी इसकी लागत का अनुमान लगा सकती है और इसे उपयोग के लिए खरीद सकती है।अभी भी कुछ सीमाएँ वर्चुअलाइजेशन में हैं अगर किसी व्यक्ति या किसी कंपनी को सही तरह से इस पर कार्य करना है तो उसे हाइब्रिड सिस्टम (Hybrid System) की जरुरत होती है।
3.इससे वर्कलोड (Workload) भी कम हो जाता है क्योंकि बहुत से वर्चुअलाइजेशन में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को उपयोग करने के लिए आटोमेटिक (Automatic Update) अपडेट होता है।सुरक्षा को लेकर कभी-कभी वर्चुअलाइजेशन जोखिम भरा साबित हो सकता है।
4.सबसे अच्छी बात है कम लागत में अपटाइम बढ़ता है।वर्चुअलाइजेशन के साथ कभी-कभी अवैलाब्लिलिटी का इशू (unavailability issues) भी होता है जैसे कभी जिस कंपनी के द्वारा आप वर्चुअलाइजेशन ले रहे हैं उसमें कोई परेशानी आ गई और जब वह परेशानी ठीक हुई तब तक आपका काफी नुकसान हो गया।
5.वर्चुअलाइजेशन की वजह से रिसोर्सेज (Resource) का काफी सही रूप में उपयोग संभव हुआ है।स्केलेबिलिटी (Scalability ) की समस्या भी कई बार होती है। जैसे आपका एक छोटा बिज़नेस है और किसी का बड़ा बिज़नेस उसने ज्यादा पैसे देकर ज्यादा रिसोर्स उपयोग किये और आप उस समय उस रिसोर्स को एक्सेस नहीं कर पाए तो इस प्रकार की समस्या भी आती है।
6.बड़े स्तर पर वर्चुअलाइजेशन की वजह से ऑनलाइन (Online Business) व्यापार में तेजी आई है। एक वेबसाइट पर कई सारे यूजर एक साथ रजिस्टर कर सकते हैं लॉग इन (Login ) कर सकते हैं।इसे कई सारी लिंक की जरुरत होती है जिससे कई यूजर एक साथ काम कर सके, अगर आपके पास सभी लोकल इक्विपमेंट (Local equipment)हैं तो आपको कार्य करना आसान हो जायेगा नहीं तो समस्या उत्पन्न हो सकती है।

तो ये सभी लाभ और हानि वर्चुअलाइजेशन के साथ आप देख सकते हैं। जो लाभ है वो इसके बेनिफिट मतलब फायदे हैं जिनका उपयोग आज के समय में सभी छोटी-बड़ी कंपनी ले रही हैं। सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में तो इसका बहुत अधिक उपयोग हो रहा है।

वर्चुअल मशीन || Virtual Machine:

सबसे अच्छा वर्चुअल मशीन सॉफ्टवेयर के बारे में जानने से पहले हम ये जानेंगे कि वर्चुअल मशीन क्या है तो यह एक सॉफ्टवेयर एनवायरनमेंट होता है जो दर्शाता है कि एक मशीन के द्वारा दूसरी मशीन को असली सुविधा दी जा रही है लेकिन यह एक विकल्प (Substitute) होता है।

बेस्ट वर्चुअल मशीन सॉफ्टवेयर || Best Virtual Machine Software:

यहाँ हम देखेंगे Windows, Mac, and Linux के लिए सबसे अच्छे वर्चुअल मशीन सॉफ्टवेयर जैसे:

VMware Workstation Player :

VMware Workstation Player एक ऐसा सिस्टम है जो मुख्यतः आईटी प्रोफेशनल्स (Information Technology Professional) और डेवलपर्स (developer ) के लिए हैं। इसके द्वारा डेवलपर मल्टीप्ल ऑपरेटिंग सिस्टम (developer Multiple Operating system) जैसे लिनिक्स (Linux)और विंडो (Windows)पीसी के साथ सॉफ्टवेयर डेवलप कर सकते हैं।

VMware Fusion (Mac) :

यह MacOS के लिए एक बहुत ही अच्छा वर्चुअल मशीन सॉफ्टवेयर है। इसे मुख्यतः क्लाउड कंप्यूटिंग एवं वर्चुअलाइजेशन सॉफ्टवेयर(Cloud Computing and Virtualization Software) के लिए जाना जाता है। इसके द्वारा एक ही समय पर अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम पर अनेक एप्लीकेशन को यूज़ कर सकते हैं।

Parallels :

जैसा इसका नाम है वैसे ही इसका काम है यह एक बहुत फ़ास्ट(Fast), आसान वर्चुअल डेस्कटॉप एप्लीकेशन (Virtual desktop Application) है जिसे विंडो और Mac दोनों ही ऑपरेटिंग सिस्टम पर रन किया जा सकता है और इसके लिए सिस्टम रिबूट ( System Reboot) की आवश्यकता नहीं होती।

Hyper-V :

Hyper-V को पहले विंडोज सर्वर वर्चुअलाइजेशन की तरह जाना जाता था। यह एक हाइपरविजर है जिसे x86-64 सिस्टम पर वर्चुअल मशीन को क्रिएट करने के लिए डिजाईन किया गया। Hyper-V पर रन कर रहे सर्वर को  एक या एक से ज्यादा नेटवर्क के इंडिविजुअल मशीन को एक्स्पोस करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

VirtualBox :

VirtualBox x86 कंप्यूटर के लिए एक प्रसिद्द ओपन-सोर्स हाइपरवाइजर (Open Source Hypervisor) है। सबसे अच्छे वर्चुअल सॉफ्टवेयर (Best Virtual Software Machine) मशीन में से यह एक है यह वर्चुअल मशीन को मैनेज और क्रिएट करने में सहायक है और यह Windows, Linux, BSD और भी कई ऑपरेटिंग सिस्टम पर रन किया जा सकता है।

ये सभी थे बेस्ट वर्चुअल मशीन सॉफ्टवेयर (Best Virtual Software Machine) इनके अलावा और भी कई सारे बेस्ट वर्चुअल मशीन सॉफ्टवेयर हैं जैसे: VM Monitor, QEMU, Gnome Boxes, Red Hat Virtualization, Boot Camp, Proxmox VE, Kernel Virtual Machine इत्यादि। जरुरत के अनुसार इनका उपयोग किया जाता है।

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लिनक्स क्या है और क्यों इस्तेमाल करना चाहिए

Linux command in Hindi

लिनक्स फ़ाइल संरचना

हाइपरवाइजर्स || Hypervisors :

जब हम वर्चुअलाइजेशन के बारे में जान ही रहे हैं तो हम हाइपरवाइजर्स को नहीं छोड़ सकते क्योंकि इसके बिना वर्चुअलाइजेशन पूरा नहीं हो सकता। यह एक ऐसी सॉफ्टवेर लेयर है जो अंडरलेयिंग फिजिकल हार्डवेयर एवं वर्चुअल मशीन के बीच इंटरफ़ेस का कार्य करती है और वर्चुअल मशीन को को- ऑर्डिनेट (Coo-ordinate) करती है। यह पूर्ण रूप से वर्चुअल मशीन को मैनेज करती है। इसके दो प्रकार होते हैं।

हाइपरवाइजर्स के प्रकार || Types Of Hypervisors:

Type 1 or “Bare-Metal” Hypervisor:

यह हाइपरविजर अंडरलेयिंग फिजिकल रिसोर्सेज के साथ कार्य करता है जब ट्रेडिशनल ऑपरेटिंग सिस्टम को बदला जाता है।

Type 2 Hypervisors:

यह पहले से मौजूद ऑपरेटिंग सिस्टम पर एक एप्लीकेशन की तरह रन होता है। मुख्यतः यह एंड पॉइंट डिवाइस (End Point Device) पर अल्टरनेटिव ऑपरेटिंग सिस्टम (Alternative Operating system) को रन करने के लिए उपयोग किया जाता है।

वैसे तो क्लाउड कंप्यूटिंग में वर्चुअलाइजेशन virtualization in cloud computing को समझना इतना आसान नहीं है लेकिन इतना भी मुश्किल नहीं है। इसे अगर कल्पना करते हुए समझा जाए तो इसे समझना बहुत ही आसान हो जाता है। वर्चुअलाइजेशन की दुनिया वैसे बहुत बड़ी है आप जितना इसके बारे में पड़ेंगे आपको उतना नया सीखने के लिए मिलेगा।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने वर्चुअलाइजेशन क्या है (what is Cloud Computing)। step by step उदाहरण और स्क्रीनशॉट के साथ समझाने का प्रयास किया है और उम्मीद करते है की क्लाउड कंप्यूटिंग इन वर्चुअलाइजेशन (virtualization in cloud computing) से संबंधित सभी डाउट को दूर हो गए होंगेऔर उम्मीद करते है की आर्टिकल में दी गयी जानकारी आपके लिए लाभदायक रही होगी तो इसे आप अपने फ्रेंड और सोशल मीडिया में शेयर कर सकते है। यदि फिर भी आपको कोई संदेह रहे हो आप अपने सवाल को कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है।

siya ram

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