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दुनिया के 10 महान आदमी की असफलता से सफलता की कहानी

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आज दुनिया में जितने भी महान और सफल लोग हैं उन सभी लोगो ने अपने जीवन में कड़ी मेहनत , संघर्ष , निराशा और असफल हुए है लेकिन एक प्रचलित कहावत है की निराशा से ही आशा के फूल खिलते हैं। इन महान शख्सियतों ने अपने जीवन में हार नहीं मानी और अपनी कड़ी मेहनत से आज कामयाबी के मुकाम तक पहुंचें। इनके संघर्ष और सफलता की कहानी आज की पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं और जीवन में कामयाबी पाने के लिए संघर्ष करना सिखाती हैं। इस लेख के माध्यम से हम 10 महान व्यक्तियों की संघर्ष और सफलता की कहानी ( success story in hindi) के बारे जानते है।

कुछ महान लोगो की सफलता कहानी success story in hindi

नीचे आप दुनिया के कुछ महान व्यक्तियों के जीवन परिचय , असफलता से सफलता की कहानी (success story in hindi) को जान सकते है जो आपको मोटीवेट करने करने में मदद करेगी।

स्टीव जॉब्स

एप्पल के सभी प्रोडक्ट आज स्टैंडर्ड , अपने बेहरीन डिजाइन और सुरक्षा के लिए जाने जाते है। लेकिन क्या आपको इसके फाउंडर स्टीव जॉब्स की सफलता की कहानी पता है। 20 वर्ष के उम्र में एप्पल कंपनी की शुरुआत करने वाले स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में हुआ था। स्टीव जॉब्स को उनकी माता ने पाॅल और कालरा को गोद दे दिया था जो मिडल क्लास फैमिली थी। उनके पास इतना पैसा नहीं था कि वह स्टीव जॉब्स को अच्छे कॉलेज में पढ़ा सकें।

जिसके कारण स्टीव जॉब्स ने अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए कॉलेज के वीकेंड्स में कोल्ड ड्रिंक की बोतल बेचा करते थे। इनके जीवन में भूखें रहने की नौबत एक आयी । अपने होटल का किराया बचाने के लिए दोस्तों के कमरे में जमीन पर सोया करते थे। माता-पिता की आर्थिक समस्याओं को देखते हुए कॉलेज छोड़ दिया बाद में उन्होंने अपना पूरा समय अपने बिजनेस में लगा दिया ।

अपने पिता के छोटे से गैराज में ऑपरेटिंग सिस्टम Mackintosh को तैयार कर बेचने के लिए Apple नाम के कंप्यूटर का निर्माण किया। इन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से कुछ ही सालों में एप्पल कंपनी को एक छोटे से गैराज से बढ़ाकर $2 मिलियन की कंपनी बना डाली। आज एप्पल के प्रोडक्ट और सर्विस को दुनिया एक अलग पहचान मिली है

बिल गेट्स

यह सक्सेस स्टोरी हमें यह बताती है की दुनिया में सफल होने के लिए जरूरी नहीं है की आपको सभी विषयो का ज्ञान हो आप अपने अंदर के एक टैलेंट से भी दुनिया में सफल बन सकते है। माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के संस्थापक और अध्यक्ष बिल गेट्स दुनिया के अमीर व्यक्तियों के सूची में शुमार हैं।

इनका जन्म 28 अक्टूबर 1955 को अमेरिका के वॉशिंगटन में एक मध्यम परिवार में हुआ था। हर सफल व्यक्ति की तरह बिल गेट्स अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कई संघर्ष किए। बिल गेट्स को कंप्यूटर के आलावा किसी अन्य विषय में रूचि नहीं रहती है इसलिए ये कंप्यूटर के आलावा अन्य विषयो में हमेशा फ़ैल हो जाते थे।

बचपन से ही कंप्यूटर में रुचि रखने वाले बिल गेट्स को एक डिजिटल लोकतंत्र और दूरदर्शी व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। पहले के समय में कंप्यूटर सिर्फ कमांड से चलते थे मतलब की कम्प्यूटर में सिर्फ कीबोर्ड का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन बिल गेट्स की कंपनी ने इसे इतना आसान बना दिया की आज बच्चा भी माउस की मदद से कंप्यूटर को आसानी से चला सकता है

4 अप्रैल 1975 को बिल गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की स्थापना की थी। इस कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए इन्होंने जी तौड मेहनत की। 20 नवंबर 1983 को इन्होंने विंडो को लांच किया उसके बाद उन्होंने विंडो के कई वर्जन को लांच किया। इन्होंने एमएस ऑफिस ,विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम , विंडोज गेम्स जैसे सॉफ्टवेयर को लांच किया। बिल गेट्स की यही खासियत है कि वे कभी रुके नहीं इसी कारण कामयाबी की सीढ़ी पर चढ़ते चले गए।

बिल गेट्स कहते हैं अगर तुम गरीब पैदा होते हो तो यह तुम्हारी गलती नहीं है, लेकिन तुम गरीब ही मर जाते हो यह तुम्हारी गलती है। बिल गेट्स की कही गई यह लाइन हर एक युवा को प्रेरित करती हैं और जीवन में संघर्ष करना सिखाती हैं।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी

अधिकतर लोगो का मानना है की फिल्मो में काम करने के लिए अच्छी पर्सनालिटी , ऊंची पहुंच और पैसा होना चाहिए। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है अगर आपके पास टैलेंट , दृढ़ संकल्प , धैर्य और इरादा पक्का है तो सफलता आपके पास आएगी जरूर। नवाजुद्दीन सिद्दीकी में 12 से अधिक समय तक संघर्ष किया , सफल हुए और आज बॉलीवुड पर राज करते है।

आमिर खान की फिल्म सरफरोश में एक छोटी सी भूमिका निभा कर हिंदी फिल्म जगत में कदम रखने वाले अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी आज एक सफल अभिनेता के रूप में जाने जाते हैं। इनका जन्म 19 मई 1974 को उत्तर प्रदेश राज्य के मुजफ्फरनगर जिले के एक छोटे से कस्बे बुढाना में हुआ था। इनके असफलता से सफलता से कामयाबी का बहुत संघर्ष से भरी है ।

उन्होंने रात दिन मेहनत की , जहा उन्हें , खाने – पीने और रहने तक का भी ठिकाना नहीं था । इनके संघर्ष के सफर में ऐसा भी समय था जब वे केवल एक ही समय का खाना खा पाते थे और दूसरे समय के खाने के लिए सोचना पड़ता था। बहुत बार सब कुछ छोड़ कर वापस जाने का मन किया लेकिन हार नहीं माने। फिर एकाएक कामयाबी ने इनके जिंदगी में दस्तक दिया ।

अनुराग कश्यप की फिल्म “गैंग्स ऑफ वासेपुर” में फेजल की भूमिका में इनके अभिनय ने सबके दिल को जीत लिया। उसके बाद नवाजुद्दीन सिद्दीकी रुके नहीं। आगे द लंच बॉक्स , किक , मांझी द माउंटेन, रईस , तलाश जैसे एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया है। इनकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि अपने किरदार में ये ही पूरी तरीके से समा जाते हैं।

वाल्ट डिजनी

इस सक्सेस स्टोरी में (success story in hindi) आपको जानने को मिलेगा की व्यक्ति अपने क्रिएटिव और कलानात्मक विचार से भी सफल बन सकता है

वाल्ट डिजनी एक अमेरिकन फिल्म निर्देशक निर्माता और एनिमेटर थे । जिन्हें विश्व को दिए कुछ प्रसिद्ध कार्टून कैरेक्टर के लिए याद किया जाता है। विश्व में मनोरंजन के क्षेत्र में किए गए उनके कार्य अनमोल है। इनका जन्म 5 दिसंबर 1901 को अमेरिका के शिकागो शहर में हुआ था। उन्होंने मनोरंजन पार्क डिज्नीलैंड की स्थापना की थी।

19 साल की उम्र में अपनी कंपनी शुरू करने वाले वाल्ट डिज्नी के कामयाबी का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। बचपन से ही उनकी कला में उनकी रूचि थी। अपने पड़ोसियों को ड्राइंग बनाकर बेचा करते थे । बाद में वे सेना में भर्ती होना चाहते थे लेकिन कम उम्र के कारण उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। वाल्ट डिजनी के जीवन में ऐसा भी समय आया था जब उनके पास किराया चुकाने तक का पैसा नहीं था कई बार तो उन्हें बिना खाए पिए रहना पड़ता था। पूरे जीवन में उन्हें कई बार असफलता मिली। लेकिन वाल्ट कभी भी हार नहीं मानें।

उन्होंने कई बिजनेस शुरू किए। उसमें असफलता भी मिली लेकिन अपने सृजनात्मक को कभी छोड़ा नहीं । अपने सृजनात्मक विचारों के बलबूते ही उन्होंने ऐसा पार्क बना डाला जो पूरी दुनिया में आनंद का प्रतीक बन गया।

अल्बर्ट आइंस्टीन

मानव इतिहास का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कहे जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन एक महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने दुनिया को अंतरिक्ष और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत दिए थे। लेकिन इन्होने भी अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया । बचपन में ये इतने बुद्धिमान नहीं थे । इनका जन्म सामान्य बच्चे से काफी अलग हुआ था।

इनके सिर का आकार भी काफी बड़ा था यहां तक कि इन्होंने बोलना भी 4 वर्ष की उम्र में शुरू किया था। ये ना तो किसी अन्य बच्चे के साथ खेलते थे ना ही अन्य लोगों के साथ ज्यादा समय बिताया करते थे अपने ही दुनिया में खोए रहते थे। मात्र 5 साल की उम्र में इन्होंने अपने आपको विज्ञान के प्रति रुचि दिखाना शुरू कर दिया।

विज्ञान में इन्हें इतनी ज्यादा रूचि थी कि वह ऐसे ऐसे प्रश्न अपने अध्यापक से पूछा करते थे कि वह भी दंग रह जाते थे। आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण इनके पढ़ाई में काफी बाधा आई लेकिन अपने परिश्रम और मेहनत के दम पर अल्बर्ट आइंस्टीन ने गणित और भौतिकी विज्ञान में महारत हासिल की जिस कारण आज इनके बातये गए नियमो को सभी स्कूल और कॉलेज में पढ़ाया जाता है।

एपीजे अब्दुल कलाम

इस सक्सेस स्टोरी (success story in hindi) में आपको जानने को मिलेगा की परिस्थित चाहे कितनी ख़राब हो अगर आपके पास सही विचारधारा , कुछ करने का दृढ़ संकल्प है तो आप एक पेपर वाले से लेकर देश की सर्वोच्च पद राष्ट्रपति तक भी पहुंच सकते है।

भारत के 11 वे राष्ट्रपति और साइंटिस्ट एपीजे अब्दुल कलाम दुनिया के महान शख्सियतों में से एक हैं जिनकी सफलता की कहानी से आज भी लोग प्रेरित होते हैं। मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन खुद में ही एक पाठशाला है। जो भी इनके जीवन की कहानी से परिचित होता है वह पूरी तरह प्रेरणा से भर जाता है। इनका जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम शहर के छोटे से गांव धनुस्कोड़ी में गरीब परिवार में हुआ था। इनका जीवन बहुत ही कठिनाइयों से बिता ।

जीवन यापन और अपने देश दुनिया की जानकारी से अपडेट रहने लिए इन्होंने अखबार तक बेचे लेकिन पढ़ने का इन्हें काफी शौक था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई रामेश्वरम के एलिमेंट्री स्कूल से किया । बाद में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग डिग्री प्राप्त किया ।

इंडियन आर्म्ड फोर्स में फाइटर पायलट बनना चाहते थे लेकिन जब वहां सिलेक्शन नहीं हुआ तो डीआरडीओ को ज्वाइन कर लिए। आगे चलकर इन्होंने इसरो को ज्वाइन किया। इंटीग्रेटेड गाइड्स मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम , डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के ही देखरेख में शुरू किया गया था और इसी परियोजना के कारण देश को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइल मिली।

कर्नल हरलैंड सैंडर्स

इस महान व्यक्ति की सक्सेस स्टोरी (success story in hindi) हमें बताती है की उम्र कितनी भी अधिक क्यों न हो जाये अगर आपके पास सही हुनर है तो लाख मुसीबतो का सामना करने के बाद भी सफलता एक दिन आपके पास आई जरूर है।

हम किसी कार्य को करने के लिए एक दो बार प्रयास करते है सफलता न मिले तो अपने आप को फेलियर मान लेते है लेकिन कर्नल हरलैंड सैंडल्स केएफसी के फाउंडर है जिन्हें जीवन में 1000 से भी अधिक बार असफल हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 65 साल की उम्र में केएफसी की शुरुआत की। इनका जन्म 1890 में अमेरिका के इंडियाना में हेंनरीविले में हुआ था। इन्होंने सातवीं तक पढ़ाई करने के बाद आगे की पढ़ाई छोड़ दी और कई तरह के कार्य किए।

इन्होंने अपने जीवन में रेलवे में फोरमैन, इंश्योरेंस से लेकर क्रेडिट कार्ड बेचने जैसी कई नौकरियां की। लेकिन अपने हुनर और क़ाबलियत के दम से KFC ब्रांड बना डाला। आज के समय में 150 देशों में 41,000 से भी अधिक रेस्टोरेंट है । इन्होंने अपने जीवन में तमाम छोटे-मोटे काम किए जिसमें टायर बेचने, लैंप बनाने और नाव चलाने जैसे भी काम शामिल हैं।

इनके जीवन में सफलता साल 1930 में आना शुरू हुआ जब उन्होंने पहली बार केंटकी के कॉर्बिन में एक गैस स्टेशन खरीदा। उन्होंने रेस्टोरेंट में कई तरह के खास रेसिपी वाले चिकन बनाकर बेचने शुरू किया। साल 1990 में कर्नल सैंडल्स की मौत हो गई लेकिन आज भी के केएफसी पर उनकी दाढ़ी और वेस्टर्न ताई के साथ उनका चेहरा पहचान बन चुका है।

रजनीकांत

दक्षिण भारतीय फिल्म जगत के सुपरस्टार और इस इंडस्ट्री में सबसे अधिक कमाई करने वाले हस्तियों में रजनीकांत का नाम तो सभी लोग जानते है। रजनीकांत को थलाइवा के नाम से जाना जाता है।

दक्षिण भारतीय फिल्मों के अतिरिक्त इन्होंने कई हिंदी फिल्मों में काम किया है। इनका जन्म 12 दिसंबर 1950 को मराठी घराने में शिवाजीराव गायकवाडा के रूप में हुआ था। शुरुआती समय में रजनीकांत बस कंडक्टर का काम किया करते थे लेकिन अभिनेता बनने की ख्वाहिश इनके दिल में हमेशा से ही थी ।

फिल्म भैरवी से रजनीकांत को पहली सफलता मिली थी और इस फिल्म में इनके जबरदस्त अभिनय प्रतिभा से हर कोई आकर्षित हुआ था जिसके बाद आगे एक से बढ़कर एक कई फिल्में आती गई और इनकी ज्यादातर फिल्में सुपरहिट रही। रजनीकांत के फैन ना केवल दक्षिण भारत में बल्कि पूरे भारत के लोग भी जानते हैं। आज भी जब इनकी कोई नई फिल्म आती है तो थिएटर फुल हो जाता है।

अक्षय कुमार

हिंदी फिल्म जगत के लोकप्रिय अभिनेता अक्षय कुमार के बारे में कौन नहीं जानता जो अपने जबरदस्त एक्शन सीन के कारण खिलाड़ी के रूप में जाने जाते हैं । इन्होंने हिंदी फिल्मों में अपनी अभिनय प्रतिभा के दम पर शोहरत और नाम कमाया है लेकिन बॉलीवुड में सफलता इतना आसान नहीं था ।

एक समय ऐसा भी था जब अक्षय कुमार ₹5000 की नौकरी किया करते थे। अक्षय कुमार के कोई गॉडफादर नहीं है जो फिल्मी दुनिया में जुड़ा हो इस कारण इन्हें बॉलीवुड में अपना अच्छा नाम बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा । अक्षय कुमार का जन्म 9 सितंबर 1967 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। इन्होंने अपनी स्कूलिंग अमृतसर के डॉन बॉस्को स्कूल से की थी।

शुरुआत में अक्षय कुमार को मार्शल आर्ट सीखने की रुचि थी। कुछ समय तक यह थाईलैंड के बैंक अकाउंट में मार्शल आर्ट की भी पढ़ाई किया और वहीं पर रेस्टोरेंट में एक वेटर के तौर पर काम करते थे । हिंदी फिल्मों में अक्षय कुमार ने साल 1990 में दीदार नाम की फिल्म से डेब्यू किया। इनकी पहली फिल्म सुपरहिट हो गई उसके बाद आगे एक से बढ़कर एक फिल्म की आई और इनकी ज्यादातर फिल्में सुपरहिट रही।

थॉमस एडिसन

हम किसी कार्य में एक दो बार में सफल नहीं होते है तो उसे छोड़ देते है और कहते है हम इस कार्य में फ़ैल हुए लेकिन जिसके पास जिद्द , दृढ़ संकल्प ,और कुछ करने का जुनून हो तो वह एक नहीं 1200 बार फ़ैल होने के बाद भी हार नहीं मानता और अपने अविष्कार से एक दिन दुनिया को रोशन करता है।
बचपन में इन्हें मंदबुद्धि बालक का कहकर स्कूल से निकाल दिया गया था। लेकिन इनकी मां ने इस बारे में नहीं बताया बल्कि इन्हें और ज्यादा प्रोत्साहित किया और अपनी माता के सहारे ही इन्होने शिक्षा प्राप्त किया और आगे चलकर यह मंदबुद्धि बालक अपने प्रतिभा के दम पर दुनिया के महान वैज्ञानिक बने।

थॉमस एडिसन विज्ञान जगत के ऐसे महान वैज्ञानिक है जिन्होंने बल्ब का आविष्कार किया जिससे पूरी दुनिया को प्रकाश मिला। लेकिन थॉमस एडिसन के बल्ब के आविष्कार का सफर इतना आसान नहीं था बल्कि आविष्कार करने के लिए थॉमस एडिसन ने बहुत कड़ी मेहनत की और इस आविष्कार के सफर में 1200 से अधिक बार असफलता मिली और उस समय के वैज्ञानिको द्वारा मज़ाक
के पात्र भी बने । लेकिन वे हार नहीं माने जिसके बाद अंतः 1879 को सफलतापूर्वक बल्ब का अविष्कार किया । थॉमस एडिसन का जन्म 11 फरवरी 1847 को अमेरिका के मिलान शहर में हुआ था।

थॉमस एडिसन ने बल्ब बनाने के लिए जो 1200 असफल प्रयास किये उन्होंने अपने सक्सेस स्टोरी (success story in hindi)के बारे में कहा था की मै 1200 बार फ़ैल नहीं हुआ बल्कि यह जाना की इन 1200 तरीकों से कभी बल्ब बनाया नहीं जा सकता है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने दुनिया के महान लोगो के जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी (success story in hindi) आपके साथ शेयर किया जो आपको मोटीवेट और जीवन में आने वाले सघर्ष से लड़ने में मदद करेगी। फीडबैक , सवाल और सलाह के लिए नीचे कमेंट करे हमारी एक्सपर्ट टीम आपके सवालों का जवाब देगी।

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siya

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