इस आर्टिकल में हम जानेगे की प्रदुषण क्या होता है (What Is pollution in Hindi ) और यह कितने प्रकार का होता होता है , प्रदूषण के फैलाने के क्या कारण है , इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते है और इससे बचने के लिए क्या उपाय किया जा सकता है। उम्मीद करते है की इस आर्टिकल (pollution in Hindi )से आपको प्रदूषण के बारे में सम्पूर्ण जानकरी मिलेगी तो दोस्तों प्रदुषण के बारे में जानने के लिए इस आर्टिक्ल को पूरा पढ़े।
प्रदुषण क्या होता है What Is pollution in Hindi
प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ पर्यावरण के किसी भी अवयव जैसे हवा, पानी, भूमि और ध्वनि का दूषित हो जाने से है जो वातावरण के लिए कई समस्याएं पैदा करता है। प्रदूषण में वृद्धि के लिए मानवीय गतिविधियों के साथ-साथ कई बार प्राकृतिक आपदाएं भी जिम्मेदार होती हैं। हवा, पानी, मिट्टी जीवन चक्र के महत्वपूर्ण तत्व हैं अगर हम इन्हें ही दूषित कर देंगे तो जीवन मुश्किल हो जाएगा। हमारे पर्यावरण को जो भी तत्व दूषित करते हैं उन्हें विज्ञान की भाषा में प्रदूषक (pollutants) कहा जाता है। आज हम प्रदूषण के प्रकार, कारण और रोकने के उपाय जानेंगे
प्रदूषण के प्रकार (Types of pollution)
प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार से होता है लेकिन आधुनिकता के बढ़ते प्रभाव के कारण प्रदूषण के 5 प्रकार हो गए हैं। पर्यावरण में घटित होने वाले विभिन्न प्रदूषण के प्रकार इस तरह हैं
- वायु प्रदूषण (air pollution)
- जल प्रदूषण (water pollution)
- मृदा या भूमि प्रदूषण (soil pollution)
- ध्वनि प्रदूषण (noise pollution)
- रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)
वायु प्रदूषण -Air pollution in Hindi
हवा के बिना जीना एक पल भी मुश्किल है, हमारे वायुमंडल में गैसों की मात्रा निश्चित मात्रा में पाई जाती है लेकिन इस निश्चित मात्रा में अन्य गैसों के मिल जाने से जो परिवर्तन हो जाता है और हमारे वातावरण की हवा में हानिकारक तत्त्वों का मिल जाना वायु प्रदूषण कहलाता है। वायुमण्डल में मौजूद प्राकृतिक गैसों के अलावा अन्य गैसें मिल जाती हैं तो यह Air pollution कहलाता है, वायु प्रदूषण इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि इसके असर तत्काल दिखाई देते हैं
वायु प्रदूषण के कारण (Air pollution reason)
- ज्वालामुखी फटने से निकलने वाली गैसों से
- उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाली गैसें
- वाहनों के धुएं, खेतों में जलने वाली पराली, त्यौहार और उत्सवों में की जाने वाली आतिशबाजी
- बढ़ता मशीनीकरण, ए.सी., फ्रिज, और हीटर का अधिक प्रयोग भी वायु प्रदूषण के लिए उत्तरदायी है
दुष्प्रभाव – Air pollution side effects
- वायु प्रदूषण के कारण मनुष्य में सांस सम्बन्धी रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है।
- खराब हवा के कारण पेड़ पौधों और फसलों में भी विभिन्न प्रकार के रोग लग जाते हैं।
- टी. बी. एवं कैंसर जैसे रोग बढ़ने लगते हैं
बचाव के उपाय (control of air pollution)
- औद्योगिक मशीनों में फ़िल्टर का प्रयोग करके इनसे निकलने वाली गैसों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- कारखानों को ऐसी जगहों पर लगाया जाए जहां घनी आबादी ना रहती हो।
- अधिक से अधिक मात्रा में पौधारोपण करके
- पेट्रोल डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का प्रयोग करके
जल प्रदूषण Water pollution in Hindi
लोगो द्वारा ये कहते सुना होगा की जल ही जीवन है का नारा सुनकर जल की उपयोगिता समझी जा सकती है लेकिन बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव न सिर्फ बाहरी जलस्त्रोतों पर हुआ बल्कि भूमिगत जल भंडार पर इसका गलत प्रभाव पड़ा है। जल प्रदूषण को हम इस तरह समझें जब पृथ्वी पर मौजूद पानी में ऐसे तत्व मिल जाते हैं जो पानी को दूषित कर उसे अनुपयोगी बना देते हैं। ऐसे तत्वों से जल का ph मान भी कम हो जाता है जो जल को पीने योग्य नहीं रहने देता है।
जल प्रदूषण के कारण Reason of water pollution
- जल प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित जल जो सीधे नदियों तालाब में जाता है।
- घरों से निकलने वाले अपशिष्ट जल और सीवेज लाइन का सीधा जलस्रोत में मिला जाना।
- पानी के जहाजों से निकलने वाला ऑयल और समुद्र में तेल वाहक जहाजों के दुर्घटनाग्रस्त होने से समुद्री जल प्रदुषित हो जाता है
- खेती में प्रयोग होने वाले रसायन, कीटनाशकों के छिड़काव से यह रसायन बारिश के समय बहकर जल स्त्रोतों में मिल जाता है जिससे जल प्रदूषित हो जाता है
जल प्रदूषण के दुष्परिणाम bad effect of water pollution
- प्रदूषित जल को पीने से कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
- समुद्री ज्वालामुखी से समुद्र के जल में कई हानिकारक तत्व आ जाते हैं जिससे जलीय जीवों की मौत हो जाती है
- प्रदूषित जल से फसलों को भी नुकसान होता है, पौधे बड़े नहीं हो पाते जिससे अच्छे से फल और फूल नहीं दे पाते है
बचाव के उपाय (control of water pollution )
- सीवेज से निकलने वाले पानी को फ़िल्टर करके पुनः उपयोग लायक बनाना
- फैक्ट्रियों और उद्योगों के ऑयल युक्त तरल को जल स्त्रोतों में प्रवाहित ना करके उसका उचित निपटारा किया जाना चाहिए
- नदी तालाबों में वाहन, कपड़े, जानवरों आदि को नहलाने धुलाने से बचना चाहिए।
- खेती में सीमित रसायनों का प्रयोग करना और जल स्त्रोतों में प्लास्टिक कचरे को ना बहाकर जल को दूषित होने से रोका जा सकता है
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मिट्टी/भूमि प्रदूषण Soil pollution in Hindi
पृथ्वी पर उत्पादित होने वाला 95 फीसदी भोजन मिट्टी के बिना संभव नहीं है। मानव शरीर की पालनहार मिट्टी इस समय हमारे क्रियाकलापों से कष्ट में है। मृदा प्रदूषण को शाब्दिक अर्थ में समझें तो कहा जा सकता है जब मिट्टी में ऐसे विषैले पदार्थों का मिल जाना जिससे उसकी उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है और मिट्टी में पेड़ पौधे नहीं पनप पाते तो इसे प्रदूषित मृदा की श्रेणी में रखा जाता है।
मिट्टी के प्रदूषित होने के कारण
- प्लास्टिक युक्त कचरा मिट्टी को दूषित करने का सबसे बड़ा कारण है।
- वनों की कटाई से मिट्टी को जोड़े रखने वाली जड़े नष्ट हो जाती हैं जिससे मिट्टी कमजोर हो जाती है।
- खेतों में फसल कटाई के बाद लगाई जाने वाली आग मिट्टी को कमजोर कर देती है जिससे उस मिट्टी में साल दर साल उपजाऊ क्षमता घट जाती है
- Chemical का जमीन में मिलना, खेतों में प्रयोग किये जाने वाले रसायन मिट्टी में मिलकर उसे प्रदूषित कर देते हैं
भूमि प्रदूषण का बुरा प्रभाव
- मृदा प्रदूषण से फसल उत्पादन घट जाता है जो भोजन के लिए पर्याप्त अनाज न मिलने के लिए उत्तरदायी है
- धीरे धीरे भूमि बंजर हो जाती है वहाँ ना जंगल लगते हैं ना ही खेती हो सकती है
- प्राकृतिक औषधीय पौधे नष्ट हो जाते हैं
भूमि प्रदूषण पर नियंत्रण
- भूमि या मृदा प्रदूषण को रोकने के लिए खेतों से मिट्टी के बहाव को रोकना चाहिए जिससे खेत में मिट्टी कम ना हो।
- कृषि में जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए जिससे मिट्टी और अधिक उपजाऊ हो सके
- खेतों में जल को ज्यादा दिनों तक जमा ना होने देना चाहिए।
- प्लास्टिक युक्त कचरा मिट्टी में मिलने से रोकना
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ध्वनि प्रदूषण Noise Pollution In Hindi
शोर और जब कानों को चुभने लग जाए तो हमसे सहन नहीं हो पाता है और मन करता है की शांत जगह पर जाकर बैठ जाएं। इसी शोर को वैज्ञानिक शब्दावली में ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है, इसका अर्थ है वातावरण के सामान्य ध्वनि में जब ऐसी आवाजें मिल जाएं जिनका शोर कानों को तकलीफ दे तो ऐसी आवाज युक्त ध्वनि को प्रदूषित ध्वनि की श्रेणी में रखा जाता है। ध्वनि को नापने के पैमाने पर 75 Decibel से ज्यादा तेज ध्वनि खराब शोर कहलाता है।
ध्वनि प्रदूषण के कारण
- ध्वनि प्रदूषण के कारणों में प्रमुख है बड़ी बड़ी मशीनों में सायलेंसर का ना लगा होना।
- वाहनों में प्रयोग होने वाले तेज हार्न और इंजन की आवाज
- लाउडस्पीकर, डी.जे., बैंड इत्यादि का अधिक प्रयोग करना
- तेज आवाज वाली आतिशबाजी
ध्वनि प्रदुषण का बुरा प्रभाव
- तेज ध्वनि से मानव में बहरापन बढ़ जाता है।
- हृदय एवं तंत्रिका सम्बन्धी रोग हो जाते हैं
- अनिद्रा और चिड़चिड़ापन होने लगता है
- मनुष्य और ने जीवित जन्तुओ को अनेक प्रकार की समस्या हो सकती है।
ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण
- वाहनों एवं कारखानों की मशीनों में शोर नियंत्रण करने वाले सायलेंसर का प्रयोग करना।
- मशीनों युक्त कारखाने की दीवारों को Soundproof बनाया जाना
- ज्यादा समय तक डीजे, लाउडस्पीकर का प्रयोग ना करके पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रयोग करना
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रेडियोधर्मी प्रदूषण Radioactive pollution in Hindi
रेडियोएक्टिव किरणें हवा,पानी, मिट्टी किसी भी चीज को प्रदूषित कर सकती हैं। रेडियोधर्मी पदार्थो से निकलने वाली हानिकारक तरंगे वातवरण में मिलकर प्रदूषण का कारण बन जाती हैं। यह तरेंगे मुख्य रूप से तीन विकिरणों के रूप में पाई जाती हैं जो क्रमश Alpha, Beta, Gamma हैं। यह तीनों किरणें ही रेडियोएक्टीव घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं
रेडियोएक्टिव प्रदूषण के कारण
- वातावरण में मौजूद Radioactive पदार्थ जैसे Radium, Uranium, Thorium, Radon विकरण उत्तपन करते हैं
- वैज्ञानिक द्वारा किये जाने वाले परमाणु हथियार और अन्य नाभकीय प्रयोग से निकलने वाली विकिरणें
- रेडियोएक्टिव पदार्थ के कचरे का सही से निपटारा नहीं होना।
- ब्रह्मांडीय गतिविधियों के कारण कई विकिरणें पृथ्वी पर आ जाती हैं जिससे रेडियोएक्टिव पदार्थ सक्रिय हो जाते हैं
रेडियोधर्मी प्रदूषण के दुष्प्रभाव
- मनुष्य पर गम्भीर बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है।
- जीव जंतुओं और मनुष्य के जीन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है कई बार बच्चे शारीरिक रूप से अक्षम पैदा होते हैं
- हमारी खाद्य श्रंखला का हिस्सा बन रेडियोएक्टिव किरणें जीवों और मनुष्य के शिशुओं को नुकसान पहुंचाती हैं
रेडियोधर्मी प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय
- परमाणु परीक्षण को रोकने के लिए कानून बनाना
- रेडियेशन वाली मशीनों पर नियंत्रण लगाकर
- मोबाइल फ़ोन का बढ़ते उपयोग पर नियंत्रण करना
- इलेक्ट्रॉनिक कचरे को उचित तरीके से नष्ट करना जिसे रेडियशन किरणों को रोका जा सके।
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प्रदूषण के कुछ अन्य कारण
इन पांच प्रदूषणों के अलावा भी आज के समय में कई अन्य प्रदूषणों ने भी जन्म ले लिया इनमें से कुछ प्रदूषण इस प्रकार हैं।
- ईवेस्ट – इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, मशीनों, का व्यर्थ पड़ा कचरा ईवेस्ट प्रदूषण का कारण बनता है।
- तापीय प्रदूषण – गर्म धातुओं को ठंडा करने वाले जल और बिजली उत्पादन में प्रयुक्त जल से तापीय प्रदूषण होता है।
- चुम्बकीय प्रदूषण– रेडियो टीवी के फ्रीक्वेंसी के लिए भेज जाने वाले सैटलाइट, इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकी के कारण चुम्बकीय प्रदूषण बढ़ रहा है।
- प्लास्टिक प्रदूषण– प्लास्टिक युक्त कचरे और अधिक मात्रा में प्लास्टिक के उत्सर्जन और उपयोग से प्लास्टिक प्रदुषण की समस्या उतपन्न हुई है
लेकिन यह सभी प्रदूषण किसी न किसी रूप में ऊपर दिए गए मुख्य प्रदूषणों का हिस्सा हैं। प्रदूषण की बढ़ती समस्या से समय रहते निजात नहीं पाया गया तो यह हमारी भविष्य की पीढ़ियों पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा देगा। दुनियाभर के सभी देश पर्यावरण प्रदूषण के लिए नीतियां बनाने में लगे हैं किंतु यह समस्या इतनी गम्भीर हो चुकी है कि अब पूरी तरह निजात पाना मुश्किल है
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