आज के समय मे हर व्यक्ति को बैंक और उससे जुड़े कार्यो की जरूरत समय समय पर पड़ती रहती है क्योकि बैंक एवं पैसों से जुड़े लेन देन हर किसी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है । आप सभी ने कभी न कभी बैंक सर्विस जैसे की पोलिसी कराने पर या फिर आप किसी भी कंपनी का सिम खरीदेंगे जहाँ पर आपसे KYC करने के लिए कहा गया होगा क्योंकि KYC को भारत सरकार ने सभी नए एवं पुराने ग्राहकों के लिए अनिवार्य कर दिया है। आज के इस पोस्ट में हम आपको KYC की फुल फॉर्म (KYC Full Form )और उससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बताने वाले क्योंकि बहुत से उपभोक्ता ऐसे भी होते है जिनको KYC फुल फॉर्म और इसके अन्य सर्विस और फायदों के बारे में ज्ञान नही होता है इसलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हम किस सभी प्रकार की जानकारी को देने का प्रयास करेंगे तो दोस्तों इसके बारे में सम्पूर्ण जनलकारी के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।
KYC की फुल फॉर्म KYC Full Form
KYC का पूरा नाम (KYC Full Form) यानी की इसका फुल फॉर्म ” Know Your Customer “होता है जिसका हिंदी भाषा मे अर्थ अपने ग्राहक के विषय मे जानकारी रखना होता है।
KYC क्या होती है ।
वर्ष 2004 के बाद से भारत सरकार एवं भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सभी बैंक एवं वित्तीय संस्थानों, और अन्य सर्विस प्रदाताओं को ग्राहकों की KYC को अनिवार्य कर दिया है। KYC एक प्रकार की वेरिफिकेशन प्रक्रिया होती है जिसमे कोई भी बैंक अथवा वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों से उनकी सही पहचान जानने के लिए समय समय पर या फिर अपने द्वारा दी गयी सर्विस में कुछ बदलाव करने के लिए जैसे की आप बैंक में अपना नॉमिनी चेंज करना चाहते है , पॉलिसी कंपनी द्वारा पॉलिसी का पैसा लेना चाहते है या अन्य सर्विस में आवश्यक दस्तावेजो की मांग करता है इस प्रोसेस को KYC कहते है ।
KYC ऑनलाइन एवं OFFLINE दोनों ही माध्यम से की जा सकती है जहा पर बैंक या कंपनी अपने ग्राहक के नाम एवं पते को वेरीफाई करती है। आजकल छोटे बड़े पेमेंट और पैसे ट्रांसफर करने के लिए google pay, phone pay , paytm इत्यादि का उपयोग किया जाता है ये सर्विस प्रदाता भी आपसे समय समय पर अपने ग्राहक से KYC ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन कराती है।
KYC क्यों जरूरी होती है (Importance of KYC)
जैसा कि हम आपको बता चुके है कि KYC भारत मे प्रत्येक ग्राहक के लिए अनिवार्य हो चूका है चाहे आप किसी बैंक में खाता खोले ,Loan, Mutual Funds, Paytm, Phone Pay, जैसे बैंकिंग Apps के इस्तेमाल के लिए ग्राहक को KYC करना आवश्यक हो गया है। KYC कराने का मुख्य उद्देश्य सर्विस प्रदाता को अपने ग्राहक के विषय मे बेसिक जानकारी रखना होता है ताकि भविष्य में ग्राहक किसी बैंकिंग Scam में न फंस सके या ग्राहक किसी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त न हो सके ।
इसका उद्देश्य ये भी जब कोई भी सरकारी या गैर सरकारी संस्थान kyc के माध्यम से अपने ग्राहक की जानकारी जैसे नाम ,पता, Digital Signature को स्टोर करता है तो वो इसकी सहायता से असली एवं नकली ग्राहक के बीच अंतर को आसानी से पता लगा पाते है जिससे ग्राहक भविष्य में किसी भी प्रकार के वित्तीय नुकसान से बचाया जा सके
KYC के लिए आवश्यक Documents
भारत सरकार एवं भारतीय रिज़र्व बैंक ने kyc के लिए कुछ जरूरी दिशा निर्देश जारी किये है जिसमे KYC के लिए किन दस्तावेजो की आवश्यकता पड़ती है उसके विषय मे भी उल्लेख किया गया है क्योंकि जब भी आप बैंक या किसी अन्य स्थान पर KYC कराने के लिए जाते है तो आपसे कुछ जरूरी दस्तावेजो की मांग की जाती है जिनकी सूची निम्न प्रकार है ।
- आधार कार्ड
- Pan कार्ड
- वोटर ID card
- ड्राइविंग लाइसेंस
- पासपोर्ट साइज फ़ोटो
- राशन कार्ड
- पासपोर्ट
KYC का इस्तेमाल कहाँ होता है।
KYC का इस्तेमाल मुख्यतः बैंको में खाता खोलने में किया जाता है क्योंकि हर बैंकिंग संस्थान में KYC को अनिवार्य कर दिया गया है , KYC का इस्तेमाल नया सिम कार्ड लेने के लिए भी किया जाता है जहाँ पर आप ऑनलाइन या offline Kyc करा सकते है इसके अतिरिक्त शेयर मार्केट एवं म्यूच्यूअल फंड्स में भी KYC कराने की जरूरत पड़ती है क्योंकि शेयर मार्केट या म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करने के लिए आपको डीमैट एकाउंट खोलना पड़ता है जिसके लिए KYC को अनिवार्य कर दिया गया है । सभी None Government banking Apps जैसे Phone Pay, Paytm, Google Pay एप्लीकेशन को चलाने के लिए भी KYC करना अनिवार्य है।
KYC के फायदे (Advantages Of Kyc)
KYC का उपयोग अधिकतर सरकारी काम काज और बैंकिंग और अन्य नॉन बैंकिंग कार्यो के लिए किया जाता है। वैसे KYC के बहुत सारे फायदे है लेकिन हम इसके बहुत मुख्य बिन्दुओ को नीचे बता रहे है। ।
- KYC के माध्यम से ग्राहक की बेसिक जानकारी प्राप्त होती है जिससे ग्राहक की वास्तविकता एवं विश्वनीयता का पता चलता है।
- KYC के द्वारा सेवा प्रदाता अपने ग्राहक का सही से पता पता लगाया जा सकता है ।
- KYC की सहायता से मनी लॉन्ड्रिंग जैसे वित्तीय अपराधों पर आसानी से रोक लगाई जा सकती है ।
- अवैध धन के लेनदेन को मॉनिटर किया जा सकता है।
KYC के प्रकार (Types Of KYC)
कोई भीकोई भी उपभोक्ता दो प्रकार से अपनी केवाईसी को करा सकता है जिसको E-kyc अथवा आधार केवाईसी कहते है और दूसरा है जिसे Offline Kyc अथवा In Person KYC कहते है
E-kyc or Aadhar Based Kyc
E-kyc एक प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक या ऑनलाइन केवाईसी है ,इस केवाईसी को केवल वो ही उपभोक्ता करा सकते है जिनके पास आधार संख्या उपलब्ध होती है। इस KYC में आपको UIDAI ( Unique Identification Authority of India) की सहमति से बैंको के साथ अपनी बायोमेट्रिक पहचान को शेयर करने की अनुमति देनी होती है जिसमे UIDAI के माध्यम से आपका नाम, पता,लिंग ,आयु,एवं फ़ोटो की जानकारी संबधित संस्थान को दे दी जाती है ।
Offline KYC
OFFLINE KYC में उपभोक्ता संबंधित बैंक या ऑफिस में जाकर KYC को स्वयं करवा सकता है जिसके लिए उपभोक्ता को मान्य दस्तावेज को अपने साथ ले जाना होगा ,जहा पर अधिकारी आपसे जांच हेतु ओरिजिनल दस्तावेजो की मांग भी कर सकता है। कुछ स्थानों पर आपसे वास्तविक दस्तावेजो के साथ साथ आपके बायोमेट्रिक Details को भी मांगा जा सकता है जोकि एक प्रकार के device की सहायता से आपके फिंगरप्रिंट के द्वारा ली जाती है।
Video KYC
कुछ बैंकिंग संस्थानों में वीडियो कॉल के माध्यम से भी KYC की जाती है जहाँ पर उपभोक्ता मोबाइल APPS के माध्यम से ग्राहक प्रतिनिधि को कॉल करते है जहाँ पर आपके FACE,आंख की रेटिना को वेरीफाई करा जाता है एवं इसके अतिरिक्त आपसे आपका आधार कार्ड एवं पैन कार्ड की DETAILS को वेरीफाई किया जाता । Paytm एवं ICICI जैसे बैंकिंग संस्थान VIDEO KYC के माध्यम से ही KYC करते है।
आपने क्या सीखा
आज के इस पोस्ट के माध्यम से आपने KYC फुल फॉर्म (KYC Full form) और इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में ज्ञान अर्जित किया । हम आशा करते है कि आपको हमारा KYC Full form पोस्ट पसंद आया होगा और भविष्य में भी आपसे इस प्रकार के सपोर्ट की आशा करते है । यदि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने दोस्तों और सोशल मीडिया अकाउंट में शेयर करे और इस पोस्ट और ब्लॉग से सम्बंधित सलाह और सुझाव के लिए नीचे कमेंट करे
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