आप नेटवर्किंग में एक्सपर्ट बनना चाहते है तो इसके लिए आपको इंटरनेट प्रोटोकॉल के बारे में डिटेल्स जानकारी होनी चाहिए यदि आप किसी एग्जाम की तैयारी कर रहे है तो भी यह आर्टिकल आपके लिए बेहतर होने वाला है। Networking टुटोरिअल के इस भाग में हम जानेगे की ipv4 vs ipv6 in hindi के बीच अंतर को समझेंगे
IPv4 क्या है ? What Is IPv4
IPv4 का पूरा नाम इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्शन 4 है, यह इंटरनेट प्रोटोकॉल का चौथा वर्शन है जिसे ARPAnet द्वारा 1982 में डेवलप और 1983 में पब्लिक नेटवर्क के लिए deployed किया गया था.। नेटवर्किंग के लिए यह एक महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी है जिससे डिवाइस को नेटवर्क से कनेक्ट करना , एक दूसरे के साथ कम्यूनिकेट करना , डाटा शेयर करना और इंटरनेट का उपयोग करना सम्भव होता है।Internet Protocol में IPv4 सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला वर्शन है।
IPv4 एड्रेस फॉर्मेट के लिए 32 Bit का इस्तेमाल करता है जिसमे लगभग 4.3 बिलियन यूनिक IP एड्रेस होते है। IPv4 को चार सेट में लिखा जाता है जिसके प्रत्येक सेट को octet कहा जाता और प्रत्येक octet को अलग करने के लिए dot (.)का इस्तेमाल किया जाता है (जैसे, 192.168.0.1) । IPv4 के 32 bit के प्रत्येक सेट में 8 bit का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी रेंज 0 से 255 तक होती है। इसे सर्वोच्च इंटरनेट प्रोटोकॉल माना जाता है और अभी के नेटवर्क में 94% तक इसी प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जाता है ।
IPv6 क्या है? What Is IPv6
IPv6 का पूरा नाम इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्शन 6 है यह इंटरनेट प्रोटोकॉल का 6 वर्शन है जिसे 1995 में Internet Engineering Task Force द्वारा डेवलप किया गया है । इंटरनेट प्रोटोकाल का यह सबसे लेटेस्ट वर्शन है जिसे IPv4 में कम हो रहे IP की संख्या की पूर्ती के लिए डेवलप किया गया है , यह भविष्य में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे एडवांस और सिक्योर IP address है। IPv6 में 128-bit एड्रेस फॉर्मेट का इस्तेमाल किया जाता है , जो IPv4 की तुलना में बहुत अधिक IPs प्रोवाइड करता है।
IPv6 में IP की संख्या लगभग 2128 (3.4 x 10^38) मतलब की लगभग ( 340 trillion) IP एड्रेस हो सकते है। इसके इस्तेमाल से अधिक से अधिक डिवाइस को इंटरनेट से कनेक्ट किया जा सकता है। जिस तरह IPv4 के 32 बिट को चार octet में लिख कर Dot (. ) से अलग किया जाता उसी प्रकार IPv6 के 128 bit को 8 अलग अलग Octet में लिख कर colon से अलग किया जाता है। (2001:0db8:85a3:0000:0000:8a2e:0370:7334). IPv6 में IPv4 की तुलना में अधिक फ़ीचर दिए गए है जिसका उपयोग बेहतर नेटवर्क सिक्योरिटी , परफॉरमेंस और मॉनिटर में इस्तेमाल किया जा सकता है ।
ipv4 और ipv6 में अंतर ipv4 vs ipv6 in hindi
इसके पहले आपने Protocol के बारे में अच्छे से समझा। यहाँ पर हम Internet Protocol के दो प्रमुख Version IPv4 और IPv6 के बारे में विस्तार से समझने वाले है।
| IPv4 Internet Protocol Version | IPv6 Internet Protocol Version 6 |
|---|---|
| इसमें एड्रेस के लिए 32 Bit का इस्तेमाल किया जाता है | इसमें एड्रेस के लिए 128 Bit का इस्तेमाल किया जाता है |
| इसमें IP एड्रेस की सीमा लिमिटेड है (4.3 Billion Addresses) | इसमें IPs की संख्या अनलिमिटेड है (लगभग 340 Trillion) |
| इसके एड्रेस में नंबर और Dot का इस्तेमाल किया जाता है 192.168.0.1) | इसके एड्रेस में नंबर, Hexadecimal Number और Colon का इस्तेमाल किया जाता है 2001:0db8:85a3:0000:0000:8a2e:0370:7334 |
| IPv4 का Header साइज 20 – 60 Bytes का होता है। | IPv6 का Header साइज फिक्स 40 Bytes का होता है। |
| IPv4 में सिक्योरिटी के लिए किसी तरह का सपोर्ट नहीं है | IPv6 में सिक्योरिटी के लिए IPsec का सपोर्ट दिया गया है |
| NAT का उपयोग किया जाता है। | अत्यधिक IP एड्रेस होने से NAT की आवश्यकता नहीं होती है। |
| मल्टीकास्ट के लिए Class D का इस्तेमाल किया जाता है | इसमें मल्टीकास्ट के लिए डेडिकेट मल्टीकास्ट एड्रेस Range का इस्तेमाल किया जाता है |
| Anycast एड्रेसिंग के लिए कोई सपोर्ट नहीं है | Anycast एड्रेस सामान्य कंटेंट डिलीवरी और लोड बैलेंस के लिए उपयोगी |
| इसमें मैन्युअल कॉन्फ़िगरेशन या DHCP की आवश्यकता होती है | इसमें एड्रेस असाइनमेंट के लिए स्टेटलेस एड्रेस ऑटोकॉन्फिगरेशन (SLAAC) का सपोर्ट मिलता है |
| IPv4 VLSM (Virtual Length Subnet Mask) को सपोर्ट करता है। यहाँ VLSM का मतलब IP एड्रेस को अलग अलग साइज के सबनेट में कन्वर्ट करना। | यह VLSM को सपोर्ट नहीं करता है। |
| IPv4 में एन्क्रिप्शन और ऑथेंटिकेशन का फ़ीचर नहीं दिया गया है | IPv6 में एन्क्रिप्शन और ऑथेंटिकेशन का फ़ीचर दिया गया है |
| IPv4 में IP Address के लिए 5 क्लास A, B, C, ,D ,E, F)का इस्तेमाल किया जाता हैं | IPv6 में IP एड्रेस के लिए कोई Class नहीं है |
आपको IPv4 and IPv6 को अच्छे से समझने के लिए IP address को डिटेल्स में समझना पड़ेगा.
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