दोस्तों, हम इस आर्टिकल में ईएमआई EMI क्या है , इसका फुल फॉर्म (Full form of EMI) क्या है, इसकी गणना कैसे करें, EMI को प्रभावित करने वाले कारक और इसके फायदे, नुकसान, सावधानियां इत्यादि की चर्चा करेंगे। EMI का फुल फॉर्म (Full form of EMI) EQUATED MONTHLY INSTALLMENT होता है, EMI को हम सामान्य भाषा में लोन चुकाने की प्रक्रिया कह सकते हैं,
पहले तो हम ईएमआई शब्द से ज्यादा रुबरू नही हुए थे। सिर्फ ऑफलाइन या बैंक में ही हमने यह शब्द अधिकतर देखा या सुना था लेकिन अब डिजिटलाइजेशन का जमाना हो गया है और हमारे शॉपिंग प्लेटफार्म (जैसे- Amazon, Flipkart तथा अन्य शॉपिंग एप्लीकेशन) पर भी हमें यह सुविधा उपलब्ध होने के करण आज कल EMI एक चर्चित विषय है।
इसीलिए हमें आज के समय में यह जानना जरूरी है ताकि हम EMI का भरपूर और सही तरीके से लाभ उठा सकें । इसके अलावा यदि आपने किसी बैंक या किसी निजी कंपनी से किसी भी प्रकार का लोन ले रखा है तो भी आपको यह जानना जरूरी है की आप इसे कैलकुलेट कैसे करेंगे या लोन लेने वाले हैं तो भी आपको यह बेसिक जानकारी रखनी चाहिए जिससे की आपका अनुभव अच्छा रहे और आपको नुकसान भी न हो।
क्या है EMI? (What is EMI?)
EMI को हिंदी में समेकित या समान मासिक किस्त (Full form of EMI in Hindi) कहते हैं। इसके अर्थ से ही स्पष्ट है कि यहां किसी ऐसे क़िस्त की बात हो रही है, जिसका समान रूप से हर महीने भुगतान किया जा रहा हो या किया जाना है, मतलब EMI एक ऐसी निश्चित धनराशि है जिसे लोन भुगतान के रूप हर महीने में किसी एक निश्चित तारीख़ पर बैंक में जमा करवाना होता है। इन किस्तों में मूलधन के कुछ भाग के साथ-साथ ब्याज का कुछ हिस्सा भी शामिल होता है।
आज के समय में ऑनलाइन शॉपिंग और ऑफलाइन दोनों तरीके से भी EMI payment का विकल्प मौजूद है, यदि हम कोई सामान खरीदना चाहते हैं और उसके लिए वर्तमान में हमारे पास पैसे नहीं हैं तो हम उस समान को खरीदने के बाद में EMI के द्वारा धनराशि को मासिक किस्तों में भुगतान कर सकते हैं।
आसान शब्दों में, लोन की धनराशि अक्सर एक बड़ी रकम होती है। जब कोई व्यक्ति बैंक से किसी प्रकार का लोन लेता हैं, तो बैंक उस व्यक्ति से ब्याज सहित किस्तों में पैसे वापस लेती है और यह क़िस्त को लोन का प्रकार, लोन की धनराशि, लोन का समय आदि के आधार पर निर्धारित की जाता है, यही EMI कहलाता है। EMI का भुगतान निश्चित तिथि को बैंक चेक या चालान किसी भी माध्यम से कर सकता है इसके अलावा आज कल ऑटो डेबिट का भी विकल्प उपलब्ध है।
EMI Full Form = EQUATED MONTHLY INSTALLMENT समान मासिक क़िस्त
ईएमआई कौन तय करता है और कैसे ?
EMI अर्थात समान मासिक किस्त बैंक या लोन देने वाली कंपनियों और ग्राहकों के आपसी सामंजस्य से तय किया जाता है, जो की पूरी तरह से लोन पर निर्भर करता है, बैंक आपको आपके सिबिल स्कोर के आधार पर लोन देती है।इसी आधार पर लोन की मासिक किस्त के साथ ब्याज का कुछ हिस्सा भी जोड़ दिया जाता है और आपकी लोन की राशि के आधार पर आपको कुछ महीनों या वर्षो के समय का निर्धारण कर दिया जाता है, यह समय या महीने तय करने का विकल्प उस लोन लेने वाले व्यक्ति को भी दिया जाता है।
सिबिल स्कोर (CIBIL score) मुख्यतः 300 से 900 के मध्य का एक अंक होता है, जिसका निर्धारण लोन लेने वाले व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड केे इतिहास अर्थात पेमेंट का विगत रिकॉर्ड और लोन के इस्तेमाल के आधार पर CREDIT INFORMATION BUREAU INDIA LIMITED (जो एक क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी है) के द्वारा किया जाता हैै। आज कल अधिकांश उधारकर्ता लोन देने के लिए सिबिल स्कोर का इस्तेमाल करते हैं, अच्छा सिबिल स्कोर नही होने पर लोन के लिए व्यक्ति योग्य नही माना जाएगा।
ईएमआई के विभिन्न प्रकार (Types of EMI)
EMI IN ADVANCE ( अर्थात पूर्व समान मासिक भुगतान योजना) – इसमें ग्राहक द्वारा, पहली EMI का भुगतान एडवांस में ही किया जाता हैै, इस भुगतान की गई राशि को बैंक द्वारा लोन की धनराशि से काट लिया जाता है और बैंक द्वारा यह भुगतान डीलर को कर दिया जाता है।EMI IN ARREARS (means standard EMI)– इसमें ग्राहक द्वारा EMI में किसी भी प्रकार का पूर्व भुगतान नही किया जाता है।
PRE EMI – यह होम लोन के लिए उपयोगी माना जाता है, इसमें होम लोन के लिए मंजूरी मिल जाने के पश्चात डिस्बर्शन के बाद EMI की शुरुवात हो जाती है किंतु इसमें अपने लोन के बोझ को कम करने के लिए ग्राहक द्वारा प्रॉपर्टी के अंदर कंट्रक्शन होने के समय ही लोन का पेमेंट शुरू कर दिया जाता है।
FULL EMI – FULL COST EMI अर्थात जो समयावधि निर्धारित की गई है उसी निर्धारित महीने की तारीख को EMI का भुगतान किया जाएगा।
NO COST EMI – credit card से पेमेंट पर यह सुविधा दी जाती है। No cost EMI के शब्दों का यदि हम अर्थ निकालें तो यह हमें बिना ब्याज दर के EMI Ada करने जैसा प्रतीत होता है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नही होता, आज कल कुछ निजी बैंकिंग कंपनियाँ NO COST EMI ऑफर करती हैं। हालांकि इसमें कोई भी ब्याज और प्रोसेसिंग फीस नहीं लगती, बस निर्धारित समय में EMI with no Interest आपके क्रेडिट कार्ड से कट जाता है। यह कार लोन के लिए अधिक फायदेमंद है।
EMI का भुगतान कब शुरू होता है?
EMI का भुगतान इस बात पर आधारित होता है की उसका ब्याज दर कैसा है? किंतु आपके लोन को मंजूरी मिलने पश्चात आपके लोन के डीलर को disburse होते ही EMI का भुगतान शुरू हो जाता है।
EMI कैलकुलेट करने की विधि (how to calculate EMI)
हमें यह भी जान लेना चाहिए की EMI के लिए सभी सार्वजनिक व निजी बैंकों और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के ब्याज दर अलग अलग होते हैं। इसलिए हमें यह जानना बेहद जरूरी है की EMI को कैलकुलेट कैसे करें।
किसी भी लोन की EMI निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात की जा सकती है –
EMI = [P×R×(1+R)^N]/[(1+R)^(N-1)]
- E – EQUATED MONTHLY INSTALLMENT (समेकित मासिक क़िस्त)
- P – PRINCIPAL AMOUNT( मूलधन)
- R – RATE OF INTEREST (ब्याज दर)
- N – TENURE IN NUMBER OF MONTHS (लोन की समयावधि महीनों में)
उदाहरण के लिए, यदि हमारा मूलधन यानी किसी व्यक्ति ने ₹400000 का पर्सनल लोन 12% के ब्याज दर पर लिया, और लोन चुकाने की अवधि 24 महीने की तय की गई तो वह व्यक्ति ब्याज सहित कुल ₹4,51,905 लौटाएगा तथा ₹18,829 इसकी मासिक EMI भरेगा।
आज एंड्रॉयड के जमाने में हम bowser या इंटरनेट में EMIcalculator.Net के उपयोग से भी EMI calculate कर सकते हैं। सभी बैंक के वेबसाइट में भी EMI calculator उपलब्ध होता है तथा लोन देने वाली निजी कंपनियों के वेबसाइट में भी आपको EMI calculator मिल जाएगा जिसमें आपके आंकड़े डाल देने पर ही वह कैलकुलेटर आपको आपका कुल लोन EMI (total loan EMI), कुल ब्याज देयता (TOTAL INTEREST PAYBLE), कुल देय धनराशि (TOTAL PAYMENT) कैलकुलेट करके बता देता है।
EMI को प्रभावित करने वाले कारक ( FACTORS EFFECTING IN EMI)
यदि हम सूत्र के आधार पर बात करें तो 3 कारक जिसे हम EMI की गणना के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं, वही हमारी EMI को प्रभावित करते हैं, , आइए देखते हैं क्या इनके बीच का संबंध और इनसे हमारा EMI कैसे प्रभावित होता है –
मूलधन (Principal amount) – मूलधन वह राशि है, जिस राशि का हम लोन लेते हैं। यदि हम लोन लेने की राशि को बढ़ाते या घटते हैं तो हमारा EMI भी मूलधन के आधार पर बदल जाता है अर्थात लोन की राशि जितनी बढ़ेगी EMI भी अनुपातिक रूप में बढ़ता चला जाएगा।
ब्याज दर (Interest Rate) – LOAN के आधार पर बैंक या निजी कंपनियां अपना ब्याज दरें तय करती है यदि हमारा ब्याज दर बढ़ता या घटता है, तो भी EMI परिवर्तित होती है। जैसे ब्याज दर उच्च होने पर EMI की रकम भी भी जाएगी।
लोन की मासिक समयावधि ( TENURE OF LOAN IN MONTHS ) – वह अवधि जिसके आधार पर लोन चुकाने की समय सीमा का निर्धारण होता है , यदि लोन की समयावधि बढ़ेगी तो ब्याज दर भी प्रभावित होगा और साथ ही EMI भी प्रभावित होगी। लोन का tenure अधिक होने पर उसकी EMI की राशि भी काम हो जाएगी।
EMI के फायदे व नुकसान –
किसी भी उपकरण को उपयोग करने के पूर्व उपयोगकर्ता को उसके सकारात्मक व नकारात्मक पहलू के बारे में बारीकी से जान लेना चाहिए इससे किसी भी तरह के नुकसान से हम बच सकते हैं।
ईएमआई के फायदे ( Benefits of EMI)-
- EMI के उपयोग से व्यक्ति तनावमुक्त हो सकता है क्योंकि यह बड़ी खरीददारी के एकमुश्त भुगतान को किस्तों में बांट देती है, जिससे आपको भुगतान में सहायता हो जाती है।
- ईएमआई की ऋण अवधि अधिक होने पर व्यक्ति को कम किस्तों में भुगतान की सुविधा मिलती है, और धीरे धीरे बकाया राशि चुकता करने में आसानी होती है।
- दीर्घकालिक अवधि जैसे विवाह , घर खरीदने जैसे फैसलों में EMI से ऋण लेना फायदेमंद होता है।
- Personal finance से व्यक्ति को नगद नही होने पर क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन में मदद मिलती है।
EMI के नुकसान (Loss of EMI) –
- ईएमआई पर खरीददारी करने पर व्यक्ति को MRP से अधिक राशि अदा करनी पड़ती है।
- EMI का देरी से भुगतान भी भरी पड़ जाता है, क्योंकि भुगतान में देरी होने पर बैंक या निजी वित्तीय कंपनियां पेनल्टी चार्ज करती हैं।
- कहीं-कहीं EMI के समयावधि के पूर्व भुगतान पर भी बैंक या कंपनियाँ पेनाल्टी चार्ज करती हैं, क्योंकि समय के फल भुगतान करने पर उनको ब्याज अर्थात उनके बनने वाले एसेट्स में घाटा होता है।
- सही समय में EMI भुगतान नही करने से CIBIL score पर भी प्रभाव पड़ता है और बैंक या कंपनी द्वारा अगले बार EMI की सुविधा के लिए अपात्र घोषित कर दिया जाता है।
- कई बार व्यक्ति EMI के चक्कर में ज्यादा महंगी वस्तु खरीद लेता है, किंतु बाद में बकाया भरने दिक्कत आती है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में मैने EMI के विभिन्न पहलुओं को एक ही जगह में और सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की है, इस आर्टिकल में हमने EMI Ka full form तथा और भी अन्य बिंदुओं को तथ्यों और उदाहरण से समझा है, आशा करती हूं की इसमें आपको ईएमआई के फॉर्म और इससे सम्बंधित सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे। यदि इस (Emi Full Form) आर्टिकल से सम्बंधित को डाउट और संदेह है तो हमें कमेंट करें
टेक्निकल नॉलेज से सम्बंधित अन्य जानकारी के लिए इन ब्लॉग लो भी देखें simiservice.com simitech.in
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