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डीआरडीओ क्या है इसका इतिहास ,प्रमुख कार्य और योजनाए

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DRDO का पूरा नाम “Defence Research and Development Organisation” है, जबकि इसे हिंदी में “रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन” के नाम से जाना जाता है। DRDO भारत के प्रमुख संस्थानों में से एक है और जैसा कि इसके नाम से पता चलता है कि यह हमारी सेना को मजबूत करने के लिए काम करता है, DRDO मिसाइल, हथियार, लड़ाकू विमान, रडार और अन्य एडवांस इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली विकसित के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहा है। आज इस लेख में हम आपको DRDO Ka Full Form, DRDO Work & History के बारे में जानकारी देने वाले है ।

DRDO एक एजेंसी है जो रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करती है। DRDO का मुख्यालय नई दिल्ली में है, जिसे Defence Science Organisation और कुछ टेक्निकल डेवलपमेंट को मिलाकर बनाया गया है। DRDO भारत का सबसे बड़ा शोध संगठन है। DRDO द्वारा थल सेना, वायु सेना और जल सेना के लिए विश्व स्तरीय हथियारों का उत्पादन किया जाता है ताकि भारतीय सेना को साइबर, अंतरिक्ष,परीक्षण, हथियार और सुरक्षा के क्षेत्र में देश को स्वदेशी उपकरण मिल सकें।

DRDO का आदर्श वाक्य – Motto of DRDO

DRDO का आदर्श वाक्य “बलस्य मूलम् विज्ञानम्” है। यह संस्कृत से लिया गया वाक्य है । जिसका अर्थ है, “शक्ति का स्रोत विज्ञान है।” यानी किसी देश की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस देश में विज्ञान की क्या स्थिति है. और डीआरडीओ देश को आत्मनिर्भर बनाने और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मुख्य रूप से सैन्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सबसे आगे रहता है।

DRDO के मुख्य उद्देश्य-

  • भारतीय सशस्त्र बलों की तकनीकी ताकत बढ़ाने के लिए।
  • भारत को और अधिक शक्तिशाली और युद्ध की स्थितियों के लिए तैयार करने के लिए।
  • देश में नई तकनीकों को विकसित करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों के बीच जागरूकता विकसित करना और बढ़ाना।
  • भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में पढ़ने की आदतों और पुस्तकालय को बढ़ावा देना।
  • वैज्ञानिकों के बीच बेहतर संचार और मित्रवत वातावरण बनाना ताकि वे आपस में विचारों का आदान-प्रदान कर सकें।

DRDO इतिहास और विकास

DRDO का गठन 1958 में भारतीय सेना और रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के पहले से चल रहे तकनीकी विकास प्रतिष्ठानों (TDEs) के साथ तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (DTDP) के सम्मेलन द्वारा किया गया था। DRDO तब 10 प्रतिष्ठानों या प्रयोगशालाओं वाला एक छोटा संगठन था।आज DRDO के पास 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है जो एयरोनॉटिक्स, अस्त्र – शस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग सिस्टम, मिसाइल, एडवांस कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणाली जैसे विभिन्न विषयों में कार्य करने वाली रक्षा टेक्नोलॉजी को विकसित करने में लगा हुआ है।

DRDO कार्य?- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन

DRDO भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का अनुसंधान एवं आर एंड डी विभाग है, जिसका उद्देश्य भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सशक्त बनाना है। DRDO ने आत्मनिर्भरता और सफल स्वदेशी विकास और रणनीतिक प्रणालियों और अन्य प्लेटफार्मों जैसे अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों का उत्पादन करता है। हल्के लड़ाकू विमान, तेजस; मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, पिनाका; वायु रक्षा प्रणाली, आकाश; रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरणों को तैयार करता है।

भारतीय रक्षा विभाग में DRDO की भूमिका

  • यह संगठन पूरी तरह से रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के नियंत्रण में है, जो अपनी 52 प्रयोगशालाओं में अनुसंधान और विकास करता है।
  • इसका कार्य वैश्विक प्रासंगिकता वाले विभिन्न क्षेत्रों को कवर करते हुए रक्षा प्रौद्योगिकी विकसित करने का प्रयास करना है। जिसका संबंध वैश्विक स्तर से जुड़ा हो।
  • DRDO ने भारतीय सेना के तीनों अंग जल, थल और वायु को आधुनिक हथियार उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई है।
  • आज DRDO भारतीय सेना के हथियारों का एक बड़ा हिस्सा अपने ही देश में ही पूरा कर पा रहा है।
  • DRDO की मदद से रक्षा विभाग पर होने वाला खर्च काफी हद तक कम हो गया है।
  • आज DRDO इतना सक्षम है कि भारत ने दूसरे देशों को हथियार बेचना शुरू कर दिया है।

DRDO के लिए योग्यता

किसी भी कार्य को सुचारु रूप से करने के लिए संस्थान और सरकार कुछ योग्यता निर्धारित करती है इसी तरह DRDO विभाग में कार्य करने के लिए भी कुछ योग्यता का होना अनिवार्य है जिसे आप नीचे देख सकते है।

शिक्षा

यदि आप DRDO में जॉब पाने के इच्छुक है और इसके लिए आवेदन करना चाहता है, तो इसके लिए आपके पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/संस्थान से Engineering And Technology में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। इसके साथ ही उसे साइंस, मैथ्स, साइकोलॉजी में कम से कम 60% अंकों के साथ मास्टर डिग्री होनी चाहिए।

आयु

जो लोग DRDO के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उनकी आयु 18 से 28 वर्ष के बीच होनी चाहिए लेकिन कुछ आरक्षित वर्गों जैसे की पिछड़ा वर्ग और SC /ST वर्गों को 3-5 साल की छूट दी जाती है जिसे आप आवेदन के समय DRDO
द्वारा रिलीज़ नोटिफिकेशन में सही से समझ सकते है।

डीआरडीओ में जॉब के लिए आवेदन कैसे करें

आप DRDO संगठन में साइंटिस्ट ,टेक्निकल स्टाफ ,एडमिन और Research Fellow के रूप में कैरियर बना सकते हैं। DRDO में भर्ती के लिए एक विशेष विभाग है जिसका नाम Recruitment and Assessment Centre (RAC) है जो ग्रुप ए क्लास के वैज्ञानिकों की भर्ती करता है। इसके अलावा एक CEPTAM विभाग है जो Group B और Group C के सदस्यों की भर्ती करता है।

DRDO में JRF/SRF/RA/अपरेंटिस आदि के लिए आवेदन करने के लिए डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं द्वारा समय-समय पर खाली पदों की भर्ती के लिए नोटिफ़िकेशन जारी करती हैं।

DRDO लैब में आवश्यकता के अनुसार उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। इस संगठन के बारे में अधिक और विस्तृत और सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप इसकी आधिकारिक वेबसाइट जा सकते है जहा से आप इसके बारे में सही और जॉब नोटिफिकेशन की जानकारी को भी देख सकते है।-

निष्कर्ष

हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा क्योकि इसमें हमने DRDO से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारी देने का प्रयास किया जैसे की DRDO क्या है, DRDO ka full form , डीआरडीओ के प्रमुख कार्य और इससे सम्बंधित कुछ अन्य बाते । अगर आपको हमारा पोस्ट पसंद आया होगा तो इसे अपने दोस्तों और सोशल मीडिया में अधिक से अधिक शेयर करे और कमेंट के माध्यम से अपना फीडबैक दे।

siya

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